मामचन्द शाह
देहरादून। एक ओर जहां सोने-चांदी के भाव धड़ाम हो गए हैं तो वहीं पांच-पांच, दस-दस व 40-50 रुपए वाले मास्क व सेनिटाइजर जैसी चीजों से खूब चांदी कांटी जा रही है। ऐसा हो भी क्यों न, आखिर हमेशा ऊंट ही सबसे ऊंचा थोड़े ही रहेगा, कभी तो वह भी पहाड़ के नीचे आएगा न!
तो अपने पाठकों को बताते चलें कि इस बार कोरोना ने ऐसा योग बनाया है कि इससे ऊंट भी पहाड़ के नीचे आ गया है। शायद ही उत्तराखंड में शराब का ऐसा कोई देशी-विदेशी ठेका हो, जो प्रत्येक ग्राहक से ओवररेट न वसूलते हों। किसी ने विरोध किया तो मार-पिटाई तक की जाती है तो कई बार वसूली जैसे अनर्गल आरोप लगाकर ग्राहक को ही फंसा दिया जाता है।
कोरोना का खौफ ठेके में काम करने वालों को कैमिस्ट तक लाया तो वहां उन्हें लग रहा है कि जो मास्क पांच-दस रुपए का आता है, उसकी कीमत 30, 40, 100, 200 व तीन सौ तक कैसे हो गई? वहीं जो सेनिटाइजर 40-50 का आता था, उसके रेट 150 से लेकर 300 तक कैसे पहुंच गया है? अब हमेशा प्रत्येक अद्धा-पव्वा पर लोगों की जेबें काटने वालों को भला यह ओवररेट हजम कैसे हो सकता है? लेकिन कैमिस्ट वाले भी ठेके वालों की नब्ज भांपकर उनसे आमजन का खूब बदला ले रहे हैं। टस से मस होने को कैमिस्ट तैयार नहीं हैं और धड़ल्ले से ओवर रेट पर मास्क-सेनिटाइजर बेचे जा रहे हैं। हां बिल देने के नाम पर शराब ठेके वालों की तरह ही कैमिस्ट वालों को भी सांप सूंघ रहा है। अब यह अलग बात है कि शासन-प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है कि ओवररेट में कोई भी मेडिकल सामान नहीं बेचा जा सकता, पर एक मास्क के चक्कर में कौन शिकायत करे… सोचकर आम जन ओवर रेट चुकता कर वहां से चलता बन रहा है।
ओवरेटिंग करने पर चार मेडिकल स्टोर का चालान
शनिवार को उप जिलाधिकारी सदर के नेतृत्व में जिला पूर्ति अधिकारी, बाट माप निरीक्षक एवं ड्रग इंसपेक्टर की संयुत्त टीम ने जनपद के विभिन्न क्षेत्रों तहसील चौक, चकराता रोड आदि स्थानों में सेनेटाईजर तथा मास्क का विक्रय नियंत्रित ररखने हेतु 20 मेडिकल स्टोर का औचक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान चार मेडिकल स्टोर पर ओवरेटिंग पाए जाने पर टीम द्वारा मौके पर ही चालान किया गया। इसी के साथ इस बात पर भी मुहर लग गई है कि कई जगहों पर ओवररेट वसूला जा रहा है।
अब बेचारे शराब ठेके में काम करने वाले लोगों को कैमिस्ट की यह दादागिरी पच नहीं रही और शिकायत करने जैसी बातें बोलकर कैमिस्ट वालों को गुर्ररा रहे हैं!
सवाल यह है कि शिकायत किससे करेंगे? खुद की शिकायत होने पर भी जब उन्हें जब कोई फर्क नहीं पड़ता तो अब तो को-रो-ना है, ऐसे में भला कौन सुन सकेगा!
उल्लेखनीय है कि चारों तरफ कोरोना-को-रो-ना के खौफ का जिस तरह हौवा बना हुआ, ऐसी स्थिति नहीं है। अब तक यहां तीन मरीजों की पाजिटिव रिपोर्ट आई है। बावजूद इसके एहतियातन उत्तराखंड में इसे महामारी घोषित कर दिया गया है। बाहर से आने वाले पर्यटकों पर रोक लग गई है। स्कूल, कालेज, मॉल, होटल सब बंद कर दिए गए हैं। वर्क फ्रॉम होम की पॉलिसी लागू हो गई है और अब रविवार 22 मार्च को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जनसंदेश के अनुसार जनता कर्फ्यू नामक अभियान से कोरोना से बचाव का रास्ता निकाला है।
अब गौर करने लायक है कि आम जन के स्वास्थ्य को लेकर उत्तराखंड सरकार कितनी मुस्तैद रहती है, इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जहां सभी संस्थान बंद किए जा चुके हैं, वहीं वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आबकारी विभाग द्वारा मदिरा की दुकानों का किसी जिले में मास्क पहनकर तो कहीं बिना मास्क पहनकर ही आवंटन कराया गया। यानि विभागीय कर्मियों की चिंता न करते हुए आम जन को कोरोना जैसी महामारी में ‘सुरापान’ जैसा अमृत पिलाने को प्राथमिकता में रखा गया!
बहरहाल, प्रदेश के सुरा प्रेमी, ओवररेट वसूलने वाले शराब माफिया नामक ऊंट को पहाड़ के नीचे आते देख फिलवक्त बहुत खुश हैं। लेकिन इस सबके बीच कोरोना जैसी भयानक महामारी को जागरूकता व बचाव से ही हराया जा सकता है। उम्मीद है प्रदेश सरकार जल्द कोरोना पर नियंत्रण पा लेगी और इसका असर धीरे-धीरे कम होने लगेगा।