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‘Maerey Gaon ki Batt’ : “मैरै गांव की बाट” का देहरादून में शुभारंभ, फिल्म देखने उमड़ा जनसैलाब

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‘Maerey Gaon ki Batt’ : “मैरै गांव की बाट” का देहरादून में शुभारंभ, फिल्म देखने उमड़ा जनसैलाब

नीरज उत्तराखण्डी

5 दिसंबर, देहरादून उत्तराखंड की पहली जौनसारी फीचर फिल्म “मैरै गांव की बाट” ‘Maerey Gaon ki Batt’ का आज देहरादून के सेंट्रियो मॉल में शुभारंभ हुआ। चकराता विधायक प्रीतम सिंह, पूर्व मंत्री नारायणसिंह राणा ने संयुक्त रूप से फिल्म का उद्घाटन किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में दर्शकों का जनसैलाब उमड़ा, जिन्होंने फिल्म को लेकर उत्साह और गर्व प्रकट किया।

फिल्म में जौनसार-बावर की समृद्ध लोक संस्कृति, परंपराओं और रीति-रिवाजों को जीवंत रूप में प्रस्तुत किया है, यह फिल्म पहले ही क्षेत्रीय और राज्य स्तर पर चर्चा का केंद्र बना हुआ है। देहरादून में प्रीमियर के दौरान दर्शकों की भारी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि इस फिल्म को लेकर लोगों में जबरदस्त उत्सुकता है। यह जौनसार-बावर की पहली फीचर फिल्म है, जो क्षेत्र की विशिष्ट पहचान, खानपान, लोक कला, और संयुक्त परिवार की महत्ता पर आधारित है। फिल्म में रिवर्स पलायन जैसे महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को प्रभावी ढंग से दर्शाया गया है।

फिल्म का निर्माण आयुष गोयल ने किया है और निर्देशन का कार्यभार सुप्रसिद्ध फिल्मकार अनुज जोशी ने संभाला है। मुख्य भूमिकाओं में अभिनव चौहान और प्रियंका ने प्रभावशाली अभिनय किया है।

चकराता विधायक प्रीतम सिंह ने उद्घाटन समारोह में फिल्म को क्षेत्रीय संस्कृति के प्रचार और संरक्षण की दिशा में ऐतिहासिक पहल बताया। उन्होंने कहा, “यह फिल्म न केवल जौनसार-बावर की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने का काम करेगी, बल्कि इसे देश-विदेश तक पहुंचाने का माध्यम बनेगी।”

दर्शकों ने फिल्म की कहानी, क्षेत्र की नैसर्गिक सुंदरता और कलाकारों के अभिनय की भूरि-भूरि प्रशंसा की। यह फिल्म 6 दिसंबर को विकासनगर के पिक्चर हॉल में प्रदर्शित की जाएगी। “मैरै गांव की बाट” न केवल जौनसार-बावर बल्कि पूरे उत्तराखंड की पहचान को नई ऊंचाइयों पर ले जाने का वादा करती है। यह प्रयास क्षेत्रीय सिनेमा के लिए एक प्रेरणा बन सकता है।

मैरै गांव की बाट” ने रचा इतिहास

जौनसार बावर की पहली फीचर फिल्म “मैरै गांव की बाट” (Maerey Gaon ki Batt) 5 दिसम्बर को जैसे ही देहरादून के सेंट्रियो मॉल में प्रारम्भ होगी, वैसे ही उत्तराखंड के जौनसार बावर की जौनसारी भाषा विश्व सिनेमा के रिकॉर्ड में भी हमेशा के लिए दर्ज हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि इससे पहले उत्तराखंड में गढ़वाली व कुमाउनी भाषा की काफी फिल्में बन चुकी हैं, पर जौनसार बावर की लोकभाषा में फ़िल्म कभी बन नहीं पाई, सीडी स्तर की एक दो छोटी फिल्मों के प्रयोग जरूर हुए पर सिनेमाहॉल के रुपहले पर्दे पर अपनी भाषा संस्कृति को देखने का अनुभव ही अलग होता है। और जौनसार बावर 5 दिसम्बर को इसी अनुभव से रूबरू होकर इतिहास रचने जा रहा है।

 क्षेत्र में बढ़ेंगे रोजगार के अवसर

पहली जौनसारी फ़िल्म “मैरै गांव की बाट” भले ही जौनसार बावर की संस्कृति को प्रचारित करने वाली है, बल्कि साथ ही इस क्षेत्र में रोजगार व कारोबार की दिशा में भी सकारात्मक बदलाव लाने वाली है। कई क्षेत्रों के पिछले अनुभव बताते हैं कि जिस जिस क्षेत्र की छोटी बड़ी फिल्म इंडस्ट्री बनी है वहां रोजगार में काफी फर्क पड़ा है। सिनेमा व संगीत के अलावा पर्यटन उद्योग पर भी चौतरफा प्रभाव पड़ता है। स्थानीय होम स्टे, रेस्टारेंट आदि उद्योगों पर भी स्थानीय सिनेमा बड़ा असर डालता है।

पर्यटन उद्योग को भी लगेंगे पंख

“मैरै गांव की बाट” महज एक फ़िल्म नहीं है, बल्कि इससे प्रभावित होकर इस क्षेत्र में और भी कई फिल्मों का निर्माण होने वाला है। जिससे फिल्मकार क्षेत्र की नई नई लोकेशन फ़िल्म शूटिंग के लिए खोज कर देश विदेश में उन्हें प्रचारित करते रहेंगे। जिसका सीधा फर्क पर्यटन उद्योग पर पड़ता है। एक अनुमान के अनुसार नेपाल, पूर्वोत्तर भारत मे स्थानीय सिनेमा के बढ़ने का असर वहां के पर्यटन पर भी बढ़ता देखा गया। उसी कड़ी में जौनसार बावर में सिनेमा का पहला कदम पर्यटन उद्योग को भी बढ़ा सकता है।

हिमाचल को भी बेसब्री से है इंतजार

जौनसार बावर से सटे हिमाचल के सिरमौर व शिमला जनपद में भी जौनसार की तरह की ही भाषा व संस्कृति पाई जाती है। हिमाचल में भी चूंकि बड़े पर्दे पर कोई फ़िल्म आज तक नहीं बन पाई तो वहां के लोगों में भी “मैरै गांव की बाट” का बेसब्री से इंतजार है। हिमाचल के मशहूर लोकगायक विक्की चौहान और कुलदीप शर्मा ने भी पहली जौनसारी फ़िल्म
“मैरै गांव की बाट” की रीलिज का स्वागत करते हुए अपील की है कि इस फ़िल्म को शिमला व पौण्टा साहिब के सिनेमा हॉल में जरूर लगाया जाए।

के0एस0 चौहान की थी परिकल्पना

जौनार बावर की पहली फीचर फिल्म की परिकल्पना कई वर्शो से के0एस0चौहान के मन में थी, जिसको उन्होंने निर्देशक अनुज जोशी के साथ मिलकर धरातल पर उतारा। यह फिल्म इतिहास के पन्हों पर अंकित हो गई है।

तीस साल पहले का सपना हुआ साकार

30 साल पहले निर्देशक अनुज जोशी जौनसार के रक विवाह में गए थे, वहां की अद्भुत संस्कृति देखकर उनके मन मे आया कि कभी भव हुआ तो इस पर एक जौनसारी फ़िल्म बनाऊंगा। बाद में वो मुम्बई चले गए, वहां कई हिंदी फिल्मों व धारावाहिकों से जुड़े रहे। बाद में कई गढ़वाली कुमाउनी फिल्मों का निर्माण किया। कई बार कोशिश की कि कहीं से ऐसे सफ़हन जुटें ताकि जौनसारी फ़िल्म बना सकें, पर सफलता नहीं मिली, आखिर एक दिन बातों बातों में उन्होंने देहरादून में के एस चौह जी से इस सपने का जिक्र किया, तो पता चला कि वे भी कई सालों से ऐसा ही सपना लेकर बैठे थे। बस दोनों ने मिलकर इस सपने को पूरा करने का निश्चय किया, और अंततः सपना साकार हो गए।

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अभिनव चौहान- जौनसार में अभिनय का इकलौता सितारा

यूं तो जौनसार बावर में प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं। हर क्षेत्र में यहां के युवाओं ने अपनी प्रतिभा से सभी को प्रभावित किया है।

कला के क्षेत्र में भी यहां के बहुत युवाओं ने राष्ट्रीय व प्रदेश स्तर पर अपनी चमक बिखेरी है। मगर अभिनय के क्षेत्र में अभिनव चौहान ने जिस तेजी से अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है वो चौंकाने वाली है। इसी साल उनकी मुख्य चरित्र वाली गढ़वाली फ़िल्म “असगार” ने सफलता के झंडे गाड़े थे। फ़िल्म में सभी ने उनके अभिनय की मुक्त कंठ से सराहना की थी,और अब वो नजर आएंगे पहली जौनसारी फ़िल्म ” मैरै गांव की बाट “मुख्य नायक के किरदार में। एक तरह से वो जौनसार के ऐसे पहले युवा हैं जो अभिनय के क्षेत्र में इस स्तर पर अपनी चमक बिखेर रहे हैं।

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पिचानवे फीसदी कलाकार पहली बार पर्दे पर

जौनसार बावर की पहली फ़िल्म ” मैरै गांव की बाट ” में लगभग सभी कलाकार पहली बार कैमरे के सामने थे। यहां तक कि किसी को रंगमंच का भी अनुभव नहीं था। सिर्फ फ़िल्म के नायक अभिनव चौहान ने कुछ फिल्मों व रंगमंच में काम किया हुआ है, पर बाकी सब नए थे। हास्य कलाकार बालम विक्रम ने जरूर कुछ कॉमेडी वोदियो में काम किया था पर इस स्तर पर वो भी पहली बार काम कर रहे थे। दो तीन कलाकारों ने म्यूजिक वीडियो में जरूर काम किया था पर फ़िल्म का यह उनका पहला अनुभव था। इतने अनुभवहीन कलाकारों के साथ फ़िल्म बनाना शायद इतना आसान भी नहीं है। पर चूंकि कलाकारों ने बहुत लगन व मेहनत से कम किया तो उतनी मुश्किल भी नहीं आई।

दो बाल कलाकार, बड़ों बड़ों पर भारी

मैरै गांव की बाट में यूं तो 20 के लगभग कलाकार हैं, पर इस फ़िल्म की हाइलाइट हैं दो बाल कलाकार, तनिष्क व आरुषि। फ़िल्म से जुड़े लोगों के अनुसार ये बच्चे जिस भी सीन में आते हैं, तो सीनियर कलाकारों पर भारी पड़ जाते हैं। पूरी फिल्म में ये बच्चे दर्शकों को गुदगुदाएंगे, हंसाएंगे और अपनी शरारतों से भरपूर मनोरंजन करेंगे।

मैरै गांव की बाट-लाजवाब गीत, संगीत

जौनसार बावर की ओनली फ़िल्म ” मैरै गांव की बाट ” का मजबूत पक्ष है इसका गीत संगीत। एक तरफ फ़िल्म में काम Song वाले अधिकांश कलाकार जहां अनुभवहीन थे वहीं गीत संगीत रचने वाली टीम में सभी अनुभवी लोग थे। फ़िल्म के गीत जहां सुप्रसिध्द गीतकार ध्याम सिंह चौहान ने लिखे वहीं धुन वरिष्ठ गायक सीताराम चौहान की है। संगीत अनुभवी अमित वी कपूर का है तो गायन में अतर शाह, अज्जू तोमर व मीना राणा जैसे अनुभवी गायक शामिल हैं। फ़िल्म में छह गीत हैं जो एक से बढ़कर एक लगते हैं।

बालम विक्रम अद्भुत जोड़ी

जौनसार बावर की अद्भूत कॉमेडी जोड़ी ने इस फिल्म में कमाल का अभिनय किया है। इन दोनों के अभिनय को सभी सराह रहे है।

देहरादून में रविवार तक हाउसफुल

फिल्म का इतना क्रेज है की रविवार तक हाउसफुल हो चुका है। आज भी लोग सेंट्रियो माल से बाहर बिना फिल्म देखे कई लोग निराशा रहे।

गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी सहित तीन पदमश्री पहुंचे फिल्म देखने

देहरादून सेंट्रियो मॉल में लगी मैरै गांव की बाट फिल्म को देखने जहां बड़ी संख्या में गणमान्य लोग पहुंचे हुए थे वही गढ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी सहित पदमश्री प्रीतम भरतवाण व पदमश्री कल्याण सिंह रावत, पदमश्री आरके जैन भी फिल्म देखने पहुंचे थे ।

इस अवसर पर चकराता के विधायक प्रीतम सिंह, पदमश्री प्रीतम भारतवाण, पदमश्री कल्याण सिंह रावत, पदमश्री आरके जैन, गढ़ रत्न नरेंद्र सिंह नेगी, मूरतराम शर्मा, बॉबी पवार, प्रताप रावत, प्रेस क्लब के अध्यक्ष चंदराम राजगुरु, अपर सचिव अतर सिंह, संयुक्त सचिव जियालाल, राजाराम शर्मा, खजान दत्त शर्मा, डा. नंदलाल भारती, इंदर सिंह नेगी, मनोज इष्टवाल, फिल्म के निर्देशक अनुज जोशी, फिल्म के प्रस्तुत कर्ता के. एस चौहान, पूर्व मंत्री नारायण सिंह राणा, श्रीचंद शर्मा, भारत चौहान अनिल तोमर, जयपाल सिंह चौहान, सीताराम चौहान, अज्जू तोमर, सीताराम शर्मा, श्याम सिंह चौहान आदि सहित अनेक लोग उपस्थित थे।

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