रिश्तेदार की खातिर ठुकराया सुप्रीम कोर्ट का फरमान  - Mukhyadhara

रिश्तेदार की खातिर ठुकराया सुप्रीम कोर्ट का फरमान 

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उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय में तैनात कुलसचिव का है मामला।
प्रतिनियुक्ति अक्टूबर 2018 में हो गयी थी समाप्त।
सी0एम0 की रिश्तेदार को क्यों नहीं किया गया बर्खास्त !
राजभवन से मोर्चा करेगा प्रतिनियुक्ति समाप्त कर कार्यवाही की माँग।

उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय में प्रतिनियुक्ति पर तैनात तकनीकी शिक्षामन्त्री/सी0एम0 की रिश्तेदार डाॅ0 अनिता राणा रावत, जो कि ऋषिकेश स्नातकोत्तर महाविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर तैनात थी, को 27.10.2017 को कुलसचिव के पद पर यू0टी0यू0 में तैनात कर दिया गया। उक्त हेतु उच्च शिक्षा विभाग (मूल विभाग) ने 12.10.2017 को एक वर्ष हेतु एन0ओ0सी0 जारी कर उल्लेख किया कि अवधि समाप्त होते ही प्रतिनियुक्ति स्वतः ही समाप्त समझी जाएगी।
जनसंघर्ष मोर्चा अध्यक्ष एवं जी0एम0वी0एन0 के पूर्व उपाध्यक्ष रघुनाथ सिंह नेगी ने कहा कि प्रतिनियुक्ति की अवधि 26.10.2018 को समाप्त होने के पश्चात् क्यों उच्च शिक्षा विभाग ने श्रीमती राणा के खिलाफ कार्यवाही नहीं की तथा एन0ओ0सी0 विस्तारित किये बगैर कैसे पद पर बनाये रखा गया !
मोर्चा द्वारा प्रयास किये जाने के उपरान्त विभाग द्वारा शर्मशार होकर 8 माह बाद 28.06.2019 को एन0ओ0सी0 विस्तारित की गयी।

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अति महत्वपूर्ण यह है कि मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा 25.09.2018 को एक आदेश के तहत विभाग को तीन माह के भीतर नियमावली गठित करने के निर्देश दिये थे, जिसके क्रम में 17.12.2018 को नियमावली गठित की गयी। हैरानी की बात यह है कि शासन द्वारा नियमावली गठित होने व एक वर्ष की अवधि, जो पहले घटित होगी, तब तक प्रतिनियुक्ति कायम रह सकती थी, का उल्लेख किया गया था, लेकिन दिसम्बर 2018 में नियमावली गठित होने के आठ माह बाद भी प्रतिनियुक्ति का क्या औचित्य है ! यानि यह एक तरह से मा0 उच्चतम न्यायालय की अवमानना है।

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नेगी ने कहा कि सीएम ने अपनों की खातिर नियमों को तार-तार कर प्रतिनियुक्ति प्रदान की गयी, जबकि कुल सचिव हेतु बी0टेक एवं 5 वर्ष का प्रशासनिक अनुभव लाजिमी है। उच्च शिक्षा विभाग द्वारा प्रतिनियुक्ति पर भी आपत्ति जतायी गयी थी कि विभाग में 109 पदों के सापेक्ष मात्र 62 प्रवक्ता कार्यरत हैं, यानि प्रवक्ताओं की कमी है।
मोर्चा राजभवन से प्रतिनियुक्ति समाप्त कर कार्यवाही की माँग करेगा।

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