पीएम मोदी (PM Modi) के शपथ ग्रहण समारोह में मालदीव के राष्ट्रपति मोइज्जू समेत यह विदेशी मेहमान होंगे शामिल
मुख्यधारा डेस्क
राजधानी दिल्ली में एक दिन बाद रविवार को होने वाले नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने शपथ ग्रहण समारोह के लिए देश और विदेशों के कई मेहमानों को न्योता भेजा है। खास बात यह है कि भारत आने वाले विदेशी नेताओं में मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मोइज्जू भी होंगे। जबकि लंबे समय से मालदीव-भारत के बीच तनाव चल रहा है। इसके अलावा बांग्लादेश, श्रीलंका, भूटान, नेपाल, मॉरीशस और सेशेल्स के नेताओं को भी समारोह में आमंत्रित किया गया है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे और नेपाल के प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने आधिकारिक तौर पर अपनी उपस्थिति की पुष्टि कर दी है, तथा आगे और पुष्टि की प्रतीक्षा है।
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बुधवार को मालदीव के राष्ट्रपति मुइज्जू ने कार्यवाहक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लोकसभा चुनाव में जीत की बधाई भी दी थी। गुरुवार देर रात को मुइज्जू ने आमंत्रण स्वीकार करने की पुष्टि की है। मालदीव के अधिकारियों ने बताया कि शपथ ग्रहण में मोहम्मद मुइज्जू और विदेश मंत्री मूसा जमीर जाएंगे। इनके साथ उनके मंत्रिमंडल के तीन सदस्य होंगे। मालदीव की सत्ता में आने के बाद मुइज्जू की यह पहली भारत यात्रा होगी। मोहम्मद मुइज्जू पिछले साल राष्ट्रपति बनने के बाद से तुर्किए और चीन का दौरा कर चुके हैं। नवंबर 2023 में सत्ता में आने के तुरंत बाद, मुइज्जू ने भारतीय वायुसेना के सैनिकों को वापस भेजने का आदेश दिया था। मोइज्जू को चीन समर्थक माना जाता है।
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बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी के लक्षद्वीप दौरे के बाद मालदीव की सरकार के तीन मंत्रियों ने पीएम मोदी के इस दौरे की कुछ तस्वीरों पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच राजनयिक विवाद गहराया था। मामले पर विवाद बढ़ने के बाद इन तीनों मंत्रियों को सस्पेंड कर दिया गया था। वहीं इससे पहले मुइज्जू ने मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों को वापस भेजने का भी फैसला किया था। इसके बाद से दोनों देशों के रिश्तों को लेकर तमाम चर्चाएं शुरू हो गई थीं। लेकिन भारत इसके बाद भी मालदीव की तरह-तरह से मदद करता रहा है। अब इस बीच मालदीव को नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण का न्योता काफी अहम है। मोहम्मद मुइज्जू को आमंत्रित करने का निर्णय यह संदेश देता है कि भारत मालदीव के साथ संबंध और सहयोग को जारी रखना चाह रहा है।