मामचन्द शाह
उत्तराखंड में आगामी विधानसभा चुनाव 2022 के लिए चुनावी शंखनाद बज चुका है। अन्य सीटों की तरह ही यमकेश्वर विधानसभा सीट पर भी कई प्रत्याशियों ने तैयारियां तेज कर दी हैं। हालांकि हमेशा की तरह इस बार भी यहां से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही मुख्य मुकाबला होने जा रहा है। उक्रांद व आम आदमी पार्टी की गूंज क्षेत्र की फिजाओं में तैरनी अभी बाकी है। बावजूद इसके दोनों बड़े दलों के प्रत्याशियों के बीच अभी से खींचतान शुरू हो गई है। इस सीट पर पुराने रिकार्ड को देखते हुए दोनों ही दल इस बार जिताऊ प्रत्याशी पर दांव लगाकर सभी को चौंका सकते हैं।
बताते चलें कि यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्र को भारतीय जनता पार्टी के सबसे सुरक्षित गढ़ माना जाता है। राज्य गठन के बाद से अब तक चार विधानसभा चुनाव हुए और सभी में भाजपा के प्रत्याशियों की जीत हुई। इस क्षेत्र ने विधानसभा उपाध्यक्ष से लेकर कैबिनेट मंत्री तक सरकार को दिए, किंतु वे प्रत्याशी जनता की उम्मीदों पर हमेशा पानी फेरते रहे। फलस्वरूप आज भी विधानसभा क्षेत्रवासी छोटी-छोटी मूलभूत समस्याओं के लिए जूझ रहे हैं। यह स्थिति तब है, जब ये विधानसभा सीट ऋषिकेश से बिल्कुल सटी हुई है। ऐसे में प्रदेश के दुर्गम व सीमांत दूरस्थ क्षेत्रों की स्थिति को स्वयं महसूस किया जा सकता है।
आइए यमकेश्वर विधानसभा सीट पर राज्य गठन के बाद हुए चार विधानसभा चुनावों पर एक नजर डालते हैं:-
प्रथम विधानसभा चुनाव 2002
- कुल मतदाता(सर्विस मतदाताओं सहित)34915
- मत पड़े : 28001
- (कुल 16 प्रत्याशी मैदान में थे)
- विजय बड़थ्वाल, भाजपा 7404
- सरोजिनी कैंतुरा, कांग्रेस 5957
- दिगम्बर कुकरेती 4684
- हरि सिंह 2322
- सत्य प्रकाश 1664
- लाखन सिंह 1402
- भगवती प्रसाद 1313
द्वितीय विधानसभा चुनाव 2007
- कुल मतदाता(सर्विस मतदाताओं सहित) 55907
- मत पड़े : 30135
- (कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे)
- विजय बड़थ्वाल, भाजपा 11172
- रेनू बिष्ट, कांग्रेस 8331
- दिगम्बर कुकरेती 4902
- शक्तिशैल कपरुवाण उक्रांद 2827
- राजेश कुकरेती 636
- उषा देवी 575
- अरुण तिवारी 273
- नवनीत 415
- मदन सिंह बुटोला 389
- मनोहर लाल बड्थ्वाल 427
- राजेश कुकरेती 636
तृतीय विधानसभा चुनाव 2012
- कुल मतदाता(सर्विस मतदाताओं सहित) 78147
- मत पड़े : 42994
- (कुल 12 प्रत्याशी मैदान में थे)
- विजय बड़थ्वाल, भाजपा 13842
- सरोजिनी कैंतुरा, कांग्रेस 10301
- रेनू बिष्ट, 8541
- शक्तिशैल कपरुवाण, उक्रांद 3539
- मनोज कुलाश्री, 2149
- शूरवीर सिंह बिष्ट, 1212
- चंद्र प्रकाश, 859
चतुर्थ विधानसभा चुनाव 2017
- कुल मतदाता(सर्विस मतदाताओं सहित) 83498
- मत पड़े : 46155
- (कुल 8 प्रत्याशी मैदान में थे)
- ऋतु खंडूड़ी भूषण, भाजपा 19671
- शैलेंद्र सिंह रावत, कांगे्रस 10283
- रेनू बिष्ट, निर्दलीय 10689
- प्रशांत बडोनी, निर्दलीय 2698
- शांति प्रसाद भट्ट, उक्रांद 542
- जगपाल सिंह नेगी, बसपा 375
- कृष्ण चन्द्र, 250
- गोविंद प्रसाद बड़थ्वाल, 235
विधानसभा क्षेत्र के चारों विधानसभा चुनाव परिणाम आपके सम्मुख है। अब तक 2002 में जहां सर्वाधिक 80.19 प्रतिशत मतदान हुआ, उसके बाद 2007 में 53.90, 2012 में 55.01 एवं वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में 55.27 प्रतिशत मतदान हुआ।
इस प्रकार इस सीट पर औसतन हर चुनाव में करीब 55 प्रतिशत मतदाता वोट देने जाते हैं। वर्ष 2017 के चुनाव में यहां कुल 83498 मतदाताओं में से 43926 पुरुष मतदाता, जबकि 39571 महिला मतदाता थे। यानि कि करीब 47 प्रतिशत महिला मतदाता हैं। ऐसे में अब तक के जिन जनप्रतिनिधियों पर क्षेत्र की जनता ने भरोसा कर उन्हें अपनी समस्याओं के समाधान के लिए विधानसभा भिजवाया और वे दो दशक बाद भी आधी आबादी की समस्याओं का समाधान करने में सफल नहीं रहे तो इसका खामियाजा उन्हें आगामी 2022 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
विधानसभा चुनाव 2022 का चुनावी संग्राम (संभावित दावेदार)
- भाजपा : ऋतु खंडूड़ी, विजय बड़थ्वाल, रेनू बिष्ट
- कांग्रेस : महेंद्र सिंह राणा, शैलेंद्र सिंह रावत, रुचि कैंतुरा
- उक्रांद : शांति प्रसाद भट्ट
- आम आदमी पार्टी : सुदेश भट्ट
- शक्ति शैल कपरुवाण
- विश्वजीत सिंह नेगी
इसके कई अलावा कई निर्दलीय प्रत्याशी भी 2022 के विधानसभा चुनाव में आहुति देने के लिए जोर-शोर से तैयारियां कर रहे हैं। हालांकि यमकेश्वर विधानसभा क्षेत्रवासी अब सवाल पूछ रहे हैं कि वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा नकार दिए जाने के बाद किस प्रत्याशी ने क्षेत्र हितों को लेकर लगातार सक्रिय होकर काम किया? इससे भी बड़ा सवाल यह है कि सिटिंग विधायक जन उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पाई। यही कारण है कि भारतीय जनता पार्टी को इस सीट पर जिताऊ प्रत्याशी की चिंता सताए जा रही है।
पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के अनुसार विधायक ऋतु खंडूड़ी भूषण बीते पांच साल में जनता के बीच अपेक्षित विश्वास हासिल नहीं कर पाई और जनसंवाद की कमी के चलते आगामी चुनाव में यहां से जिताऊ प्रत्याशी को लेकर पार्टी मंथन कर रही है। हालांकि ऋतु खंडूड़ी पूर्व सीएम भुवनचंद्र खंडूड़ी की पुत्री हैं। यही कारण था कि 2017 में विजय बड़थ्वाल का टिकट काटकर उन्हें टिकट दिया गया और नए प्रत्याशी होने के बावजूद वह जीत हासिल करने में सफल रही थी।
वहीं कांग्रेस भी इसी तरह की दुविधा में घिरी हुई है कि शैलेंद्र सिंह रावत पर 2017 के चुनाव मैदान में उतारकर पार्टी ने जो भरोसा जताया था, वह उस पर खरा नहीं उतर पाए और तीसरे स्थान पर रहे, जबकि निर्दलीय चुनाव लड़कर रेनू बिष्ट दूसरे स्थान पर रही थी। रेनू बिष्ट अब भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो चुकी हैं। हार के बाद शैलेंद्र रावत को पूरी विधानसभा क्षेत्र में जिस तरह से जनसंवाद स्थापित करने की पार्टी द्वारा अपेक्षा की जा रही थी, उसमें वे पार्टी को सफल होते नहीं दिखाई दिए। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ऐसे जिताऊ प्रत्याशी को मैदान में उतारना चाहती है, जो पूरी विधानसभा क्षेत्र में खासा जनाधार रखता हो।
द्वारीखाल प्रमुख की पीठ थपथपा गए नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह
गत दिवस 18 दिसंबर को द्वारीखाल महोत्सव में जिस तरह भारी जनसैलाब उमड़ा और नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह व अन्य कांग्रेसी दिग्गजों के सामने द्वारीखाल प्रमुख महेंद्र सिंह राणा की लोकप्रियता झलकी, इसे प्रीतम सिंह ने मंच से ही सार्वजनिक भी कर दिया। उन्होंने महेंद्र राणा के विकास कार्यों पर उनकी पीठ थपथपाते हुए कहा कि आप जिस निष्ठा के साथ कार्य कर रहे हैं, इसके लिए बधाई के पात्र हैं। उन्होंने कहा कि महेंद्र सिंह राणा की मेहनत जरूर रंग लाएगी और यमकेश्वर विधानसाभा की किस्मत बदलने का काम करेगी। अब प्रीतम सिंह की बात के मायने निकाले जा रहे हैं और इसे राणा को यमकेश्वर से 2022 के चुनाव मैदान में उतारने के संकेत के रूप में देखा जा रहा है। कार्यकर्ताओं के बीच यह भी चर्चा है कि भाजपा के गढ़ में कांग्रेस की सेंध तभी लग पाएगी, जब पार्टी हाईकमान प्रीतम सिंह के संकेत पर दांव खेलेगी।
वहीं रेनू बिष्ट भी इस बार भाजपा से तैयारी कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस से रुचि कैंतुरा, आप से सुदेश भट्ट व उक्रांद से शांति भट्ट के साथ ही कई अन्य प्रत्याशी भी ताल ठोकने की तैयारी कर रहे हैं। इन सबके बीच यदि पूर्व मंत्री विजय बड़थ्वाल यहां से चुनाव मैदान में उतरनी है तो भाजपा का धर्मसंकट में फंसना लाजिमी है।
बहरहाल, यमकेश्वर विधानसभा सीट पर जहां भाजपा पर अपने मजबूत किले को बचाने की चुनौती होगी, वहीं कांग्रेस का हाथ इस बार इस किले को ढहाकर यहां सेंध लगाने की तैयारी कर रहा है। वहीं आम आदमी पार्टी भी क्षेत्र में पहली बार झाडू़ के साथ पगडंडियां नापेगी तो वहीं बसपा का हाथी और उक्रांद की कुर्सी की राह भी कड़क ठंड में आसान नहीं होगी।
अब देखना यह है कि यमकेश्वर का इतिहास इस बार कायम रह पाता है या फिर यहां नया इतिहास स्थापित होता है!
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