उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल (Silkyara Tunnel) में फंसे 41 मजदूरों का नया सवेरा "दहलीज" पर, उम्मीदों के साथ परिजन बैठे हैं टकटकी लगाए, रेस्क्यू जारी - Mukhyadhara

उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल (Silkyara Tunnel) में फंसे 41 मजदूरों का नया सवेरा “दहलीज” पर, उम्मीदों के साथ परिजन बैठे हैं टकटकी लगाए, रेस्क्यू जारी

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(Silkyara Tunnel) : उत्तरकाशी सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों का नया सवेरा “दहलीज” पर, उम्मीदों के साथ परिजन बैठे हैं टकटकी लगाए, रेस्क्यू जारी

(एक पखवाड़े से उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल (Silkyara Tunnel) में कैद 41 श्रमिकों की जान अटकी हुई है। एक ऐसा जटिलतम रेस्क्यू ऑपरेशन जो भारत ही नहीं है बल्कि दुनिया के लिए चुनौती बन गया। इसके साथ धामी सरकार के लिए भी 41 मजदूरों को पहाड़ काटकर सकुशल बाहर निकालना कुशल मैनेजमेंट का भी इम्तिहान ले रहा है। मजदूरों के सैकड़ों परिवारीजन सुरंग से बाहर टकटकी लगाए बैठे हैं। हर दिन का सवेरा एक उम्मीद लेकर आता, लेकिन फिर शाम होते-होते उम्मीद टूट जाती है। सबसे ज्यादा प्रशंसा सुरंग में फंसे मजदूरों की करनी होगी जिनकी उम्मीद और हौसले जिंदा हैं। पूरा देश में टनल में फंसे श्रमिकों के नए जीवन की कामना कर रहा है।)

  • शंभू नाथ गौतम

देवभूमि उत्तराखंड में चट्टानों का खिसकना और भूस्खलन बहुत ही आम बात है। यह राज्य हर साल मानसून के सीजन में प्राकृतिक आपदाओं की मार झेलता है। उत्तराखंड के लोग, सरकार और मशीनरी सिस्टम भी पहाड़ों पर होने वाली बड़ी से बड़ी आपदाओं का सामना करने के आदी भी हैं। लेकिन इस बार उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल Silkyara Tunnel ने उत्तराखंड सरकार ही नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम टनलिंग एक्सपर्टों के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर रखी है। लेकिन इन सबके बीच सवाल ये उठता है कि इसमें लापरवाही किसकी थी। आखिरकार किसकी गलती की वजह से ये हादसा हुआ।

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सुरंग में फंसी 41 जिंदगियों को बचाने के लिए एक ऐसा जटिलतम रेस्क्यू ऑपरेशन जो भारत ही नहीं है बल्कि दुनिया के लिए चुनौती बन गया। इसके साथ धामी सरकार के लिए भी 41 मजदूरों को पहाड़ काटकर सकुशल बाहर निकालना कुशल मैनेजमेंट का भी इम्तिहान ले रहा है। पूरा देश में टनल में फंसे श्रमिकों के नए जीवन की कामना कर रहा है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मजदूरों को बचाने के लिए मोर्चा संभाले हुए हैं। रेस्क्यू में आ रही नई-नई बाधाओं से फंसे मजदूरों के अलावा उनके परिजन भी हताश हो रहे हैं। सुरंग में मलबे को हटाने में हो रही देरी से मजदूरों के परिवारों पर क्या गुजर रही होगी ये बताने की जरूरत नहीं है। सभी मजदूरों के सैकड़ों परिवारीजन सुरंग से बाहर टकटकी लगाए बैठे हैं।

सबसे ज्यादा प्रशंसा एक पखवाड़े से सुरंग में फंसे मजदूरों की करनी होगी जिनकी उम्मीद और हौसले जिंदा है। हर दिन का सवेरा एक उम्मीद लेकर आता, लेकिन फिर शाम होते-होते उम्मीद टूट जाती है। सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों के हौसले बरकरार रहे इसके लिए भी कोशिश हो रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सुरंग में फंसे मजदूरों से की बात। उन्होंने अंदर फंसे मजदूरों का हौसला बढ़ाया। मुख्यमंत्री इस रेस्क्यू ऑपरेशन की रिपोर्ट प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कई बार दे चुके हैं। उत्तरकाशी सुरंग हादसे में फंसे 41 श्रमिकों के रेस्क्यू ऑपरेशन का शनिवार को 14वां दिन पीएम मोदी ने एक बार फिर से सीएम धामी से रेस्क्यू के बारे में जानकारी ली है।

मुख्यमंत्री सुरंग में फंसे श्रमिकों की सकुशलता के लिए बुधवार से मातली में ही डटे हैं। सरकारी कार्य बाधित न हो, इसके मद्देनजर मातली से ही सीएम का अस्थायी कैंप कार्यालय संचालित हो रहा है।

शुक्रवार को मुख्यमंत्री ने जरूरी सरकारी फाइलों को देखा और उनका निपटारा किया। साथ ही उन्होंने मातली से अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए। मुख्यमंत्री ने सिलक्यारा पहुंचकर वहां चल रहे रेस्क्यू अभियान का निरीक्षण किया । धामी सरकार ने उत्तरकाशी में ही अस्थाई रूप से अस्पताल भी बनाए हैं। साथ ही मौके पर दर्जनों एंबुलेंस भी मौजूद हैं।

21 नवंबर को एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई। उनसे बात भी की गई। सभी मजदूर ठीक हैं। मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली। पिछले चार दिनों से लगता है कि मजदूर टनल से बाहर आ जाएंगे। लेकिन ऐनमौके पर कोई न कोई बाधा 41 मजदूरों का रास्ता रोक लेती है।

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दर्जनों देसी-विदेशी एक्सपर्ट सिलक्यारा सुरंग में मजदूरों को बचाने में जुटे

दर्जनों देसी-विदेशी एक्सपर्ट सिलक्यारा सुरंग में मजदूरों को बचाने में जुटे हैं। फिर भी सुरंग के अंदर का मलबा हटने का नाम ही नहीं ले रहा। घटनास्थल पर भारत ही नहीं बल्कि विश्व भर के मीडिया का जमावड़ा लगा हुआ है। पल-पल की खबर के लिए मीडिया कर्मियों के कैमरे सुरंग के पास तने हुए हैं। सभी मजदूरों को बाहर निकालने के लिए पिछले 14 दिनों से जद्दोजहद चल रही है।

हर किसी के मन में एक ही सवाल उठ रहा है कि आखिर सुरंग में अभियान का आखिरी चरण पूरा होने का नाम क्यों नहीं ले रहा । क्योंकि रेस्क्यू ऑपरेशन एक दम आखिरी पड़ाव में है। हालांकि अभी भी कई बाधाएं हैं, जिन्हें रेस्क्यू टीम को पार करना है।

मौके पर मौजूद कोई भी अधिकारी यह बताने के लिए तैयार नहीं है कि यह रेस्क्यू ऑपरेशन कब पूरा होगा और मजदूरों सुरंग से बाहर आने में कितना समय लगेगा। हालांकि मजदूर तक पहुंचने में केवल 10 मीटर का फैसला रह गया है। सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अमेरिकी ऑगर मशीन शुक्रवार शाम 24 घंटे बाद चली, लेकिन 1.5 मीटर आगे बढ़ने के बाद फिर लोहे का अवरोध आने से लक्ष्य से करीब दस मीटर पहले रुक गई।

मजदूरों के जल्द सुरंग से सुरक्षित बाहर आने में बाधा की सबसे बड़ी वजह मलबे में आ रही सरिया है, जिससे मशीन खराब हो गई। शुक्रवार रात ड्रिलिंग के दौरान सुरंग में मौजूद गार्डर ने रेस्क्यू ऑपरेशन का रास्ता रोक दिया। ड्रिलिंग करते वक्त टनल में मौजूद गार्डर में ऑगर फंस गया। इसको निकलाने के लिए जब रेस्क्यू टीम ने ज्यादा फोर्स लगाई, तो ऑगर की सॉफ्ट टूट गई है। इसके बाद काम रोक दिया गया है।

विभिन्न एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान शुरू होने के बाद से यह तीसरी बार है कि ड्रिलिंग का काम रोका गया है। कई दिनों से मौके पर मौजूद प्रधानमंत्री कार्यालय के पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे ने बताया कि मलबे में अमेरिकी ऑगर मशीन से की जा रही ड्रिलिंग के दौरान लोहे का सरिया आ गया था।

उन्होंने कहा कि उसे गैस कटर के माध्यम से काट दिया गया है। उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब मैनुअल ड्रिलिंग यानी हाथ से खुदाई की जाएगी। जो पाइपलाइन मजदूरों को बाहर निकालने के लिए डाली जा रही है, उसके अंदर से ऑगर मशीन को हटाना होगा।

सुरंग स्थल पर सर्वे करने पहुंची विशेषज्ञों की टीम ने बताया कि सुरंग के अंदर 5 मीटर तक कोई भारी वस्तु नहीं है। पार्सन ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड दिल्ली की टीम ने बचाव सुरंग की जांच के लिए ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर) तकनीक का इस्तेमाल किया। अभी मजदूर करीब 10 मीटर दूर फंसे हैं। उन्हें बाहर निकालने के लिए मैनुअल ड्रिलिंग बहुत ही मुश्किल टास्क होगा। 800 मिमी के संकरे से पाइप में एक बार में एक ही वर्कर अंदर जा सकता है। उसमें कटिंग करना भी बेहद ही मुश्किल होगा। इसमें समय भी बहुत ही ज्यादा लगेगा।

टनल विशेषज्ञ कर्नल परिक्षित मेहरा ने बताया कि ऑगर मशीन के बरमे को बाहर निकालने का काम किया जा रहा है। जिसमें कुछ समय लग सकता है। बताया कि जैसे ही बरमा बाहर निकाल लिया जाएगा तो दोबारा ड्रिलिंग का प्रयास किया जाएगा।

सिलक्यारा टनल में फंसे हैं 8 राज्यों के 41 मजदूर

  • उत्तराखंड के 2
  • हिमाचल प्रदेश का 1
  • यूपी के 8
  • बिहार के 5
  • पश्चिम बंगाल के 3
  • असम के 2
  • झारखंड के 15
  • ओडिशा के 5
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