बाघ को भी मार डालती है भोटिया कुत्तों की यह प्रजाति - Mukhyadhara

बाघ को भी मार डालती है भोटिया कुत्तों की यह प्रजाति

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बाघ को भी मार डालती है भोटिया कुत्तों की यह प्रजाति

जगदंबा कोठारी/रुद्रप्रयाग

गढ़वाल में कुत्तों की यह प्रजाति बाघ को भी मार डालती है, पढ़ें क्या खास है इस प्रजाति में

भोटिया, भूटिया या भोटी नाम से जाने जानी वाली प्रजाति तिब्बतन मस्टिफ का ही एक रूप है, जो दुनिया में सबसे महँगी ब्रीड है। नेसर्गिक प्रतिभा का धनी यह कुत्ता हिमालयी घास के मैदानों में भेड़ों के लिए प्रबंधक और सुरक्षा का कार्य करता है। दो कुत्ते 5०० से 6०० भेड़ों को संभाल लेते हैं। दो भोटिया कुत्ते सामने हो तो बाघ भी सामने आने की हिम्मत नहीं करता। एक बाघ और एक कुत्ता हो तो मुकाबला जोरदार होता है। अगर दो कुत्ते हो तो बाघ ज्यादा देर नहीं टिक पाता।
उत्तराखंड के उत्तरायणी मेले में प्रतिवर्ष भोटिया कुत्तों की बिक्री जोर-शोर से होती है। हर बार माघ माह में उत्तरायणी मेले में कई व्यवसायी भोटिया कुत्तों के बच्चों को लेकर यहां पहुंचतेे हैं। सिनौला में लगी भोटिया मार्केट में प्रतिवर्ष 50 से 60 हजार रुपये के कुत्ते बेचते हैं। ठंडे इलाके में पाए जाने वाले इन कुत्तों को मैदान में परवरिश में मेहनत करनी पड़ती है।

बता दें कि भोटिया प्रजाति के ये कुत्ते गुलदार से लड़ने की क्षमता रखते हैं। इस प्रजाति के कुत्ते को बकरी पालन का व्यवसाय करने वाले लोग बकरियों की रक्षा के लिए पालते हैं, जबकि अन्य वर्ग इन्हें सुरक्षा की दृष्टि से पालते हैं। यह दिन में काफी शांत, परंतु रात्रि में खौफनाक हो जाता है। ये एक बेहद शांत व गंभीर किस्म का जानवर होता है, जो कम चहलकदमी करता है। भेड़पालक इसे परिवार के सदस्य के समान पालते हैं। हज़ारों की भीड़ में भी अपनी भेड़ों को पहचानते हैं।
निचले हिमालयी क्षेत्रों में इसकी मिली-जुली प्रजाति मिलती है, परन्तु उच्च हिमालयी क्षेत्रों में इसकी शुद्ध प्रजाति मिलती है। इसके लिए आपको हिमाचल के कुछ भागों में, उत्तराखंड के गढ़वाल, कुमाऊँ के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में जाना होता है। ये दुनिया में सबसे बुद्धिमान व महँगी प्रजातियों में आती है, पर भारत सरकार की तरफ से इसके संरक्षण के लिए कुछ नहीं किया गया। न ही इसकी शुद्ध प्रजाति को बचाने के लिए कोई मुहिम। निचले क्षेत्रों में लोगों द्वारा खरीदे कुत्तों की नश्ल मिश्रित हो गयी है। भेड़पालन ब्यवसाय कम होने के कारण इन्हे पूरा खाना और अत्यधिक ठंडी जलवायु नहीं मिल पाती। तिब्बत में इसकी सर्वश्रेष्ठ नश्ल पायी जाती है। हिमालयी क्षेत्रों में इनकी वफादारी सजग पहरेदारी पर कई रोचक किस्से हैं।

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