नदियों की नगरी में भी बड़ा जल संकट (Water crisis) - Mukhyadhara

नदियों की नगरी में भी बड़ा जल संकट (Water crisis)

admin
n 1 5

नदियों की नगरी में भी बड़ा जल संकट (Water crisis)

harish

डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

उत्तराखंड में  गंगा, यमुना ,अलकनंदा,भागीरथी  जैसी दर्जनों बड़ी नदियां हैं लेकिन फिर भी इन दिनों उत्तराखंड में सैंकड़ो बस्तियों में पानी की किल्लत हो रही है और  आम लोग पीने के पानी की परेशानी जूझ रहे हैंप्रदेश में प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं, जिससे पेयजल का संकट बढ़ रहा है। भविष्य की चुनौतियों को देखते हुए प्राकृतिक स्रोतों को सूखने से बचाना बेहद जरूरी है। जबकि, जल  संस्थान, वन विभाग, सिंचाई विभाग समेत तमाम अन्य विभागों की ओर से इस दिशा में कार्य किए जाने का दावा भी किया जा रहा है। अब दावा धरातल पर कितना खरा उतरताहै यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। दुनिया में पेयजल की समस्या दिनों दिन गहराती चली जा रही है। इसके बावजूद हम पेयजल को बचाने और जल संचय के प्रति अपेक्षा अनुरूप गंभीर नहीं हैं। संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि 2025 में दुनिया की चौदह फीसदी आबादी के लिए जल संकट बहुत बड़ी समस्या बन जायेगा।

यह भी पढ़ें : बस हादसाः सीएम धामी की अफसरों को दो टूक, दायित्व निर्वहन में शिथिलता पर होगी कड़ी कार्रवाई

इंटरनेशनल ग्राउंड वॉटर रिसोर्स असेसमेंट सेंटर के अनुसार पूरी दुनिया में आज 270 करोड़ लोग ऐसे हैं जो एक वर्ष में तकरीबन तीस दिन तक पानी के संकट का सामना करते हैं। संयुक्त राष्ट्र की मानें तो अगले तीन दशक में पानी का उपभोग यदि एक फीसदी की दर से भी बढ़ेगा, तो दुनिया को बड़े जल संकट से जूझना पड़ेगा। जगजाहिर है कि जल का हमारे जीवन पर प्रत्यक्ष तथा परोक्ष प्रभाव पड़ता है। यह भी कि जल संकट से एक ओर कृषि उत्पादकता प्रभावित हो रही है, दूसरी ओर जैव विविधता, खाद्य सुरक्षा और मानव स्वास्थ्य पर भी खतरा बढ़ता जा रहा है। विश्व बैंक का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के चलते पैदा हो रहे जल संकट से 2050 तक वैश्विक जीडीपी को छह फीसद का नुकसान उठाना पड़ेगा। दुनिया में दो अरब लोगों को यानी 26 फीसदी आबादी को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है। पूरी दुनिया में 43.6 करोड़ और
भारत में 13.38 करोड़ बच्चों के पास हर दिन की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त पानी नहीं है।

यह भी पढ़ें : घर में नल, लेकिन नहीं मिल रहा एक बूंद जल (water)

यूनीसेफ की रिपोर्ट कहती है कि 2050 तक भारत में मौजूद जल का 40 फीसदी हिस्सा खत्म हो चुका होगा। एशिया की 80 फीसदी आबादी खासकर पूर्वोत्तर चीन, पाकिस्तान और भारत इस संकट का भीषण सामना कर रहे हैं। आशंका है कि भारत इसमें सर्वाधिक प्रभावित देश होगा। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार शुद्ध पेयजल से जूझने वाली वैश्विक शहरी आबादी 2016 के 93.3 करोड़ से बढ़कर 2050 में 1.7 से 2.4 अरब होने की आशंका है। ग्लोबल कमीशन ऑन इकोनॉमिक्स ऑफ वॉटर की रिपोर्ट कहती है कि साल 2070 तक 70 करोड़ लोग जल आपदाओं के कारण विस्थापित होने को विवश होंगे। गौरतलब है दुनिया में दो अरब लोग दूषित पानी का सेवन करने को विवश हैं और हर साल जल- जनित बीमारियों से लगभग 14 लाख लोग बेमौत मर जाते हैं। दुनिया में बहुतेरे विकसित देशों में लोग नल से सीधे ही साफ पानी पीने में सक्षम हैं। लेकिन हमारे देश में आजादी के 77 साल बाद भी ऐसा मुमकिन नहीं।

यह भी पढ़ें : बद्रीनाथ धाम के साथ ही चमोली में भव्य रूप से मनाया जाएगा अंतरराष्ट्रीय योग दिवस (International Yoga Day)

उत्तराखंड के जोशीमठ में बीते दो महीनों से भारी जल संकट है। यहां हालात इतने खराब होते जा रहे हैं कि लोगों को पीने के पानी के लिये तरसना पड़ रहा है।अब लोग पानी के लिये एक-दूसरे की जान की परवाह भी नहीं कर रहे। मामले की जानकारी जिला कलेक्टर को होने पर उन्होंने समस्या का समाधान करने के लिये अधिकारियों को भेजा, लेकिन गांव वाले किसी की एक बात सुनने को तैयार नहीं हैं। जोशीमठ नगर इलाके में पिछले दो महीनों से भारी पेयजल संकट है। इसकी वजह से लोगों को पीने के पानी के लिए तरसना ही पड़ रहा है। समस्या तो अब इतनी खतरनाक हो गई है कि प्राकृतिक स्रोतों पर जिन गांव का अधिकार है उन गांव के लोगों ने नगरीय क्षेत्रों में पानी की सप्लाई सुचारु करने से मना कर दिया है। यहां तक कि पानी के पाइप लाइनों को स्वयं खोलकर हटा दिया है। जोशीमठ के परसारी इलाके से जोशीमठ नगर की
30,000 आबादी के साथ-साथ भारतीय सेना, आईटीबीपी, जल विद्युत परियोजनाओं तथा अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के लिए पानी की सप्लाई होती है. लेकिन पेयजल लाइन क्षतिग्रस्त होने की वजह से पानी की सप्लाई सुचारू नहीं हो पा रही थी।

यह भी पढ़ें : उप चुनाव को लेकर मतदान कार्मिकों का हुआ प्रथम रेन्डामाइजेशन

जल संस्थान के द्वारा वर्तमान समय में नई पानी की लाइन बिछाई जा रही है। तो वहीं, इस बीच परसारी गांव के लोगों ने नई पेयजल लाइन के निर्माण को रोक दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि उनके जल, जंगल, जमीन पर सबसे पहले उनका अधिकार है। एक ओर जहां गांव के लोगों को पानी की एक बूंद नहीं मिल रही है। तो वहीं, विभाग पूरे पानी को नगर क्षेत्र में पहुंच रहा है। जिससे लोगों में काफी नाराजगी है और लोगों ने पाइप लाइनों को हटा दिया है। जब इस बात की जानकारी जोशीमठ के उप जिला अधिकारी को मिली तो उन्होंने अधिकारियों को समस्या के समाधान के लिए कहा लेकिन ग्रामीणों के विरोध के बीच समस्या का समाधान नहीं हो पाया है। चमोली में लगातार पानी की समस्या बरकरार है।  पहाड़ी इलाकों में पानी के लिए लोगों को तरसना पड़ रहा है। उच्च हिमालय क्षेत्र में 10,000 से 12000 फीट की ऊंचाई पर पानी के सभी प्राकृतिक स्रोत सूख चुके हैं।

यह भी पढें : उत्तराखंड के सभी जिलों में IAS अधिकारियों (IAS officers) को जनपद प्रभारी नामित किया

एक आंकड़े के अनुसार, चमोली जनपद में 69 से अधिक प्राकृतिक स्रोत सुख चुके हैं, जिसकी वजह से आने वाले समय में बड़ी समस्या पैदा होसकतीहै.चमोली के सीमांत विकासखंड थराली क्षेत्र के पानी की समस्या और भी खतरनाक हो चुकी है। बधाणगढ़ी पर्यटक क्षेत्र में पर्यटकों को 20 लीटर पानी के लिए ₹500 देने पड़ रहे हैं, तो वही मंदिर में पूजा के लिए मजदूरों से पानी मंगवाया जा रहा है। इसके अलावा प्राकृतिक स्रोत सूख गए हैं। गिलास और डिब्बे से पानी भरा जा रहा है। जोशीमठ नगर क्षेत्र में पानी की आपूर्ति औली बुग्याल से होती है, लेकिन औली बुग्याल में पानी के पूरे स्रोत सूख चुके हैं। पुर विकासखंड में जल संस्थान की 30 योजनाएं धरातल पर कार्यरत हैं, लेकिन प्राकृतिक स्रोत सूखने की वजह से इन पर भी कार्य नहीं हो पा रहा है। लेकिन यह बात भी सही है कि केवल सरकार ही नहीं लोगों को भी इस दिशा में आगे कदम बढ़ाना होगा.. लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं।

(लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

STSS: जानलेवा बैक्टीरिया से डरा जापान, पीड़ित मरीज की 48 घंटे में ही हो जाती है मौत, जानिए क्या है यह दुर्लभ और खतरनाक बीमारी

STSS: जानलेवा बैक्टीरिया से डरा जापान, पीड़ित मरीज की 48 घंटे में ही हो जाती है मौत, जानिए क्या है यह दुर्लभ और खतरनाक बीमारी मुख्यधारा डेस्क मौजूदा युग में कई चीजें उल्टी-पुल्टी हो रही हैं। बात की शुरुआत आज […]
j 1 14

यह भी पढ़े