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राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय पैठाणी में गढ़-भोज दिवस की रही धूम

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राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय पैठाणी में गढ़-भोज दिवस की रही धूम

पौड़ी गढ़वाल/मुख्यधारा

आज दिनांक 7 अक्टूबर 2024 को राजकीय व्यावसायिक महाविद्यालय बनास पैठाणी, पौड़ी गढ़वाल के प्राचार्य डॉ. कुमार गौरव जैन के मार्गदर्शन में गढ़-भोज दिवस का भव्य रूप में आयोजन किया गया जिसमे महाविद्यालय के प्राध्यापको एवं छात्र-छात्राओं ने कई महत्वपूर्ण पहाड़ी व्यंजनो जैसे लोंकी की बर्फी, मंडुवा का बाड़ी एवं रोटी, झंगोरा की खीर, मट्ठा का छाछेडा, कंडाली की कापली, चावल के पोहा, मारछा के लड्डू आदि को तैयार कर अपनी परंपरा को बचाने का संदेश दिया।

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कार्यक्रम में प्राचार्य ने छात्र-छात्राओं को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ इन महत्वपूर्ण पहाड़ी व्यंजनों के प्रचार-प्रसार पर जोर दिया। कार्यक्रम सयोजक डॉ. कल्पना रावत ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए गढ़-भोज दिवस की महत्वपूर्ण भूमिका पर अपने विचार व्यक्त किए। डॉ. पुनीत चंद्र वर्मा ने कहा कि आज हमे अपने पारंपरिक व्यंजनों का संरक्षण करना आवश्यक हो गया है जिससे हमारी पहिचान हमेशा बनी रहे।

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डॉ. प्रकाश फोंदणी ने कहा कि देश-विदेश में हमारे स्थानीय उत्पादों की बहुत मांग है जिसमे गुच्छी मशरूम, लिंगडा, काफल, बुरांश का जूस, पीसा नमक, मंडुवा के बिस्कुट, धान के चूड़ा आदि जो कि पोशक तत्वों से भरपूर है। उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पहले के लोग शादी-विवाह आदि में भोजन मालू के पत्तो में करते थे जो कि एंटी बैक्टिरियल और स्वास्थ्य के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। इन्होंने यह भी बताया कि आज ग्लोबल वार्मिंग के दौर में मिलेट्स पर क्लाइमेट चेंज का पॉजिटिव इंपैक्ट देखा जा रहा है। डॉ. गौरव जोशी ने कहा कि पारंपरिक व्यंजनों को बढ़ावा देकर हम इसे उद्यमिता से जोड़ कर स्वरोजगार अपना सकते है।

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डॉ. सतवीर ने कहा कि पहाड़ी व्यंजनों का रख-रखाव से ही हम इन्हे भविष्य के लिए भी संरक्षित कर सकते है। डॉ. दिनेश रावत ने कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों एवं प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष  अनूप बिष्ट भी उपस्थित रहेl बीएससी फाइनल के छात्र ऋषभ भंडारी एवं बीएससी प्रथम वर्ष की छात्रा कीर्ति ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर छात्र-छात्राओं ने विभिन्न व्यंजन तैयार किए जिसमे अरविंद फर्स्ट, अंबिका सेकंड एवं ईशा थर्ड आयी। डॉ. प्रकाश फोंदणी, डॉ. गौरव जोशी, डॉ. पुनीत वर्मा, डॉ. सतवीर ने निर्णायक मंडल की भूमिका में विशेष सहयोग दिया।

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