Ayodhya : दीपावली पर्व पर आज अयोध्या में दिखाई देगा अलग नजारा, 55 घाटों पर जलाए जाएंगे 28 लाख दीए
मुख्यधारा डेस्क
हिंदुओं के पावन पर्व दीपावली त्योहार को लेकर पूरे देश भर में धूम है। अधिकांश लोग त्योहार को मनाने के लिए अपने-अपने घरों को लौट चुके हैं और रास्ते में भी हैं। वहीं दूसरी ओर रामनगरी अयोध्या भी दीपावली त्योहार को लेकर जगमगा रही है।
अयोध्या में आज 500 साल बाद राम वाली दिवाली है। भगवान राम के स्वागत के लिए अयोध्या सज-धजकर तैयार हो गई है। सड़कों पर जगह-जगह झांकियां हैं। कलाकार नृत्य कर रहे हैं। रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद यह पहला दीपोत्सव है। आयोजन को खास बनाने के लिए खुद मुख्यमंत्री योगी अयोध्या में रहेंगे। दूसरी तरफ 28 लाख दीयों को एक साथ जलाने का रिकॉर्ड बनाने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 55 घाट पर दीये बिछे हुए हैं। 30 अक्टूबर की शाम को तेल-बाती लगाने का काम पूरा होगा। इसके बाद दीये प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। रामकथा पार्क के पास हेलिपैड पर भरत मिलाप कार्यक्रम होगा। यहां पुष्पक विमान से भगवान राम, लक्ष्मण और मां जानकी आएंगी।
आज दोपहर 2:30 बजे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वागत करेंगे और रामकथा पार्क में भगवान राम का राज्याभिषेक किया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति में 1,100 लोग सरयू नदी के तट पर विशेष ‘आरती’ करेंगे। दीपोत्सव का उद्देश्य पवित्र शहर के आध्यात्मिक, पारंपरिक और सांस्कृतिक सार को प्रदर्शित करना है, जिसमें छह देशों म्यांमार, नेपाल, थाईलैंड, मलेशिया, कंबोडिया और इंडोनेशिया के कलाकारों का प्रदर्शन और उत्तराखंड की राम लीला प्रस्तुति भी शामिल है। विभिन्न राज्यों के कलाकार भी कार्यक्रम में अपनी प्रस्तुति देंगे।
अयोध्या में अधिकारियों ने सरयू नदी के तट पर ‘राम की पैड़ी’ के आसपास सुरक्षा बढ़ा दी है। ‘राम की पैड़ी’ की ओर जाने वाली 17 गलियों को सील कर दिया है। अयोध्या पुलिस ने ‘राम की पैड़ी’ और रामपथ दोनों से जुड़ी सभी कॉलोनियों के निवासियों की विस्तृत सूची तैयार की है, जिससे इन क्षेत्रों में गतिविधियों पर नजर रखने की उनकी क्षमता बढ़ गई है।
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इस साल की शुरुआत में, 22 जनवरी को अयोध्या मंदिर में राम लला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ऐतिहासिक क्षण बताया था। उन्होंने न केवल मंदिर निर्माण के महत्व पर बल्कि एक “मजबूत, सक्षम और दिव्य भारत के लिए आधारशिला रखने पर भी जोर दिया था।