गुजरात चुनाव: 27 साल सत्ता बचाने की पीएम मोदी की बड़ी चुनौती, राज्य से भाजपा को हटाने के लिए कांग्रेस-आप ने भी झोंकी ताकत
शंभू नाथ गौतम
गुजरात विधानसभा चुनाव (Gujarat Elections) को लेकर प्रचार जोरों पर आ चुका है। सत्तारूढ़ भाजपा, विपक्षी दल कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक रखी है। पहले चरण के मतदान के लिए आठ दिन रह गए हैं।
गुजरात चुनाव (Gujarat Elections) सबसे ज्यादा चुनौती भाजपा के लिए है। 27 साल से लगातार शासन कर रही भारतीय जनता पार्टी इस बार अपना सिंहासन बचाने के लिए पूरा एड़ीचोटी का जोर लगाए हुए हैं। वहीं कांग्रेस भी भाजपा को सत्ता से बेदखल करने के लिए इस बार पूरी तैयारी के साथ चुनाव मैदान में उतरी है।
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी के संयोजक और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल दिल्ली, पंजाब के बाद गुजरात में सत्ता पर काबिज होने के लिए ताबड़तोड़ चुनावी रैली और प्रचार करने में जुटे हुए हैं।
गुजरात चुनाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत तमाम केंद्रीय मंत्री ताबड़तोड़ चुनावी जनसभाएं कर रहे हैं। गुजरात विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह की सीधे ही प्रतिष्ठा से जुड़ा हुआ है।
वहीं गुजरात में कांग्रेस 27 साल का सूखा खत्म करना चाहती है। लगातार 6 चुनावों में भाजपा से मिली हार का बदला लेने के लिए कांग्रेस ने इस बार अलग रणनीति अपनाई है। कांग्रेस के नेता घर-घर, गली-मोहल्ले और नुक्कड़ सभाएं कर रहे हैं।
कांग्रेस ने एक रणनीति के तहत राहुल गांधी को अंतिम समय में चुनाव प्रचार के लिए उतारा है। राहुल गांधी ने सोमवार को आदिवासी इलाके वलसाड में दो चुनावी जनसभाओं को संबोधित किया। गुजरात के चुनाव प्रभारी अशोक गहलोत ने भाजपा को हराने के लिए रणनीति बनाई है।
वहीं कांग्रेस का कहना है कि भाजपा से सीधा मुकाबला है, आप चुनाव में कहीं नहीं दिखती। आम आदमी पार्टी भाजपा को लगातार सोशल मीडिया पर टारगेट कर रही है। एक रणनीति के तहत आप के नेता सोशल मीडिया पर जमकर प्रचार प्रसार कर रहे हैं। केजरीवाल की सभाओं को फेसबुक से लेकर ट्विटर और अन्य प्लेटफॉर्म पर लाइव दिखाया जा रहा है।
भाजपा के पुराने वीडियो और ट्वीट्स को उठाकर जनता के सामने 27 साल के शासन की पोल खोल रहे हैं। राज्य में बीजेपी 1995 में पहली बार सत्ता में आई और 1998 से लगातार सरकार में बनी हुई है।
बीजेपी एक बार से गुजरात में अपनी सत्ता को बचाए रखने की कवायद में है तो आम आदमी पार्टी सियासी विकल्प बनने के लिए उतरी है। आप ने फ्री बिजली, महिलाओं को मासिक जेब खर्च सहित कई वादे किए हैं। कांग्रेस ने भी 300 यूनिट तक फ्री बिजली का वादा किया है।
वहीं सत्ताधारी बीजेपी हिन्दुत्व, विकास और ‘डबल इंजन’ की बदौलत तेज प्रगति के मुद्दों पर भरोसा कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह बीजेपी की चुनावी तैयारियों की निगरानी कर रहे हैं। उन्हें बीजेपी का मुख्य रणनीतिकार भी कहा जाता है।
साल 2017 से इस बार गुजरात विधानसभा चुनाव कई मायने में अलग है–
बता दें कि पिछली बार से इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है। इसकी सबसे बड़ी वजह है, गुजरात में 2017 में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला था, लेकिन आम आदमी पार्टी भी इस बार लड़ाई में शामिल है। वहीं पाटीदार आंदोलन की आग भी इस बार शांत है। आंदोलन के सबसे बड़े चेहरे हार्दिक पटेल भी भाजपा में शामिल हो गए हैं। 2017 में कांग्रेस ने बीजेपी को कड़ी टक्कर देते हुए 77 सीटें जीती थीं। अन्य के खाते में 6 सीटें गई थीं। बीजेपी को इस चुनाव में 50% और कांग्रेस को 42% वोट हासिल किया था। गुजरात में पिछला विधानसभा चुनाव आम आदमी पार्टी ने भी लड़ा था। लेकिन उसे कोई सफलता नहीं मिली थी। उसने 29 सीटों पर चुनाव लड़कर करीब 30 हजार वोट हासिल किए थे। आप किसी भी सीट पर अपनी जमानत नहीं बचा पाई थी। लेकिन इस बार वह काफी आक्रामक अंदाज में चुनाव की तैयारी कर रही हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान लगातार गुजरात का दौरा कर रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक इस बार के मुकाबले को त्रिकोणीय बता रहे हैं। 182 सीटों के लिए हो रहे इस चुनाव में 1 दिसंबर को 89 सीटों पर और 5 दिसंबर को 93 सीटों पर वोटिंग होगी। नतीजे 8 दिसंबर को यानी हिमाचल विधानसभा चुनाव के साथ ही आएंगे। गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को खत्म हो रहा है। गुजरात में इस बार 4.9 करोड़ वोटर नई सरकार चुनने के लिए तैयार हैं। इनमें से 4.61 लाख पहली बार वोट डालेंगे। 27 साल की बीजेपी सरकार में क्या बदला, यह युवाओं का खासकर फर्स्ट टाइम वोटर का व्यक्तिगत अनुभव नहीं है। बीजेपी उन्हें कितना समझा पाएगी और वह कितना भरोसा करेंगे, यह भी गुजरात में जीत-हार का एक बड़ा फैक्टर होगा। फिलहाल वोटर शांत हैं। नेताओं का चुनावी शोर खूब तेज है। इस बार गुजरात का सिकंदर कौन बनेगा, 8 दिसंबर को ही असली तस्वीर सामने आएगी।
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