- साल का आखिरी चंद्र ग्रहण आज
- अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में सबसे पहले दिखाई देगा
- सूतक काल के दौरान रखें ये सावधानी
15 दिन बाद आज देश में एक बार फिर ग्रहण लगने जा रहा है। पिछले महीने दीपावली के 1 दिन बाद 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण (Lunar eclipse) दिखाई दिया था। आज साल का आखिरी चंद्र ग्रहण भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा। यह इस साल का दूसरा चंद्र ग्रहण है। भारत के पूर्वी हिस्सों में इसे पूर्ण चंद्रग्रहण के रूप में शेष हिस्सों में आंशिक चंद्रग्रहण के रूप में देखा जा सकता है।
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देश में ये चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse) सबसे पहले अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर कोलकाता, पटना, सिलीगुड़ी, गुवाहाटी और रांची में दिखाई देगा। इसके अलावा कोहिमा, अगरतला, भुवनेश्वर में पूर्ण ग्रहण लगेगा। श्रीनगर, अहमदाबाद, मुंबई, नागपुर, पुणे, नोएडा, गुरुग्राम, चंडीगढ़, बंगलुरु, हैदराबाद, चेन्नई, सूरत, देहरादून, जयपुर, लखनऊ, मदुरै, उदयपुर, और भारत के पश्चिम, दक्षिण और उत्तर भागों में आंशिक ग्रहण दिखाई देगा।
शाम 4.23 बजे से अरुणाचल प्रदेश के ईटानगर में पूर्ण चंद्र ग्रहण दिखने लगेगा। चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse) 6.19 बजे खत्म होगा। इसके बाद उपछाया चंद्र ग्रहण शुरू होगा और ये 7.26 बजे तक रहेगा।
भारत के अलावा चंद्र ग्रहण कई दूसरे देशों में भी दिखाई देगा। इनमें पूर्वी यूरोप, उत्तरी यूरोप, एशिया प्रांत, ऑस्ट्रेलिया, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, पेसिफिक, अटलांटिक, हिंद महासागर, आर्कटिक और अंटार्कटिका में भी दिखाई देगा। बता दें कि पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी, सूर्य तथा चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इसके कारण पृथ्वी की छाया पूरी तरह से चंद्रमा को ढंक लेती है, जिससे पूरी तरह से चंद्रमा पर अंधेरा छा जाता है।
वहीं आंशिक चंद्र ग्रहण जब पृथ्वी की परछाई चंद्रमा के पूरे भाग को ढंकने की बजाय किसी एक हिस्से को ही ढंके तब आंशिक चंद्र ग्रहण होता है। इस दौरान चंद्रमा के केवल एक छोटे हिस्से पर ही अंधेरा होता है। उपछाया चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी की छाया चंद्रमा के बाहरी भाग पर पड़ती है। हालांकि इस तरह के चंद्र ग्रहण को देखना मुश्किल होता है।
ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा का कहना है कि सूतक और ग्रहण (Lunar eclipse) के समय में पूजा-पाठ नहीं कर सकते, लेकिन मंत्र जप और दान-पुण्य जरूर करना चाहिए।
वहीं दूसरी ओर आज देश भर में कार्तिक पूर्णिमा का पर्व धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और काशी में सुबह से ही लाखों श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई। सिखों के पहले गुरु गुरु नानक का प्रकाश पर्व भी आज मनाया जा रहा है।
धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ग्रहण से 9 घंटे पहले लग जाता है सूतक काल
चंद्र ग्रहण (Lunar eclipse) और सूर्य ग्रहण को लेकर कई तरह की मान्यताएं हैं। ग्रहण का सूतक सुबह 5.38 बजे से शुरू हो गया है। चंद्र और सूर्य ग्रहण के 9 घंटे पहले इसका सूतक शुरू हो जाता है। इस काल में कई परंपराएं भी प्रचलित हैं। दान-पुण्य, नदियों में स्नान और विशेष पूजा व सावधानी आदि का प्रविधान है।
मालूम हो कि चंद्र ग्रहण काल शुरू होने से तीन प्रहर का होता है। एक प्रहर तीन घंटे का होता है और सूतक को ग्रहण वेध भी कहा जाता है। ग्रहण में सूतक काल के दौरान कुछ जरूरी नियमों का पालन करना बहुत जरूरी होता है। सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान सिलाई-कढ़ाई का कोई काम नहीं करना चाहिए। सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को बाहर नहीं निकलना चाहिए और पेट पर सूतक लगने के पहले ही गेरू लगा लेना चाहिए। सूतक काल के दौरान खाना खाने से बचना चाहिए, लेकिन लिक्विड डाइट ले सकते हैं। हालांकि गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों आदि पर ये नियम लागू नहीं होते हैं। सूतक काल में खाना न बनाएं और चाकू, कैंची आदि का भी इस्तेमाल न करें। सूतक काल में मंदिर में पूजा न करें। हालांकि जाप करना शुभ माना जाता है। ग्रहण के दौरान खाने की चीजों में तुलसी का पत्ता डाल देना चाहिए। इसे सूतक काल के पहले तोड़ लेना चाहिए।
इस दौरान कोई धार्मिक कार्य नहीं किया जाता है। मंदिरों के कपाट बंद हो जाते हैं। घर में भी पूजन-पाठ नहीं किए जाते हैं।