Chhawla rape case : सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों को बरी किए जाने पर उत्तराखंड में आक्रोश, सीएम धामी-हरीश रावत ने कहा- बेटी को न्याय दिलाएंगे - Mukhyadhara

Chhawla rape case : सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों को बरी किए जाने पर उत्तराखंड में आक्रोश, सीएम धामी-हरीश रावत ने कहा- बेटी को न्याय दिलाएंगे

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  • सुप्रीम कोर्ट से आरोपियों को बरी किए जाने पर उत्तराखंड में आक्रोश
  • सीएम धामी-हरीश रावत ने कहा- बेटी को न्याय दिलाएंगे

मुख्यधारा/देहरादून

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को दिल्ली के छावला इलाके में 2012 में उत्तराखंड के पौड़ी निवासी 19 वर्षीय युवती का अपहरण, सामूहिक दुष्कर्म और हत्या (Chhawla rape case) के मामले में मौत की सजा पाए तीन आरोपियों को बरी कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद से उत्तराखंड में पहाड़ की बेटी के हत्यारों के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है।

सोशल मीडिया पर लोग गम और गुस्से के साथ अपनी बात रख रहे हैं। सरकार से भी मांग की जा रही है कि वो इस मामले में बेटी को न्याय दिलाने के लिए पहल करे। इसके बाद उत्तराखंड के भाजपा और कांग्रेस नेताओं ने कड़ा एतराज जताते हुए बेटी को न्याय दिलाने की बात कही है।

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि कोर्ट ने जो फैसला किया है, उस पर उन्होंने केस देख रहीं एडवोकेट चारू खन्ना से बात की है। साथ ही इस मुद्दे पर केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू से भी बात की गई है। उन्होंने कहा कि पीड़िता हमारे देश की बेटी है और उसे न्याय दिलाने के लिए हम सब कुछ करेंगे।

वहीं पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तराखंड की बेटी को न्याय मिले, इसके लिए राज्य सरकार को सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल करनी चाहिए।

वहीं मामले में सुप्रीम कोर्ट का निर्णय आने के बाद कांग्रेस ने मामले में लचर पैरवी का आरोप लगाया है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने इंटरनेट मीडिया पर अपनी पोस्ट में कहा कि यह हत्याकांड निर्भया हत्याकांड की भांति वीभत्स था।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने कहा कि लचर पैरवी के चलते ऐसे जघन्य अपराधियों का छूटना समाज के लिए चिंतनीय है। दिल्ली में उत्तराखंड की 19 वर्षीय बेटी के साथ हैवानियत हुई। आरोपितों को बरी किया गया, स्तब्ध हूं।

प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष धीरेंद्र प्रताप ने कहा कि निर्भया कांड में तमाम आरोपितों को सजा मिली थी, लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं होना खेद का विषय है। इस मामले पर उत्तराखंड के प्रवासी संगठनों से बातचीत कर आगे संयुक्त रूप से लड़ाई जारी रखने के प्रयास किए जाएंगे।

 

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