प्लास्टिक मुक्ति में मील का पत्थर साबित होंगे 'प्लास्टिक बैंक' - Mukhyadhara

प्लास्टिक मुक्ति में मील का पत्थर साबित होंगे ‘प्लास्टिक बैंक’

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प्लास्टिक मुक्ति में मील का पत्थर साबित होंगे ‘प्लास्टिक बैंक’

आईआईपी में स्थापित किये गये डीजल संयंत्र में पहुंचाया जाएगा
आईआईपी और गति फाउंडेशन का छठा प्लास्टिक बैंक स्थापित
भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, आईसीएआर में बनाया गया प्लास्टिक बैंक, जमा किया गया प्लास्टिक आईआईपी को दिया जाएगा

देहरादून। सिंगल यूज प्लास्टिक मुक्त देहरादून और उत्तराखंड अभियान को लगातार आगे बढ़ाते हुए आईआईपी और गति फाउंडेशन ने शहर में एक और प्लास्टिक बैंक की स्थापना की है। यह प्लास्टिक बैंक कौलागढ़ स्थित भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, आईसीएआर में खोला गया है।
इससे पहले आईआईपी और गति फाउंडेशन की ओर से अलग-अलग पांच संस्थानों में प्लास्टिक बैंक की स्थापना की जा चुकी है। इन प्लास्टिक बैंकों में जमा होने वाला प्लास्टिक भारतीय पेट्रोलियम संस्थान को दिया जाता है, जहां इसका इस्तेमाल डीजल बनाने में किया जाता है। प्लास्टिक बैंकों में जमा होने वाला प्लास्टिक गति फाउंडेशन के माध्यम से आईआईपी में स्थापित किये गये डीजल संयंत्र में पहुंचाया जाएगा।
प्लास्टिक बैंक स्थापना के अवसर पर आयोजित समारोह में भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डॉ. ओजस्वी ने इस पहल को प्लास्टिक मुक्ति के लिए बेहतर कदम बनाया। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान में करीब 200 वैज्ञानिक और स्टाफ कार्यरत हंै। इसके साथ ही कर्मचारियों के करीब 60 परिवार भी इसी परिसर में रहते हैं। उन्होंने कहा कि संस्थान और आवासीय परिसर से हर रोज काफी मात्रा में प्लास्टिक कचरा पैदा होता है। अब यह सारा कचरा प्लास्टिक बैंक में जमा किया जाएगा। उन्होंने स्टाफ से अपील की कि वे कार्यालय और घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरे में इधर-उधर फेंकने के बजाय इस प्लास्टिक बैंक में जमा करें।

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समारोह में मौजूद भारतीय पेट्रोलियम संस्थान के डॉ. सनत ने प्लास्टिक से डीजल बनाने की तकनीकी पहलुओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि यदि पूरे देश में प्लास्टिक कचरे को इक_ा कर डीजल बनाने के छोटे-छोटे प्लांट लगाये जाएं तो इससे डीजल के आयात में कमी लाई जा सकती है।
गति फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने संस्थान में प्लास्टिक बैंक स्थापित करने की पहल करने के लिए संस्थान के निदेशक और कर्मचारियों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक बैंक से दोहरा लाभ होगा। एक तो प्लास्टिक कचरे से होने वाले गंदगी और प्रदूषण से बचा जा सकेगा और दूसरे इससे डीजल बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि फाउंडेशन का इरादा शहर में ज्यादा से ज्यादा संस्थानों में प्लास्टिक बैंक स्थापित करने का है। उन्होंने उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में अन्य संस्थान भी इस तरह के प्लास्टिक बैंक स्थापित करने की दिशा में आगे आएंगे।
इस समारोह में भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के डॉ. बांके बिहारी, डॉ. हर्ष मेहता, डॉ. इंदु रावत, आईआईपी के डॉ. अतुल रंजन और गति फाउंडेशन के ऋषभ श्रीवास्तव, प्यारे लाल और अनुष्का मर्तोलिया भी माजूद थे।

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