नीरज उत्तराखंडी/उत्तरकाशी
संभवत: उत्तराखंड का यह पहला मामला होगा, जब छह माह व तीन साल के अबोध बच्चों पर होम क्वारंटीन के उल्लंघन के आरोप में मुकदमा कर दिया गया हो। इस बार यह कारनामा राजस्व पुलिस के खाते में गया तो उत्तरकाशी समेत समूचे उत्तराखंड में यह मामला चर्चा का केंद्र बन गया।
जब इस मामले पर प्रदेशभर में उत्तरकाशी जनपद की किरकिरी होनी शुरू हुई तो जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने संबंधित क्षेत्र के कोविड-19 मजिस्ट्रेट को निलंबित कर दिया और चूक को दुरुस्त किया गया। तब जाकर मामले को थोड़ा सा मैनेज किया जा सका।
वाकई उत्तरकाशी में घटित यह मामला मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देने वाला है। जानकारों के अनुसार जुवेनाइल एक्ट के तहत आठ वर्ष से कम उम्र के बच्चों पर कोई भी मुकदमा दर्ज नहीं हो सकता है। बावजूद इसके वाहवाही लूटने के भंवर में संबंधित अधिकारी घिर गए।
जानकारी के अनुसार लॉकडाउन होने के दौरान चिन्यालीसौड़ राजस्व क्षेत्र के एक गांव में पंचकुला हरियाणा से एक परिवार अपने दो बच्चों के साथ गांव पहुंचा था। इस परिवार को होम क्वारंटाइन के निर्देश दिए गए थे। आरोप है कि परिवार ने होम क्वारंटाइन का पालन नहीं किया। इसकी शिकायत जिलाधिकारी तक पहुंची। जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान के आदेश पर कलक्ट्रेट ओसी चतर सिंह चौहान ने चिन्यालीसौड़ तहसील क्षेत्र में होम क्वारंटाइन का पालन न करने वाले ऐसे 51 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के आदेश दिए थे। इसमें चार लोग थाना धरासू क्षेत्र के थे। जिनके खिलाफ रेगुलर पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया, लेकिन 47 लोग राजस्व क्षेत्र के थे। इसी 47 लोगों की सूची में एक छह माह का बच्चा और एक तीन साल की बच्ची का नाम और उनके माता पिता का नाम भी शामिल था।
राजस्व पुलिस के पास जैसे ही सूची पहुंची। राजस्व पुलिस होम क्वारंटाइन का पालन न करने और दूसरों के जीवन को खतरे में डालने के आरोप में इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज कर दिया। छह माह के बच्चे और तीन साल की बच्ची पर मुकदमा दर्ज हुआ तो क्षेत्र के लोगों ने इस पर कड़ी अपत्ति जतायी और देखते ही देखते प्रदेशभर में यह खबर वायरल हो गई।
जब इसकी भनक प्रशासन को लगी तो अधिकारियों में हड़कंप मच गया। आनन फानन में जिलाधिकारी डॉ. आशीष चौहान ने संबंधित क्षेत्र के कोविन-19 मजिस्ट्रेट गिरीश सिंह राणा को निलंबित कर दिया। साथ ही इस गलती को भी सुधार दिया गया।
बताते चलें कि कोविड-19 मजिस्ट्रेट गिरीश सिंह राणा सिंचाई खंड उत्तरकाशी में सहायक अभियंता के पद पर तैनात हैं।
डीएम आशीष चौहान का कहना है कि उक्त अधिकारी मौके पर नहीं गए और सूचना के आधार पर मुकदमा दर्ज कर दिया गया, जिससे यह चूक हो गई।
इस संबंध में उत्तरकाशी जनपद के जिला पंचायत अध्यक्ष दीपक बिजल्वाण कड़ी नाराजगी जताते हुए कहते हैं कि संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों ने मानवीय संवेदनाओं को देखना भी जरूरी नहीं समझा और इन नन्हें बच्चों पर मुकदमा दर्ज कर दिया। ऐसे कर्मचारियों पर कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जानी चाहिए, ताकि दोबारा इस तरह की लापरवाही न हो सके। श्री बिजल्वाण ने कहा कि बाल संरक्षण आयोग को भी मामले का संज्ञान लेना चाहिए कि इतनी बड़ी चूक आखिर कैसे हो सकती है। अध्यक्ष ने जनपद के सभी पुलिसकर्मियों व अधिकारी-कर्मचारियों से अपील की है कि किसी के खिलाफ भी कार्यवाही करने से पहले मानवीय संवेदनाओं का ध्यान अवश्य रखा जाए।