कोरोना वारियर्स नर्सिंग स्टाफ को पांच माह से नहीं मिला वेतन। संवेदनहीन आयुर्वेद विवि प्रशासन की खुली पोल - Mukhyadhara

कोरोना वारियर्स नर्सिंग स्टाफ को पांच माह से नहीं मिला वेतन। संवेदनहीन आयुर्वेद विवि प्रशासन की खुली पोल

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मकान किराया और राशन के लिए भी पैसा नहीं

हरिद्वार। कोरोना महामारी के दौर में जोखिम भरी परिस्थितियों में भी ड्यूटी में रात-दिन मुस्तैद रही उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के तीनों परिसरों में स्थित लगभग तीस स्टाफ नर्सेज/नर्सिंग अधिकारियों को पांच माह से वेतन नहीं दिया गया है। जिस कारण वे भुखमरी के कगार पर आ खड़े हुए हैं।

विश्वविद्यालय प्रशासन की संवेदनहीनता के कारण फ्रंटलाइन कोरोना योद्धाओं के सब्र का बांध भी टूटने लगा है और वे ड्यूटी करने के उपरांत धरना देने को विवश हैं।
प्रदेश सरकार की नीति के विरुद्ध आयुर्वेद विश्वविद्यालय प्रशासन की अव्यवस्थाएं सुधरने का नाम नहीं ले रही हैं। हालात ऐसे हो गये हैं कि कार्मिकों को कभी समय पर वेतन नहीं मिल पाता है।

निजी कंपनियों को भी कोरोना महामारी में बिना काम के भी वेतन देने की व्यवस्था करने वाली सरकार के अपने ही विश्वविद्यालय में कोरोना फ्रंटलाइन नर्सिंग अधिकारियों को पिछले पांच माह से वेतन नहीं मिला।

विश्वविद्यालय के देहरादून में और हरिद्वार स्थित दो परिसरों में अस्पताल हैं। पूर्व में हरिद्वार के दोनों कालेज और अस्पताल राजकीय थे, तब वेतन और अस्पतालों में दवाओं आदि की व्यवस्था लगभग दुरुस्त थी।

विश्वविद्यालय के पूर्व में तैनात रहे कुछ भ्रष्ट एवं चर्चित अधिकारियों ने अपने काम व परिसंपत्तियों आदि का दायरा बढ़ाने के लिए दोनों राजकीय कालेजों व अस्पतालों को विश्वविद्यालय परिसर बनवा दिया। तब से व्यवस्थाएं बिगड़ती रही। निजाम बदल गये, लेकिन व्यवस्था नहीं बदली।
पांच माह से वेतन नहीं मिलने पर नर्सिंग अधिकारियों के सब्र का बांध टूटने लगा है। इनमें अधिकांश पर्वतीय दूरस्थ क्षेत्रों से हैं, जो परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर नौकरी कर रही हैं। आपात ड्यूटी और लाकडाउन के चलते वे घर भी नहीं जा पा रहीं हैं। इनमें नर्सिंग स्टाफ सदस्य गर्भवती और विधवा भी हैं, जो बाहर किराए के भवनों में रहती हैं। अधिकांश कर्ज लेकर अब तक भरण पोषण करती रही, लेकिन पांच माह से वेतन नहीं मिलने पर अब कोई उधार देने के लिए भी तैयार नहीं है।

विवश होकर उन्होंने ड्यूटी के बाद ऋषिकुल परिसर के बाहर दो घंटे का धरना दिया, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग और धारा 144 के प्रावधानों का पूरा ध्यान रखा गया।

उन्होंने कहा है कि यदि शीघ्र वेतन नहीं मिला तो वह पूरी ड्यूटी करने के बाद मंगलवार से अधिकतम चार सदस्य नियमित धरना देंगे।

उनका यह भी कहना है कि जिला प्रशासन उनसे कोरोना ड्यूटी तो ले रहा है, लेकिन वेतन दिलाने के लिए भी सहयोग करे तो अच्छा होगा, ताकि हम पूरे मनोबल के साथ महामारी से मुकाबले में भरपूर योगदान दे सकें।

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