बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी दौलत राम पाण्डेय एक दर्जन से ज्यादा विधाओं में हैं पारंगत - Mukhyadhara

बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी दौलत राम पाण्डेय एक दर्जन से ज्यादा विधाओं में हैं पारंगत

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नीरज उत्तराखंडी 

हुनर जन्मजात नहीं होता हुनर और योग्यता अर्जित की जाती है। व्यक्ति के पास यदि मनोबल का तूफान, दृढ इच्छा शक्ति का सागर, मेहनत और लगन रूपी पतवार हो तो वह न केवल जीवन में सहजता से कठिनाइयों का सामना करता है, बल्कि अनेकों उपलब्धियां अर्जित कर दूसरों के लिए प्रेरणा स्रोत भी बन जाता है।
जी हां! ऐसे ही हरफनमौला शख्सियत से आपको रूबरू कराते हैं।
एक शिक्षक,चिकित्सक, हास्य कलाकार, नृत्यकार, बागवान, किसान, ज्योतिष, दर्जी, मिस्री, नाई, मैकेनिक सभी हुनर अर्जित किये हुए किसी व्यक्ति का नाम आपने शायद ही सुना होगा बहुआयामी व्यक्तित्व की दौलत के धनी इन महानुभाव से आपका परिचय कराते हैं।
जनपद शिमला हिमाचल प्रदेश के तहसील नेरूवा किरण पंचायत के मनेवटी गांव में  रहने वाले दौलत राम पाण्डेय युवाओं और बुजुर्गों के लिए प्रेरणा की मिसाल हैं। बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी दौलत राम पाण्डेय शायद ही कोई काम हो, जो वे नहीं जानते हों। कताई, सिलाई, बुनाई,कला, नृत्य, शिक्षण,भवन निर्माण, बढ़ई, खेती किसानी, मैकेनिक, डाक्टर, तंत्र मंत्र विद्या, नाड़ी देखकर रोग के लक्षण तथा उपचार करना, अभिमंत्रित जल से शरीर में फैले विष का उपचार करना, ये सब कार्य उनके व्यक्तित्व की अलग पहचान बनाते हैं और इन सभी कार्य करने में उन्हें महारत हासिल है। शिक्षक के पद से सेवा निवृत्ति के बाद 80 वर्ष की आयु पूरी करने के बाद भी सभी कार्य बखूबी करते हैं। दौलत राम पाण्डेय  सामाजिक कार्य में सदैव अग्रणी रहते हैं।
दीपावली तथा शादी विवाह में  पारम्परिक वेश भूषा में  नृत्य टीम की अगवानी करनी हो या रामलीला में  हास्य नाटक का मंचन और निर्देशन, आपातकाल में  रोगियों को प्रथम उचार और राहत देने की आपातकालीन सेवा हो या मकान के लिए  दरवाजे खिडक़ी और अन्य फर्नीचर बनाने का काम या मशीन में  ऊन पिनाई,चिरान करना हो सब में  दक्षता हासिल है। खेती किसानी में  भी सब किसान उनसे सलाह लेते हैं। पाण्डेय सीमांत वासियों  के लिए एक फरिश्ता हैं। आपातकालीन अवस्था में उन्होंने कई मरीजों को उनके घर जाकर प्राथमिक उपचार दिया है।daulat

गांव मनेवटी के कोराई नाम जगह पर दवाई की दुकान के साथ साथ- साथ परचून की दुकान चलाते हैं तथा एक लघु उद्योग स्थापित कर आटा चक्की, धान कुटने, ऊन की पिनाई, तेल पिचाई की मशीने लगाकर हिमाचल तथा उतराखण्ड के दो दर्जन से अधिक गांवों में  निवास करने वाले सीमांत वासियों को अपनी सेवाएं देकर राहत और सुविधाएं उपलब्ध कराने का जो काम किया है, वह प्रशंसनीय और प्रेरणा दायक है।
बाल काटने से लेकर मशीन में चिरान करने तक ही नहीं, शिक्षण कार्य से सेवा कार्य तक पाण्डेय जी की भूमिका सराहनीय हैं। उम्र के 80 दशक पार कर चुके डीआर पाण्डेय कभी भी आराम नहीं करते हमेशा, स्वयं को घरेलू तथा खेती किसानी के कामों में लगे रहते है। शायद यही उनकी निरोग तथा हमेंशा ऊर्जावान, उत्साही और सक्रिय रहने का राज भी है। समाज के सभी वर्ग के लोगों को ऐसे स्फूर्तिमान मानस से प्रेरणा मिलती है।
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