एक सप्ताह में ही 17 मरीज आए उत्तराखंड में। सभी संक्रमित बाहरी राज्यों से लौटे। अब होगी रैंडम टेस्टिंग - Mukhyadhara

एक सप्ताह में ही 17 मरीज आए उत्तराखंड में। सभी संक्रमित बाहरी राज्यों से लौटे। अब होगी रैंडम टेस्टिंग

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मुख्यधारा ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड में कोरोना के आंकड़ें शुरुआत से ही नियंत्रण चल रहे थे कि अचानक पिछले एक सप्ताह में इनमें जबर्दस्त उछाल आया है। बीते एक हफ्ते में ही प्रदेश में 17 कोविड-19 मामले सामने आ चुके हैं। इनमें से 15 संक्रमित लोग विभिन्न राज्यों से उत्तराखंड लौटे हैं। इससे उत्तराखंड सरकार और स्वास्थ्य महकमें की बड़ी चिंता बढ़ गई है। इसको देखते हुए सरकार ने अब घर वापसी करने वाले प्रवासियों की रैंडम टेस्टिंग शुरू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए सभी जिलाधिकारियों को निर्देशित कर दिया गया है।
बीते एक सप्ताह में 17 संक्रमित मामले आए सामने
8 मई को दो मरीज सामने आए, जिनमें एक हरिद्वार, जबकि एक ऊधमसिंहनगर से था।
9 मई को ऊधमसिंहनगर से एक साथ चार मामले आए सामने।
10 मई को ग्रीन जनपद उत्तरकाशी में भी आया एक मामला।
12 मई को नैनीताल में एक मामला सामने आया।
13 मई को तीन मामले सामने आए। जिनमें एक अल्मोड़ा के रानीखेत, एक नैनीताल जनपद तथा एक देहरादून से था।
14 मई को छह प्रवासियों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इनमें देहरादून के मसूरी, रायपुर, डालनवाला में एक-एक तथा तीन मरीज ऊधमसिंहनगर जनपद से मिले। जिनमें दो खटीमा तथा एक रुद्रपुर से था।
उपरोक्त तीव्र गति से बढ़ रहे आंकड़ों को देखते हुए चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के सचिव नितेश कुमार झा ने आज गुरुवार को प्रदेश के सभी 13 जिलों के डीएम को बाहरी राज्यों से आने वाले प्रवासियों और निवासियों की रैंडम सैंपलिंग करने के आदेश जारी किए हैं।
विगत 12-13 मई को देहरादून जिला प्रशासन द्वारा प्रदेश के बाहर से आ रहे प्रवासियों की कोविड-19 संक्रमण के संबंध में रैंडम सैंपलिंग की गई, जिसमें 48 में से 4 सैंपल पॉजिटिव पाए गए। इस स्थिति के दृष्टिगत राज्य में विभिन्न जनपदों में आ रहे प्रवासियों और निवासियों की रैंडम सैंपलिंग को बहुत आवश्यक माना जा रहा है।

रैंडम टेस्टिंग के लिए प्रवासियों की चार श्रेणियां निर्धारित की गई हैं।

1. प्रदेश के बाहर से लौट रहे 65 वर्ष से अधिक आयु के प्रवासी और निवासी
2. चिकित्सकीय उपचार कराकर लौट रहे ऐसे निवासी, जो राज्य के बाहर किसी चिकित्सालय में भर्ती रहे हों।
3. कोरोना संक्रमण काल के लाकडाउन 3 अवधि (4 मई के बाद) में सभी जनपदों में प्रदेश के बाहर से आए उपरोक्त क्रमांक एक व दो श्रेणी के व्यत्ति।
4. आईसीएमआर की गाइड लाइन के अनुसार बाहर से आने वाले अन्य सभी व्यक्ति।

जिलाधिकारियों को यह भी निर्देश दिए गए हैं कि प्रदेश के आंतरिक सीमांत जनपदों, विशेषकर ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल और देहरादून में बार्डर चैक पोस्ट पर ही रैंडम सैंपलिंग करवाने की व्यवस्था सुनिश्चित करें।
कुल मिलाकर यदि जनपद के बॉर्डर में प्रवेश करने के दौरान ही कड़ी निगरानी में यदि स्क्रीनिंग और सेंपलिंग नहीं की गई तो आने वाला को भयावह होने से इंकार नहीं किया जा सकता है। वैसे भी स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी इस पर चिंता जताई है और उन्होंने ई-रैबार वाले कार्यक्रम के दौरान अनुमान लगाते हुए कहा था कि राज्य में घर वापसी कर रहे लगभग सवा दो लाख प्रवासियों में से लगभग 25 हजार लोग कोरोना संक्रमित हो सकते हैं। हालांकि उनकी इस बात को प्रवासियों ने उन्हें डराने वाली बात बताई थी।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि स्वास्थ्य महकमा इस आसन्न कड़ी चुनौती से किस तरीके से निपटता है?

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