गति फाउंडेशन ने किया देहरादून में ई-वेस्ट मैनेजमेंट पर सर्वे, आज जारी करी पहली रिपोर्ट
83 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने कहा, नया मोबाइल फोन लेना करते हैं पसंद
48 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने दो वर्षों में एक, 25 प्रतिशत लोगों ने दो और 8 प्रतिशत लोगों ने खरीदे तीन मोबाइल
23 प्रतिशत लोगों ने दो वर्षो में एक, 24 प्रतिशत लोगों ने दो और 17 प्रतिशत लोगों ने खरीदे तीन एयर फ़ोन
देहरादून। इलेक्ट्रोनिक उपकरणों का इस्तेमाल बढ़ने के साथ ही वैश्विक स्तर पर ई-वेस्ट भी लगातार बढ़ता जा रहा है और अब यह खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। देहरादून में भी ई-वेस्ट लगातार बढ़ रहा है। देहरादून स्थित एनवायर्नमेंटल एक्शन एंड एडवोकेसी ग्रुप गति फाउंडेशन ने हाल ही में देहरादून शहर मे ई-वेस्ट की स्थिति पर एक सर्वे करवाया। फाउंडेशन के अध्यक्ष अनूप नौटियाल ने बताया कि सर्वे में विभिन्न आयु वर्ग के स्त्री-पुरुषों को शामिल किया गया। सर्वे में 18-25 आयु वर्ग के 53 प्रतिशत, 26-40 आयु वर्ग के 31 प्रतिशत और 40-70 आयु वर्ग के 16 प्रतिशत लोगों ने भाग लिया । सर्वे में शामिल किये गये लोगों में 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं थी।
77 प्रतिशत उत्तरदाताओं को देश के इ–वेस्ट मैनेजमेंट रूल्स 2016 के बारे मे कोई जानकारी नहीं है । पिछले कुछ समय से उत्पादकों और ब्रांड्स की जिम्मेदारी वेस्ट के निस्तारण के लिए बड़ाई गयी है किन्तु 69 उत्तरदाताओं ने एक्सटेंडेड प्रोडूसर रिस्पांसिबिलिटी के बारे मे कुछ नहीं सुना है । 60 प्रतिशत लोगों को कंपनियों की बाईबैक योजना की जानकारी नहीं है। इससे साफ जाहिर होता है की कंपनियां अपना पुराना सामान वापस लेने की योजना का प्रचार-प्रसार नहीं कर रही हैं । सर्वे में लोगों से सवाल पूछा गया था कि वे एक वर्ष में कितना इ-वेस्ट करते हैं। 70 प्रतिशत लोगों का जवाब था कि साल में वे 1 से 4 बार इ-वेस्ट पैदा करते हैं। 15 प्रतिशत उपभोक्ताओं का कहना है की वो कोई इ वेस्ट नहीं करते ।
दून में सबसे ज्यादा 72 प्रतिशत ई-वेस्ट मोबाइल फोन और उसकी एक्सेसरीज के रूप में पैदा हो रहा है। अन्य हिस्सा बैटरी, पेंसिल सेल, एलईडी और बल्ब आदि के रूप में पैदा हो रहा है। शहर में इलेक्ट्राॅनिक वस्तुओं का इस्तेमाल करने वाले लोग खराब हो जाने के बाद इनके निस्तारण का कोई वैज्ञानिक तरीका नहीं अपना रहे हैं। 51 प्रतिशत लोगों का कहना है कि वे ऐसा सामान कबाड़ी को दे देते हैं। बाकी लोग इसे या तो कूड़े के साथ फेंक देते हैं या फिर ई-वेस्ट घर में ही इधर-उधर पड़ा रहता है। 92 प्रतिशत उपभोक्ता किसी रजिस्टर्ड ई-वेस्ट रिसाइकिलर को नहीं जानते।
सर्वे में एक दिलचस्प बात यह भी सामने आई कि शहर में 83 प्रतिशत लोग हर बार नया मोबाइल फोन लेना पसंद करते हैं, जबकि 17 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सेकैंड हैंड मोबाइल से काम चलाना पसंद करते हैं।
पिछले दो वर्षों में शहर में लोगों ने कितने मोबाइल फोन खरीदे, इसका भी एक दिलचस्प आंकड़ा इस सर्वे में सामने आया। 48 प्रतिशत उपभोक्ताओं ने इन दो वर्षों में एक मोबाइल खरीदा। 25 प्रतिशत लोगों ने दो, 8 प्रतिशत लोगों ने तीन, 3 प्रतिशत लोगों ने चार और 7 प्रतिशत लोगों ने चार से ज्यादा मोबाइल फोन खरीदे। मात्र 10 प्रतिशत लोग ही ऐसे हैं, जिन्होंने दो वर्षों में एक भी मोबाइल फोन नहीं खरीदा। इसी तरह 23 प्रतिशत लोगों ने इस अवधि में एक एअर फोन खरीदा, 24 प्रतिशत लोगों ने दो , 17 प्रतिशत लोगों ने तीन , 6 प्रतिशत लोगों ने चार और 8 प्रतिशत लोगों ने चार से ज्यादा एअर फोन खरीदे । 22 प्रतिशत लोगों ने दो वर्षों में एक भी एयर फोन नहीं खरीदा।
अनूप नौटियाल के अनुसार इस सर्वे में 16 मोबाइल फोन के शो रूम, 14 इलेक्ट्रॉनिक रिपेयरिंग की दुकाने और राजा रोड और बल्लीवाला के 7 इ-वेस्ट कबाड़ी कारोबारी शामिल किये गये। इसके अलावा 138 लोगों ने ऑनलाइन सर्वे में हिस्सा लिया। अनूप ने कहा की आने वाले दिनों मे सर्वे के अन्य पहलु भी साझा किये जाएंगे । उन्होंने देश के नामी गिरामी ब्रांड्स से अपील करी की वे इ-वेस्ट के बारे मे समाज मे व्यापक जानकारी देने के अलावा अपने रीसाइक्लिंग के तंत्र को मजबूत करें । अनूप ने कहा की सभी रिपोर्ट उत्तराखंड सरकार को सौंपी जाएंगी । गति फाउंडेशन के पाॅलिसी विश्लेषक ऋषभ श्रीवास्तव के साथ ही अनुष्का मर्तोलिया, हेम साहू, अध्ययन ममगाईं और नीलम कुमारी का सर्वे में सहयोग रहा।