नई दिल्ली। सीबीएसई बोर्ड ने कोरोना संकट को देखते हुए 10वीं के बचे हुए पेपर न कराने का बड़ा फैसला लिया है। इन विषयों का रिजल्ट अब प्रायोगिक परीक्षाओं के मूल्यांकन के आधार पर तैयार किया जाएगा। वहीं 12वीं के बचे हुए आवश्यक विषयों के ही पेपर कराए जाएंगे।
सीबीएसई बोर्ड के सचिव अनुराग त्रिपाठी ने बताया कि सबसे पहले बच्चों का जीवन है, शिक्षा दूसरे नंबर पर आता है। उन्होंने कहा कि बोर्ड के 10वीं में छूट गए विषयों के पेपर न कराने का फैसला लिया गया है। अब इन विषयों का रिजल्ट प्रायोगिक परीक्षाओं के आधार पर तैयार होगा। उन्होंने यह भी कहा कि केवल जिला दिल्ली के नोर्थ ईस्ट में 10वीं के बच्चों के पेपर कराने जरूरी हैं। वहां दंगे के दौरान बच्चों के पेपर छूट गए थे। इसके अलावा कहीं भी 10वीं के पेपर नहीं कराए जाएंगे।
त्रिपाठी ने कहा कि 12वीं के अभी 12 विषयों के पेपर होने बाकी हैं। इनमें भूगोल, कॉमर्स का एक पेपर व कंप्यूटर जैसे आवश्यक विषय भी शामिल हैं। 12वीं के पेपर इसलिए कराने जरूरी हैं, क्योंकि 12वीं के बाद बच्चे हायर एजुकेशन में जाते हैं। वहां विषयों के रिजल्ट के आधार पर ही एडमिशन दिया जाता है। हम नहीं चाहते कि भविष्य में किसी छात्र को उच्च शिक्षा में जाने के लिए कोई परेशानी हो। उन्होंने कहा कि इसके लिए सीबीएसई बोर्ड ने बीते 12 अप्रैल को विस्तृत सर्कुलर भी जारी कर दिया था। जो बोर्ड के सभी स्कूलों तक पहुंच गया है।
अनुराग त्रिपाठी अभिभावकों व छात्रों से तनाव में बिल्कुल न आने को कहा है, बल्कि इस समय धैर्य की जरूरत है। उन्होंने कहा कि 12वीं के छात्र पेपर को लेकर सैल्फ स्टडी करते रहें। छूटे हुए पेपर का टाइम टेबिल 10 दिन पूर्व बता दिया जाएगा। इसलिए किसी को घबराने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। जब भी अनुकूल माहौल को देखते हुए भारत सरकार की ओर से देश के लिए बेहतर निर्णय लिया जाएगा, सीबीएसई बोर्ड भी उसका अनुपालन करेगा और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए 12वीं के बच्चों के पेपर संपन्न कराएगा। त्रिपाठी ने कहा कि पेपर होने और उनके मूल्यांकन में लगभग डेढ़ से दो माह का समय लग सकता है।