राज्य गठन के 23 साल बाद भी कुमाऊं में बीपीएड की पढ़ाई (B.P.Ed studies) नहीं हो पाना दुर्भाग्यपूर्ण
डॉ० हरीश चन्द्र अन्डोला
कुमाऊं से अब तक पांच मुख्यमंत्री बने हैं लेकिन राज्य गठन के 23 साल बाद भी यहां बीपीएड की पढ़ाई शुरू नहीं हो सकी। दशकों से कुमाऊं के युवा व्यायाम शिक्षक बनने के लिए बाहरी क्षेत्रों की दौड़ लगाते रहे हैं। लंबे समय से कुमाऊं में बीपीएड कॉलेज खोलने की मांग की जाती रही है, राजनीतिक रूप से सशक्त होने के बावजूद मंडल में बीपीएड कॉलेज नहीं बन पाया है। कुमाऊं के युवाओं को बीपीएड करने के लिए बाहर जाना पड़ता है। इसमें खर्च आधिक आता है।आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं के लिए बीपीएड कर पाना मुश्किल है। कुमाऊं में बीपीएड और एमपीएड करने की व्यवस्था होनी चाहिए।
हल्द्वानी में प्रदेश का पहला खेल विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए राज्य सरकार की ओर से बीते मार्च में सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई है।इसके लिए 100 एकड़ भूमि की आवश्यकता है। हल्द्वानी के इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम को शामिल कर इसके आस-पास की भूमि चिहिन्त करने की बात कही जा रही है। खेल विश्वविद्यालय बनने से यहां बीपीएड और एमपीएड कोर्स भी संचालित हो सकेंगे। उत्तराखंड में नैनीताल जिले के हल्द्वानी में प्रदेश का पहला खेल विश्विद्यालय बनेगा। मुख्यमंत्री ने सचिवालय में राज्य में प्रस्तावित खेल विश्वविद्यालय के सबंध में अधिकारीयों के साथ बैठक की। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि खेल विश्वविद्यालय के लिए अवस्थापना सुविधाओं के विकासके साथ ही खेल एवं आवश्यक शैक्षणिक गतिविधियों के लिए इस क्षेत्र के विषय विशेषज्ञों के सुझाव लिये जाएं। विशेषज्ञों के सुझाव के आधार पर खेल विश्वविद्यालय की स्थापना के सबंध में अग्रिम आवश्यक कार्यवाही की जाए।
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मुख्यमंत्री ने कहा कि हल्द्वानी स्थित खेल मैदान का बेहतर तरीके से उपयोग हो सके, इसके लिए हल्द्वानी में भी खेल विश्वविद्यालय की स्थापना
के लिए संभावनाएं तलाशी जाएं। इसके लिए आवश्यक अतिरिक्त भूमि की व्यवस्था पर भी उन्होंने ध्यान देने के लिए कहा है।मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं हैं। राज्य में युवाओं को बेहतर खेल सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं।
2024 में उत्तराखण्ड में राष्ट्रीय खेलों का आयोजन होना है। नई खेल नीति में खिलाड़ियों को हर संभव सुविधा उपलब्ध कराने के प्रयास किये गये हैं।उन्होंने कहा कि राज्य में खेल विश्वविद्यालय बनने से राज्य के युवाओं को खेल के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा दिखाने के बेहतर अवसर मिलेंगे। खेल विवि का अभी जमीन पर उतरने का इंतजार हैं।
( लेखक वर्तमान में दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )