जानिए ‘अभी नहीं तो कभी नहीं’ कविता क्यों हो रही वायरल
ऋषिकेश/मुख्यधारा
उत्तराखंड में ठिठुरती ठंड की बीच निकाय चुनाव की सरगर्मियां तेजी से चल रही है। इस दौरान एक कविता सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। इस कविता का शीर्षक है अभी नहीं तो कभी नहीं। आप भी पढें :-
चिन्ह नहीं ये कुल्हाड़ी है, सब पर ये भारी है
ऋषिकेश में अबकी बार, दिनेश चंद्र मास्टर की बारी है
गली-गली के कोनों में, गूंज रही कुल्हाड़ी है
माफिया-नशाखोरों की, धड़कने लगी कांपी है
गली-गली चौबारों में, मास्टरजी के नारों में
गूंज रही है सारों में, मास्टरजी की बारी है।।
मूल निवास के मुद्दे हों, या भू-कानून की बारी है
साथ दिया यदि आपने, हम भी पक्की हांडी है
सुन लो जनता अभी न जागे, तो आगे फिर पछताओगे,
तीर्थनगरी में रह कर भी तुम, बाहरी इशारों पर नाचोगे
यदि आपस के वैर-भाव छोड़, कुल्हाड़ी पर मुहर लगाओगे,
कसम है मां गंगा की, पुराने ऋषिकेश बनाएंगे।।
अभी नहीं तो कभी नहीं, एकमुठ हो जाओ सभी
माघ मास की 23 तारीख को एक संकल्प दोहराओ सभी
तुम्हें हनुमान की तरह अपनी ताकत का भान नहीं
समय पर याद आ जाए तो, परचम लहराना कठिन नहीं
इस बार यदि चूके तुम, अपने मूल निशां मिटा दोगे
दिनेशचंद्र मास्टरजी के लिए, अबके एकजुट हो जाओ सभी।।
जात-पात और वाद छोड़कर कुल्हाड़ी को ध्यान लगाओ सभी
अंतर्मन बोल उठेगा तब ये, परशुराम का फरसा है जी
ये वही कुल्हाड़ी है जो, माफिया-नशाखोरों का दुश्मन है
यही तो विपक्षियों में द्वंद्व बना है, ये मास्टरजी कौन है जी
तो सुन मेयर प्रत्याशी जनता का, देवप्रयाग मूल निवासी है
ऋषिकेश नगर निगम में इस बार महापौर प्रत्याशी है।।
अभी समय है ऋषिकेश में, जाग सको तो जागो तुम,
महापौर बनाने मास्टरजी को, अपनी आहुति को डालो तुम
फिर देख माफिया-नशाखोरों को, कैसा मजा चखाएंगे,
दुम दबाकर भांगेंगे ये, संवरेगा अपना नगर निगम
निर्मल होगी मां गंगाजी, ख्यात दूर-दूर जाएगी
अभी नहीं तो कभी नहीं, फिर कभी नहीं हो पाएगी।।