भाजपा, आपातकाल की 50वीं बरसी संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रही है।
लोकतंत्र के काले अध्याय की जानकारी प्रत्येक पीढ़ी को होनी चाहिए : भट्ट
देहरादून/मुख्यधारा
भाजपा, देश की भांति प्रदेश में भी आपातकाल की 50 वीं बरसी को संविधान हत्या दिवस के रूप में मना रही है। इस अवसर पर प्रदेशाध्यक्ष एवं राज्यसभा सांसद महेंद्र भट्ट ने कहा, ये भारतीय लोकतंत्र का वो काला अध्याय है, जिसे हर पीढ़ी को जानना आवश्यक है ताकि भविष्य में फिर कभी संवैधानिक भावनाओं, संसदीय अधिकारों और अभिव्यक्ति की आजादी का दमन न हो सके।
उन्होंने कहा, हम अपने संविधान में सिद्धांतों को मजबूत करने और विकसित भारत के अपने सपने को साकार करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। साथ ही प्रतिबद्धता से हम प्रगति की नई ऊंचाइयों को छूते हुए गरीबों और दलितों के सपनों को पूरा भी कर रहे हैं। लेकिन बावजूद इसके हमारा स्पष्ट मानना है कि भारतीय लोकतंत्र में 25 जून 1975 को लिखे आपातकाल के इतिहास को याद रखना प्रत्येक पीढ़ी के लिए जरूरी है। इसी उद्देश्य से भाजपा इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना को संविधान हत्या दिवस के रूप में देश की तरह प्रदेश में विधानसभा स्तर पर मना रही है। क्योंकि इस दिन, भारतीय संविधान के मूल्यों को दरकिनार कर दिया गया, मौलिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया था, प्रेस की आज़ादी को ख़त्म कर दिया गया और कई राजनीतिक नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं, छात्रों और आम नागरिकों को जेल में डाल दिया गया था। उस वक्त सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने लोकतंत्र को ही गिरफ़्तार कर लिया था। कोई भी देशवासी कभी नहीं भूल पाएगा कि किस तरह हमारे संविधान की भावना का हनन किया गया, संसद की आवाज़ को दबाया गया और अदालतों को नियंत्रित करने का प्रयास किया गया।
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उन्होंने बताया कि पार्टी द्वारा इन कार्यक्रमों में आपातकाल के ख़िलाफ़ लड़ाई में डटे रहने वाले हर व्यक्ति को सलाम किया जा रहा है। जिन्होंने एक ही मकसद से उस समय एक-दूसरे के साथ मिलकर भारत के लोकतांत्रिक ढांचे की रक्षा की। पार्टी, लोकतंत्र के ऐसे सेनानियों को सम्मानित करते हुए, इस दौरान देश की वर्तमान पीढ़ी को आपातकाल की जानकारी देकर, सतर्क करने का काम कर रही है। क्योंकि ये सिर्फ़ एक राजनीतिक घटना नहीं बल्कि संविधान के साथ सीधा सीधा विश्वासघात था। ये लोकतंत्र का वो मज़ाक है जो तत्कालीन कांग्रेस नेतृत्व के सत्ता लालच का प्रतीक था।
भट्ट ने कांग्रेस पर कटाक्ष किया कि आज कांग्रेस पहले से बहुत कमजोर हो गई है, लेकिन फिर भी 50 वर्ष पुरानी उसी मानसिकता के साथ काम कर रही है। उनके शीर्ष नेतृत्व, नेताओं और सरकारों की नीयत आज भी वैसी ही तानाशाही वाली है।