Header banner

ग्राफिक एरा में राष्ट्रीय संगोष्ठी, ‘जीवन के लिए रेडियेशन भी जरूरी’

admin
g 1 7

ग्राफिक एरा में राष्ट्रीय संगोष्ठी, ‘जीवन के लिए रेडियेशन भी जरूरी’

देहरादून/मुख्यधारा

भाभा एटोमिक रिसर्च सेण्टर के स्वास्थ्य सुरक्षा और पर्यावरण समूह के निदेशक डा. दिनेश कुमार असवाल ने कहा कि वातावरण में मौजूद प्राकृतिक रेडियेशन भी जीवन के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है।

g 1 6

डा. दिनेश कुमार असवाल आज ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में रेडियेशन पर केन्द्रित तीन दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि रेडियेशन प्रत्यश रूप से कैन्सर जैसी गम्भीर बिमारियों के लिए जिम्मेदार नहीं होता। मानव निर्मित आपदा या फिर प्राकृतिक आपदाओं का हस्तक्षेप इसे हानिकारक बनाता है। उन्हांेने कहा कि न्यूक्लियर एनर्जी देश के ह्यूमन डेवलपमेण्ट इन्डैक्स को बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण है लेकिन रेडियेशन को लेकर भ्रमित लोग न्यूक्लियर एनर्जी को अपनाने में संकोच करते हैं। डा. असवाल ने शोधकर्ताओं को न्यूक्लियर एनर्जी व रेडियेशन के प्रति समाज में जागरूकता फैलाने का आह्वान किया।

यह भी पढ़ें : उत्तराखंड में अतिशीघ्र साइबर सिक्योरिटी टास्क फोर्स का गठन किया जाए : मुख्यमंत्री धामी

नेशनल नेडोन नेटवर्क सोसायटी (रेडनेट) के अध्यक्ष प्रो. आर. सी. रमोला ने कहा कि सोलर व टेरिस्ट्रियल सहित विभिन्न प्रकार के रेडियेशन वातावरण में मौजूद हैं। सामान्य तौर पर प्रतिदिन 0.31 रेम रेडियेशन मनुष्यों के लिए सुरक्षित है। उन्होने कहा कि रेडियेशन पर मौजूदा शोधकार्य ज्यादातर यूरोपीय देशों और अमेरिका पर आधारित हैं। इन देशों का वातावरण अन्य देशों की तुलना में अलग है। प्रो. रमोला ने एशियाई देशों में रेडियेशन पर शोधकार्यों के लिए वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं को संयुक्त रूप से योगदान देने के लिए प्रोत्साहित किया।

यह भी पढ़ें : अवैध रूप से लीसा ले जा रहे ट्रक को पश्चिमी पिंडर रेंज के वन कर्मियों ने किया जब्त, अंधेरे में ट्रक चालक फरार, मुकदमा दर्ज

संगोष्ठी में कुलपति डा. नरपिन्दर सिंह ने कहा कि रेडियेशन का उपयोग एक्स-रे, थायराइड और बिजली उत्पादन में भी होता है। हिमालयी क्षेत्रों में नियमित रूप से इसकी मात्रा जांचने के लिए माॅनिटरिंग सिस्टम का उपयोग किया जाना चाहिए। तीन दिवसीय संगोष्ठी के पहले दिन आज स्मारिका का विमोचन किया गया और 12 से ज्यादा शोधपत्र पढ़े गए। शोधपत्र प्रस्तुत करने वालों में पैनोइआ यूनिवर्सिटी, हंगरी के प्रो. टिगोर कोवाक्स व डा. मिकलोर हेगेडूस, हिरोसाकी यूनिवर्सिटी जापान के डा. वाई. ओमोरी, भाभा एटोमिक रिसर्च सेण्टर मुम्बई की डा. रोसालिन मिश्रा, नेताजी सुभाष यूनिवर्सिटी आफ टेक्नोलाॅजी दिल्ली के डा. पी. बंगोत्रा और कैरियर ट्रांसफोरमेशन यूनिवर्सिटी, जालन्धर के डा. सतवीर सिंह शामिल थे। संगोष्ठी का संचालन छवि कौशिक ने किया।
संगोष्ठी का आयोजन डिपार्टमेण्ट आफ फिजिक्स ने नेशनल रेडोन नेटवर्क सोसायटी के सहयोग से किया। संगोष्ठी में संयोजक डा. संजीव किमोठी, रेटनेट के समन्वयक प्रो. कुलदीप सिंह, डा. किरण शर्मा सहित विभिन्न शोधकर्ता, वैज्ञानिक और पीएचडी स्काॅलर मौजूद रहे।

यह भी पढ़ें : नोबेल प्राइज : दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलने की हुई शुरुआत, चिकित्सा के क्षेत्र में नोबेल प्राइज विक्टर एम्ब्रोस और गेरी रुवकुन को दिया जाएगा

Next Post

आम जनमानस की सेवा एवं सुविधा में कोई व्यवधान क्षम्य नहीं :  डीएम सविन बंसल 

आम जनमानस की सेवा एवं सुविधा में कोई व्यवधान क्षम्य नहीं :  डीएम सविन बंसल  चाहे कुछ भी हो जाए असेंवदनशीलता एवं लापरवाही को बक्शा नही जाएगा एआरटीओ कार्यालय ऋषिकेश का बाबू निंलम्बित तथा एआरटीओ का तीन दिन में स्पष्टीकरण […]
d 1 32

यह भी पढ़े