Header banner

Health: टावर, वायरलैस पेसमेकर आरबिटल के लिए अन्य राज्यों से इन्दिरेश अस्पताल पहुंच रहे हार्ट पेशेंट

admin
h 1 20

Health: टावर, वायरलैस पेसमेकर आरबिटल के लिए अन्य राज्यों से इन्दिरेश अस्पताल पहुंच रहे हार्ट पेशेंट

हार्ट पेशेंट्स की पहली पसंद बना श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल

देहरादून/मुख्यधारा

श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के कार्डियोलॉजी विभाग में हाईटैक हार्ट ट्रीमेंट लेने के लिए मरीज़ देश के विभिन्न राज्यों से पहुंच रहे हैं। श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल के ह्दय रोग विभाग 2 कैथ लैब संचालित हैं। कैथ लैब में टावर, आरबिटल, लीडलैस पैसमेकर जैसे अत्याुधनिक हार्ट प्रोसीजर सफलतापूर्वक किए जा चुके हैं।

h 1 19

पिछले दिनों उत्तराखण्ड समेत पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल, बिहार , मध्य प्रदेश, पंजाब, केरल व राजस्थान आदि क्षेत्रों से पहुंचे दो दर्जन से अधिक मरीज़ हाईटैक हार्ट ट्रीटमेंट का लाभ ले चुके हैं।

पेशेंट सुमित्रा देवी उम्र 81 वर्ष निवासी लखनउ, उत्तर प्रदेश को लंबे समय से हृदय सम्बन्धित परेशानी थी। पेशेंट उत्तर प्रदेश के कई बड़े नामचीन अस्पतालों के ह्दय रोग विशेषज्ञों से परामर्श ले चुकीं थीं परंतु उन्हें स्वास्थ्य लाभ नहीं मिल पाया। एसजीपीजीआई लखनउ में जाॅचों के बाद ओपन हार्ट सर्जरी के लिए परामर्श दिया गया था। पूर्व उपचार में मरीज को बाईपास सर्जरी की भी सलाह दी गई थी।

यह भी पढ़ें : भ्रष्टाचारियों के लिए काल बना धामी सरकार का 1064 “भ्रष्टाचारमुक्त एप”, 68 भ्रष्टाचारी भेजे जेल

पेशेंट सुमित्रा देवी और पेशेंट सुनील कुमार दोनों निवासी लखनऊ को जब श्री महंत इन्दरेश अस्पताल के वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट व कॉर्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. सलिल गर्ग के बारे में जानकारी प्राप्त हुई। वह बिना विलंब किए डॉ. सलिल गर्ग से चिकित्सकीय परामर्श हेतु उत्तर प्रदेश से श्री महंत इंदिरेश अस्पताल, देहरादून पहुंचे। डॉ सलिल गर्ग द्वारा सुमित्रा देवी की हृदय संबंधित जांच करने के बाद पाया गया की मरीज की नसों में कैल्शियम जमा था। प्राररिभक जाॅचों में स्टैंट लगने की सम्भावना थी। डाॅ सलिल गर्ग ने पेशेंट के हार्ट वाॅल्व को बदलने का निर्णय लिया। इस केस की रोचक एवम् महत्वपूर्णं बात यह रही कि मरीज़ के इलाज में स्टैंट और टावर दोनों हार्ट प्रोसीजर एक साथ किए गए। आमतौर पर स्टेंट और टावर प्रोसीजर को अलग अलग समय पर मरीज़ को भर्ती कर किया जाता है।

इस मामले में एक साथ दोनों प्रोसीजर किए गया है। यह उत्तराखण्ड में किसी हार्ट पेंशेंट का पहला केस रजिस्टर्ड हुआ है, जिसमें स्टैंट और टावर एक साथ किए गए।

यह भी पढ़ें : देहरादून : सेंट जोसेफ एकेडमी से नहीं ली जाएगी भूमि वापस, कांग्रेस ने जताई कड़ी प्रतिक्रिया

दूसरे मामले में पेशेंट सुनील कुमार को तीन से चार महीनों से सीने में दर्द व सांस फूलने की शिकायत थी। प्रारम्भिक जाॅचों में इनकी हृदय धमनियों में अवरोध पाया गया। इनको स्टेंट लगाया गया। इस केस की खास बात यह रही कि सुनील कुमार लखनऊ से चिकित्सकीय परामर्श लेने के लिए श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल की अत्याधुनिक कैथ लैब में पहुंचे। ऐसी टाइटैक तकनीकों का लाभ लेने के लिए अन्य राज्यों से भी हार्ट पेशेंट श्री महंत इन्दिरेश अस्पताल में आ रहे हैं।

Next Post

न्यूनतम मजदूरी तय: केंद्र सरकार का न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का फैसला 1 अक्टूबर से लागू, करोड़ों दैनिक मजदूर का जीवन यापन होगा बेहतर

न्यूनतम मजदूरी तय: केंद्र सरकार का न्यूनतम मजदूरी बढ़ाने का फैसला 1 अक्टूबर से लागू, करोड़ों दैनिक मजदूर का जीवन यापन होगा बेहतर मुख्यधारा डेस्क किसी भी देश की तरक्की के लिए श्रमिक, मजदूर या लेबर वर्ग का सबसे बड़ा […]
l 1 2

यह भी पढ़े