मामचन्द शाह
देहरादून। लगता है कि सरकार व ठंड का चोली-दामन का साथ है। पिछले दिसंबर में अत्यधिक ठंड के कारण ही विधानसभा का शीतकालीन सत्र गैरसैंण में आयोजित नहीं हो पाया था, लेकिन मार्च में जैसे ही गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित हुआ, मौसम विभाग ने भी बारिश व बर्फबारी की संभावना जताकर इस बात पर मुहर लगा दी कि ठंड का साया सरकार के पीछे-पीछे चल रहा है।
आज से गैरसैंण में विधानसभा का बजट सत्र शुरू हो गया है, लेकिन अब ठंड है कि उत्तराखंड सरकार का पीछा छोडऩे को तैयार ही नहीं है। अभी बीते दिसंबर 2019 की ही तो बात थी, जब गैरसैंण में विधानसभा के शीतकालीन सत्र कराए जाने की तैयारी जोरों पर थी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचन्द अग्रवाल भी कह चुके थे कि गैरसैंण सत्र कराने को लेकर तैयार है, किंतु ऐन वक्त पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र रावत ने वहां सत्र न चलाने के पीछे सर्दी यानि कि अत्यधिक ठंड को वजह बता दी थी। उनका तर्क था कि विधानसभा में कई बुजुर्ग विधायक हैं, जिनकी बात सरकार को सुननी होती है। यही कारण था कि गैरसैंण की बजाय तब देहरादून में सत्र चलाना पड़ा।
हालांकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष रह चुके सबसे उम्रदराज विधायक गोविंद सिंह कुंजवाल ने कहा था कि सर्दी के कारण कोई भी विधायक यह नहीं कहेगा कि गैरसैंण में सत्र न कराया जाए। उन्हें गैरसैंण जाने में कोई दिक्कत नहीं है। इस प्रकार तब उत्तराखंड की सियासत गरमा गई थी और मुख्यमंत्री व सरकार की खूब किरकिरी हुई थी। प्रदेशभर से लोग चुटकी ले रहे थे कि सरकार को कहीं ठंड न लग जाए।
लेकिन कहते हैं साया कभी किसी का पीछा नहीं छोड़ता। यह बात उत्तराखंड की भाजपा सरकार के साथ भी सटीक बैठती है। अब भला मार्च में सरकार को ऐसी उम्मीद थोड़ी रही होगी कि अचानक मौसम करवट बदल लेगा और ठंड बढ़ जाएगी। सरकार द्वारा गैरसैंण में बजट सत्र चलाने की पूरी तैयारी के बाद आज से जैसे ही सत्र शुरू हुआ, मौसम विभाग ने भी घोषणा कर दी कि बुधवार से उत्तराखंड की ऊंची चोटियों पर मौसम खराब हो जाएगा। प्रदेश के अधिकांश इलाकों में बारिश तो वहीं पर्वत चोटियों पर हिमपात की संभावना जताई गई है।
अब चूंकि गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में सत्र शुरू हो चुका है। जाहिर है कि सभी वयोवृद्ध विधायकगण समेत पूरी सरकार भी वहां पहुंच गई है। अब देखना यह होगा कि विधायकों को ठंड से बचाने के लिए सरकार क्या उपाय करती है! हालांकि मौसम विभाग भी अपनी घोषणा पर कितना खरा उतर पाता है, यह देखने वाली बात होगी।
बहरहाल, प्रदेशवासी गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित होने से खुशी महसूस कर रहे हैं। देखना यह होगा कि बजट सत्र में सरकार के पिटारे से गैरसैंण को स्थायी राजधानी बनाने को लेकर क्या सॉल्यूशन निकल पाता है!