देश के स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध (ban on mobile phones) लगाने पर विचार? - Mukhyadhara

देश के स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध (ban on mobile phones) लगाने पर विचार?

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देश के स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध (ban on mobile phones) लगाने पर विचार?

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

पूरी दुनिया में स्कूलों में छात्रों द्वारा स्मार्टफोन लाने पर रोक का चलन तेजी पकड़ रहा है। लेकिन क्या स्कूली किशोरों के हाथों से फोन छीनने के कुछ फायदा हैं? या नुकसान भी हो सकते हैं? इसे लेकर एक बड़ी बहस भी चल पड़ी है, जिसमें यूनेस्को से लेकर कई देशों के शोध संगठन अपने-अपने दावे कर रहे हैं।यूनेस्को ने हाल में अपनी रिपोर्ट में बताया कि विश्व के हर 4 में से 1देश में छात्र द्वारा स्कूल में फोन लाने पर कानूनी या नीतिगत रोक है या उपयोग सीमित किया गया है। प्रतिबंध के समर्थकों के अनुसार ऐसा करने से छात्र सोशल मीडिया पर समय बर्बाद नहीं कर रहे, साइबर बुलिंग से बच रहे हैं। प्रतिबंध के विरोधियों का तर्क है कि जो छात्र परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं, काम कर रहे हैं, उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है। लड़ाइयां स्कूल में, वीडियो सोशल मीडिया पर  स्कूलों में छात्रों के बीच लड़ाइयों के सैकड़ों वीडियो रोजाना बनाए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर अपलोड भी किए जा रहे हैं। इनसे बच्चों के हितों व स्कूलों की प्रतिष्ठा तक बिगड़ रही है, लड़ाइयों में हिंसा व गंभीरता भी बढ़ रही है। इटली पिछले साल ही यह रोक लगा चुका है, तो चीन दो साल पहले ऐसा कर चुका है।

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पूरी दुनिया में स्कूलों में छात्रों द्वारा स्मार्टफोन लाने पर रोक का चलन तेजी पकड़ रहा है। लेकिन क्या स्कूली किशोरों के हाथों से फोन छीनने के कुछ फायदा हैं? या नुकसान भी हो सकते हैं? इसे लेकर एक बड़ी बहस भी चल पड़ी है, जिसमें यूनेस्को से लेकर कई देशों के शोध संगठन अपने-अपने दावे कर रहे हैं। यूनेस्को ने हाल में अपनी रिपोर्ट में बताया कि विश्व के हर 4में से 1 देश में छात्र द्वारा स्कूल में फोन लाने पर कानूनी या नीतिगत रोक है या उपयोग सीमित किया गया है। प्रतिबंध के समर्थकों के अनुसार ऐसा करने से छात्र सोशल मीडिया पर समय बर्बाद नहीं कर रहे, साइबर बुलिंग से बच रहे हैं। प्रतिबंध के विरोधियों का तर्क है कि जो छात्र परिवार की जिम्मेदारी भी उठा रहे हैं, काम कर रहे हैं,उन्हें बड़ा नुकसान हो रहा है।

यूनेस्को अपनी रिपोर्ट में दावा करता है कि स्कूली छात्रों के बीच तकनीक को समझदारी से पहुंचाना जरूरी है। पढ़ाने के तरीकों में नई तकनीक की भूमिका बढ़ रही है। फोन पर रोक या अनुमति से पहले ठोस अध्ययन जरूरी हैं। अहम तकनीकों से छात्रों को परिचित रखना होगा। उन्हें खुद ही यह समझने का मौका देना चाहिए कि तकनीक के साथ कौनसे अवसर और खतरे पेश आ सकते हैं। उनके इसके साथ और बिना जीवन जीने की समझ विकसित करनी होगी। 2016 में अमेरिकी स्कूलों में हुए सर्वे में प्रिंसिपलों ने दावा किया कि जिन स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध था, वहां बाकी स्कूलों के मुकाबले ज्यादा साइबर बुलिंग हो रही है। हालांकि वे स्पष्टीकरण नहीं दे सके कि जब स्कूल में छात्र के पास फोन ही नहीं, तो साइबर बुलिंग कैसे बढ़ रही है?

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स्पेन ने 2022 में रिपोर्ट दी कि उसने जिन स्कूलों ने फोन लाने पर प्रतिबंध लगाए, वहां साइबर बुलिंग कम हुई। यही नहीं, यहां के छात्रों ने विज्ञान व गणित में ज्यादा अंक लाने भी शुरू कर दिए। नॉर्वे ने दावा किया कि उसके जिन मिडिल स्कूलों में फोन पर प्रतिबंध था, वहां छात्राओं ने औसत से बेहतर अंक हासिल किए। हालांकि छात्रों के अंकों पर इसका असर नहीं दिखा। सफाई दी गई कि पहले छात्राएं स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिता रही थीं। 2016 में अमेरिकी स्कूलों में हुए सर्वे में प्रिंसिपलों ने दावा किया कि जिन स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध था, वहां बाकी स्कूलों के मुकाबले ज्यादा साइबर बुलिंग हो रही है। हालांकि वे स्पष्टीकरण नहीं दे सके कि जब स्कूल में छात्र के पास फोन ही नहीं, तो साइबर बुलिंग कैसे बढ़रहीहै? स्पेन ने 2022 में रिपोर्ट दी कि उसने जिन स्कूलों ने फोन लाने पर प्रतिबंध लगाए, वहां साइबर बुलिंग कम हुई। यही नहीं, यहां के छात्रों ने विज्ञान व गणित में ज्यादा अंक लाने भी शुरू कर दिए।

नॉर्वे ने दावा किया कि उसके जिन मिडिल स्कूलों में फोन पर प्रतिबंध था, वहां छात्राओं ने औसत से बेहतर अंक हासिल किए। हालांकि छात्रों के अंकों पर इसका असर नहीं दिखा। सफाई दी गई कि पहले छात्राएं स्मार्टफोन पर ज्यादा समय बिता रही थीं। उत्तराखंड सरकार कॉलेजों में कक्षाओं में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रही थीं और इस संबंध में छात्रों के बीच सर्वेक्षण कराके अंतिम निर्णय किया जाएगा। प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा, ‘कक्षाओं में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रस्तावित प्रतिबंध के बारे में विद्यार्थियों की राय जानने के लिए कॉलेजों में जल्द ही एक सर्वेक्षण कराया शिक्षण कार्य प्रभावित होता है। हरिद्वार के डीएम(2022) ने सरकारी और निजी स्कूलों के सभी शिक्षकों के लिए एक आदेश जारी किया है अब स्कूली शिक्षक कक्षा में फोन लेकर नहीं जा सकेंगे यह फैसला शिक्षकों के जायेगा
और अगर 51 प्रतिशत छात्र इस प्रतिबंध के समर्थन में अपना मत देते हैं तो हम इस प्रस्ताव पर अग्रिम कार्रवाई करेंगे।

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उत्तराखंड स्थित हरिद्वार के जिला प्रशासन ने स्कूलों शिक्षकों के मोबाइल फोन रखने पर भी बैन लगा दिया है दरअसल, क्लास के दौरान शिक्षकों के पास मोबाइल फोन होने से कई बार उनका ध्यान भटक जाता है। इससे खिलाफ की जा रहीं शिकायतों को देखते हुए लिया गया है इससे वे एकाग्र भाव के साथ अपने छात्रों को कक्षा में पढ़ा सकेंगे। हालांकि, इस दौरान कोई इमर्जेंसी होने पर उन्हें फोन का इस्तेमाल करने की इजाजत दी जाएगी। कोरोना काल में ऑनलाइन शिक्षा प्रणाली के जमीनी स्तर पर जड़ें जमाने के बाद स्कूली छात्रों द्वारा स्मार्टफोन का समग्र उपयोग पहले की तुलना में अधिक बढ़ गया है। छात्रों का स्क्रीन टाइम बढ़ने से शिक्षा पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। यह बच्चों की शिक्षा को बाधित कर रहा है। इसके अलावा साइबर बुलिंग की दर भी बढ़ रही है। इस समस्या को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) ने एक रिपोर्ट में इस पर निष्कर्ष निकाला है।

रिपोर्ट में स्कूली छात्रों को स्मार्टफोन से दूर रखने का भी सुझाव दिया गया है। यूनेस्को की रिपोर्ट बुधवार (26 जुलाई) को सार्वजनिक की गई। ‘द गार्जियन’ ने इस रिपोर्ट पर रिपोर्ट करते हुए कहा कि मोबाइल के अनियंत्रित उपयोग के कारण छात्रों पर इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और शैक्षणिक प्रदर्शन खराब हो रहा है। यूनेस्को महानिदेशक ऑड्रे अज़ोले ने कहा, डिजिटल क्रांति में जबरदस्त संभावनाएं हैं। लेकिन, समाज में इसका नियमन नहीं है। साथ ही इस बात पर भी ध्यान देना जरूरी है कि शिक्षा क्षेत्र में इस डिजिटल क्रांति का उपयोग कैसे किया जा रहा है।”स्मार्टफोन के इस्तेमाल से छात्रों को नुकसान न हो ये सुनिश्चित होना चाहिए। शैक्षिक अनुभव को समृद्ध करने और शिक्षक-छात्र संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग किया जाना चाहिए। डिजिटल प्रौद्योगिकी के किसी भी रूप को मानव- केंद्रित शिक्षा के सहायक के रूप में देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह कभी भी शिक्षक और छात्र के बीच वास्तविक संवाद की जगह नहीं ले पाएगा।

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दुनिया भर के कई देश स्कूल कक्षाओं में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगाने के लिए कदम उठा रहे हैं। तदनुसार, यूनेस्को की रिपोर्ट बहुत महत्वपूर्ण क्षण में आई है। हालांकि, कुछ लोगों ने स्मार्टफ़ोन पर प्रतिबंध का विरोध किया है। उनका मानना है कि कोरोना काल के बाद शिक्षा प्राप्त करने के लिए स्मार्टफोन एक अहम कड़ी बन गया है। स्मार्टफोन प्रतिबंध का समग्र प्रभाव क्या होगा? कितने देशों में है ऐसा प्रतिबंध? आज के दौर में मोबाइल रोजमर्रा की जरूरत बन गया है। आज मोबाइल का उपयोग बिलों का भुगतान करने, बुकिंग करने, मनोरंजन के लिए सोशल मीडिया देखने, मानचित्रों का उपयोग करके वांछित गंतव्य तक पहुंचने,जानकारी खोजने जैसे कई कार्यों के लिए किया जाता है।कई लोगों को स्मार्ट- फोन के बिना अपने दैनिक कार्य करने में कठिनाई हो सकती है।

वेबसाइट स्टेटिस्टा के मुताबिक, दुनिया भर में स्मार्टफोन यूजर्स की संख्या 2023 में 525 करोड़ तक पहुंच जाएगी और 2028 तक बढ़ती रहेगी। ‘बिजनेस लाइन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल के अंत तक भारत में मोबाइल यूजर्स की संख्या 100 करोड़ तक पहुंचने की संभावना है। एक्सप्लोडिंग टॉपिक्स रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया में हर व्यक्ति हर दिन औसतन 3 घंटे 15 मिनट मोबाइल पर बिताता है। दुनिया के अन्य देशों की तुलना में फिलीपींस में लोग मोबाइल पर सबसे ज्यादा समय बिताते हैं। डेटारिपोर्टल के अनुसार, फिलिपिनो हर दिन मोबाइल फोन का उपयोग करते हुए पांच घंटे और 47 मिनट बिताते हैं।जबकि जापानी नागरिक अपने मोबाइल फोन का इस्तेमाल सबसे कम एक घंटा 39 मिनट तक करते हैं।

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भारत की बात करें तो भारत में औसत मोबाइल उपयोग चार घंटे पांच मिनट है। डेटा रिपोर्ट के मुताबिक विकसित देशों की तुलना में विकासशील या अविकसित देशों में मोबाइल पर समय अधिक बिताया जाता है। कई देशों में बच्चे बहुत कम उम्र में ही स्मार्टफोन का उपयोग करने लगते हैं और यहां तक कि स्कूल में भी अपना फोन ले जाते हैं।यही कारण है कि कई देशों ने स्कूलों या कक्षाओं में स्मार्टफोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है।बीबीसी द्वारा एक रिपोर्ट में बताया गया कि नीदरलैंड ने घोषणा की है कि वह 2024 से स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगा देगा। हालांकि यह प्रतिबंध फिलहाल कानूनी नहीं है, लेकिन कुछ समय बाद इसे कानून का रूप दे दिया जाएगा।फिनलैंड ने कुछ
महीने पहले स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया था।

‘द टेलीग्राफ’ की ओर से दी गई खबर के मुताबिक, स्कूलो में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाने वाला कानून जल्द ही पारित किया जाएगा ताकि छात्र अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकें। सरकार ने घोषणा की,स्कूलो में मोबाइल फोन के इस्तेमाल को प्रतिबंधित करने के लिए जो भी जरूरी कदम होंगे हम उठाएंगे।सयुक्त राज्य अमेरिका में ओहियो, कोलोराडो, मैरीलैंड, वर्जीनिया, कैलिफोर्निया, पेंसिल्वेनिया और कनेक्टिकट ने इस साल से स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया है। वॉशिंगटन पोस्ट के मुताबिक, अमेरिका के कुछ स्कूलों ने मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया है।चीन ने फरवरी 2021 से स्कूलों में मोबाइल फोन के इस्तेमाल पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। साउथ चाइना मॉर्निंग की रिपोर्ट के अनुसार, यह निर्णय छात्रों को इंटरनेट और गेमिंग के ध्यान भटकाने से मुक्त करने और उनकी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए लिया गया है।

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ऑस्ट्रेलिया के एक द्वीप तस्मानिया ने 2020 में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगा दिया।2018 में फ्रांस ने छात्रों का ध्यान केंद्रित रखने के लिए प्राथमिक और माध्यमिक छात्रों के लिए स्कूल में मोबाइल फोन नहीं लाना अनिवार्य कर दिया।भारत में स्कूलों में मोबाइल फोन का उपयोग न करने के संबंध में कोई कानून या विनियमन नहीं है। सरकारी और निजी स्कूलों का प्रबंधन अपने फैसले खुद लेता है। यूनाइटेड किंगडम ने भी हाल ही में स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने की वकालत की है। जबकि कई लोग स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध का स्वागत करते हैं, लेकिन सभी सहमत नहीं हैं, खासकर डिजिटल क्षेत्र में तेजी से विकास के साथ कुछ का मानना है कि प्रतिबंध अनावश्यक है। प्रतिबंध के विरोधियों का तर्क है कि स्मार्टफोन छात्रों को उनकी पढ़ाई में मदद करता है, साथ ही उन्हें खुद से चीजें सीखने की अनुमति देता है।

2014 में यूनेस्को द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि विकासशील देशों में लाखों लोग जिनके पास पढ़ने की सामग्री तक पहुंच नहीं थी, उन्होंने मोबाइल फोन के कारण अपना पढ़ना बढ़ा दिया है। विकासशील देशों में किए गए एक सर्वेक्षण में 62 प्रतिशत व्यक्तियों ने कहा कि वे पढ़ने के लिए मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं। टाइम पत्रिका के अनुसार, विकासशील देशों में महिलाओं को सांस्कृतिक या सामाजिक बाधाओं के कारण किताबें पढ़ने को नहीं मिलती हैं। उन महिलाओं को मोबाइल पर पढ़ना आसान लगता है। साथ ही कुछ जगहों पर यह पाया जाता है कि माता- पिता अपने बच्चों को स्कूल जाते समय मोबाइल फोन देते हैं। इसके पीछे बच्चों की सुरक्षा ही मुख्य उद्देश्य है।पूर्व शिक्षिका ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि मोबाइल फोन पर पूर्ण प्रतिबंध समझ से परे है।

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कोरोना काल में छात्रों ने इसी मोबाइल फोन के सहारे पढ़ाई की है। छात्रों ने प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए मोबाइल से शिक्षक से संपर्क किया। उन्होंने मोबाइल पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के बजाय स्कूलों को मोबाइल उपयोग पर नियम बनाना चाहिए।स्टैफ़ोर्डशायर विश्वविद्यालय की वरिष्ठ प्रोफेसर सारा रोज़ ने द कन्वर्सेशन को बताया, छात्रों को मोबाइल का सकारात्मक तरीके से उपयोग करने का डिजिटल कौशल सिखाते समय, उन्हें इसके संभावित दुरुपयोग के बारे में भी सूचित किया जाना चाहिए। इसके साथ ही साथ छात्रों को स्कूल में सेलफोन देना एक अवांछित प्रतिस्पर्धा का कारण बनेगा। महंगे और आधुनिक तकनीक से लैस स्मार्ट फोन का इस्तेमाल करने वाले छात्रों को देखकर एक सामन्य और सस्ते फोन का प्रयोग करने वाले छात्र में कहीं न कहीं भेदभाव,हीन भावना तथा असमानता की प्रवृति का विकास होगा, जो अप्रत्यक्ष रूप से माता-पिता एवं अभिभावकों के लिए चिंता का विषय है। गौरतलब है कि समानता की प्रवृति के विकास को बढ़ावा देने के लिए ही स्कूलों में ड्रेस कोड का विधान होता है ताकि सभी विद्यार्थी समान दिखें तथा किसी के प्रति किसी भी तरह का पूर्वाग्रह न हो।

( लेखक दून विश्वविद्यालय में कार्यरत हैं )

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