नाट्य व कहानी वाचन में युवाओं के अभिनय की शानदार प्रस्तुति
देहरादून/मुख्यधारा
दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से आज सांय नाट्य अभिनय और कहानी वाचन की एक शाम का आयोजन किया गया। इसमें हिंद स्वराज मंच की ओर से 75 मिनट की एक प्रस्तुति दी गयी। ‘एक पिता की चिट्ठियां, बेटी के नाम’ से इस नाट्य प्रस्तुति में जवाहर लाल नेहरू द्वारा उत्तराखंड के अल्मोड़ा और देहरादून जेल में रहने के दौरान अपनी बेटी इंदिरा को लिखी चिठ्ठीयों को आधार बनाया गया है। यह नाटक दो दृश्यों में प्रस्तुत किया गया।इस नाट्य प्रस्तुति की परिकल्पना सिद्धांत अरोड़ा व मेघा एन विल्सन ने की है। प्रोफेसर कृष्ण दत्त पालीवाल की ‘पिता के पत्र पुत्री के नाम’ के इस संकलन का नाट्य रूपांतर हिन्द स्वराज्य मंच के बिजू नेगी ने किया है। इसमें हरीश रमोला ने जवाहलाल नेहरू व निशा चौहान ने सूत्रधार व राधा पुंडीर ने इंदिरा का अभिनय किया है।
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इसके बाद ‘स्याही कलेक्टिव’ की ओर से ‘दो झुग्गियों की कहानी’ की प्रस्तुति दी गयी। इसकी अवधि 20 मिनट की रही। इसके बाद ‘बैंक की ऐसी की तैसी , ‘खामोश इश्क़ का खुरदरा कैनवास’ पर अमृता प्रीतम व इमरोज़ + ‘रुमैलो’ – विलियम शेक्सपियर के ‘ओथेलो’ के अंश का गढ़वाली अनुकूलन ‘खुदखुशी’ + ‘द बेंच” की प्रस्तुति ‘अभिनय कल्चरल सोसायटी’ द्वारा की गयी और इसकी प्रस्तुति अवधि 22 मिनट की थी।
इसके अलावा अंत में ‘सेठ जी का इलेक्शन’ की प्रस्तुति की गयी। .20 मिनट के इस नाटक को आईपीटीए और जन संवाद समिति ने शानदार ढंग से प्रस्तुत किया. इसमें डॉ. वी.के. डोभाल, अमित बहुखंडी,विनिता रितुनजया, शिखर कुच्छल, सतीश धौलाखंडी ने वाचिक अभिनय किया।
कार्यक्रम में वक्ता के रूप में बिजू नेगी ने कहा कि नाटकीय वाचन, किसी साहित्यिक कृति, जैसे कविता, नाटक या कहानी का सार्वजनिक वाचन या पाठ है, जिसमें आवाज और प्रायः हाव-भाव का नाटकीय प्रयोग किया जाता है, मौखिक व्याख्या को कभी-कभी एक थिएटर कला के रूप में भी देखा जाता है।
वक्ताओं का मानना था कि नाट्य प्रस्तुति में कहानी वाचन “साहित्य का मौखिककरण” या “दर्शकों से संवाद करने की कला, साहित्यिक कला का एक काम है जो अपनी बौद्धिक, भावनात्मक और सौंदर्य संबंधी संपूर्णता में है”। मौखिक व्याख्या को परिभाषित करते समय, यह याद रखना उपयोगी है कि कलाकार आमतौर पर ‘पांडुलिपि से पढ़ रहा होता है।
कार्यक्रम के दौरान पूर्व प्रमुख सचिव,उत्तराखंड शासन, विभापुरी दास,प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी, कार्यक्रम सलाहकर निकोलस हॉफलैंड, शैलेन्द्र नौटियाल, कुलभूषण, हिमांशु आहूजा, सुंदर बिष्ट, मेघा विल्सन, देवेंद्र कांडपाल, हरिचंद निमेष, डॉ.लालता प्रसाद,आलोक सरीन, राकेश सहित कई लेखक, नाट्य प्रेमी, लेखक, साहित्यकार व युवा पाठकगण आदि उपस्थित रहे।