सियासत: निकाय चुनाव के बीच अवैध मदरसों पर की जा रही कार्रवाई पर भाजपा कांग्रेस में घमासान

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सियासत: निकाय चुनाव के बीच अवैध मदरसों पर की जा रही कार्रवाई पर भाजपा कांग्रेस में घमासान

  • अवैध मदरसों पर कार्यवाही को देवभूमि स्वरूप बनाए रखने के लिए भाजपा ने बताया जरूरी
  • ऐन चुनावों के वक्त क्यों याद आए अवैध मदरसे : कांग्रेस

देहरादून/मुख्यधारा

उत्तराखंड निकाय चुनाव के दौरान राज्य में अवैध मदरसों पर हो रही कार्रवाई पर भाजपा कांग्रेस में घमासान मचा हुआ है। भाजपा इसे राज्यहित में बता रही है तो कांग्रेस प्रदेश सरकार से सवाल पूछ रही है कि ऐन चुनाव के वक्त ही ये याद क्यों आई?

भाजपा ने प्रदेश में अवैध मदरसों पर कार्यवाही को देवभूमि स्वरूप बनाए रखने के लिए जरूरी बताया है। साथ ही इसे चुनाव से जोड़ने वालों पर निशाना साधा कि अच्छे कार्य के लिए प्रत्येक अवसर शुभ होता है, कांग्रेस बताए देवभूमि हित में हो रही इस कार्यवाही के पक्ष में है या नहीं?

भाजपा प्रदेश प्रवक्ता विनोद सुयाल ने राज्य सरकार के इस कदम का स्वागत किया है। उन्होंने प्रदेशवासियों की तरफ से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का इस सजगतापूर्ण और प्रभावी निर्णय के लिए आभार व्यक्त किया है। साथ ही स्पष्ट किया कि भाजपा प्रदेश में विकास के साथ इसके देवभूमि स्वरूप पर कोई समझौता नहीं करेगी। लिहाजा जो लोग अवैध मदरसों को संचालित कर या धर्मांतरण, लव जिहाद, लैंड जिहाद की साजिद से प्रदेश की डेमोग्राफी बदलने की साजिश में जुटे हैं, उन्हें किसी भी कीमत पर सफल नहीं होने दिया जाएगा। देवभूमि के सांस्कृतिक, पारंपरिक और आध्यात्मिक स्वरूप के साथ किसी प्रकार का खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस संदर्भ में मुख्यमंत्री धामी ने पहले भी ऐतिहासिक एवं साहसिक निर्णय लिए हैं जिनका असर धरातल पर नजर आने लगा है। परिणाम यह है कि आज देश के कई राज्यों के लिए उनके यह कदम नजीर बनते जा रहे हैं।

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वहीं उन्होंने मदरसों पर हो रही कार्यवाही की टाइमिंग को लेकर उठाए गए विपक्ष के सवालों को पूरी तरह निराधार और राजनीति से प्रेरित बताया। साथ ही कांग्रेस से पूछा, वे इस कार्यवाही को सही मानते हैं या गलत। यदि सही मानते हैं तो सनातनी सिद्धांत, शुभस्य शीघ्रम के अनुशार कोई भी टाइमिंग गलत नहीं हो सकती है। और यदि वह अवैध मदरसों पर हो रही कार्रवाई को गलत मानते हैं तो उन्हें इधर-उधर की बातें करने के बजाय अपना स्पष्ट राजनीतिक विरोध दर्ज कराना चाहिए। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, कांग्रेस पार्टी बंद कमरों में तुष्टिकरण के वादे और फाइलों में सनातन विरोधी निर्देश के लिए जानी जाती है। उनके नेता अंदरखाने तो कार्यवाही का विरोध करते हैं, लेकिन देवभूमि की जनता के डर से इसे सार्वजनिक स्वीकार करने से डरते हैं। तभी चुनाव आदि की टाइमिंग को लेकर सवाल खड़ा कर जनता को भरमाने की असफल कोशिश में लगे हैं।

ऐन चुनावों के वक्त याद आए अवैध मदरसे : गरिमा मेहरा दसौनी

उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने धामी सरकार के द्वारा अवैध मदरसों पर की जा रही कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी है।

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दसौनी ने इस कार्रवाई की टाइमिंग पर सवाल उठाया और कहा कि भारतीय जनता पार्टी के द्वारा बिजनौर से आयात किया गया मदरसा बोर्ड का चेयरमैन मोहम्मद शामून काजमी क्या कुंभकरण की नींद में सो रहा था जो आज अचानक से प्रदेश के अंदर अचानक मशरूम की तरह अवैध मदरसे उग आए हैं? इसका सीधे-सीधे अर्थ है कि मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष ने अपना काम ठीक से नहीं किया। दसोनी ने कहा कि पिछले वर्ष हरिद्वार के मदरसों में 700 हिंदू बच्चों के पढ़ने की खबर आई थी और यह मुद्दा राष्ट्रीय स्तर पर चर्चाओं में रहा था, यदि सरकार तभी जाग गई होती तो शायद आज इस कार्यवाही की जरूरत ना पड़ती।

दसौनी ने कहा कि भाजपा की सरकार को प्रदेश में आठवां साल चल रहा है लेकिन आज तक कभी अवैध मदरसों की सुध नहीं ली गई लेकिन 2022 के बाद से जैसे ही भाजपा का नया कार्यकाल शुरू हुआ है तो एक एजेंडे के तहत काम किया जा रहा है ।दसौनी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी किसी भी रूप में अवैध कब्जों या अवैध क्रियाकलापों का समर्थन नहीं करती लेकिन सरकार को भी दोहरे मापदंड नहीं अपनाने चाहिए।गरिमा ने कहा कि राज्य में कई निजी शिक्षण संस्थान है जो अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं और जिन्होंने सरकारी भूमि कब्जा रखी है इसके अलावा प्रदेश के अंदर बिना अनुमति के नशा मुक्ति केंद्र चलाए जा रहे हैं उनका निरीक्षण कब होगा? गरिमा ने कहा की प्रदेश में कानून व्यवस्था बुरी तरह से डामाडोल है, महिला हॉकी खिलाड़ी के साथ उसी के कोच के द्वारा दुष्कर्म किया जाना प्रदेश को शर्मसार करने वाला है,महिला खिलाड़ियों के परिजन बहुत आशाओं और विश्वास के साथ अपनी बच्चियों को खेलने के लिए सरकार के सुपुर्द करते हैं लेकिन सरकार उन्हें सुरक्षा देने में विफल साबित हो रही है। गरिमा ने कहा कि आखिर ऐसा क्यों है कि चुनाव के समय ही सरकार को म से मुसलमान म से मदरसा और म से मजार याद आ जाती है? कहीं यह सत्ता रूढ़ दल का खौफ तो नहीं?

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