पुरोला : नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर पांच उम्मीदवारों का चुनावी दंगल, कौन मारेगा बाजी

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पुरोला : नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर पांच उम्मीदवारों का चुनावी दंगल, कौन मारेगा बाजी

  • पार्टी प्रत्याशियों सहित निर्दलीय उमीदवारों ने चुनाव नजदीक आते ही कसी कमर
  • घर घर प्रचार के साथ ही गाड़ियों पर लाउडस्पीकर व रोड शो का शोर चरम पर

नीरज उत्तराखंडी/पुरोला

पुरोला नगर पालिका के चुनाव के प्रचार का शोर भाजपा कांग्रेस सहित तीन निर्दलीय प्रत्याशियों के घर घर प्रचार सहित लाउडस्पीकर व रोड शो के माध्यम से प्रचार प्रसार का खूब शोर सुनाई व दिखाई दे रहा है।

सत्ताधारी पार्टी भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार प्यारे लाल हिमानी का प्रबल पक्ष यह है कि वे सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार हैं जिन्हें पार्टी कैडर वोट और सत्ता का लाभ मिलेगा। वहीं राजनीति का लम्बा अनुभव भी है दो बार ब्लाक प्रमुख तथा नगर पंचायत अध्यक्ष रह चुके हैं। आर्थिक पक्ष मजबूत है ।अपना व्यक्तिगत वोट बैंक के साथ सरल और सहज व्यवहार का भी उन्हें लाभ मिल सकता है।

लेकिन मुश्किल ये है कि उनके ही घर से सभासद के दावेदार उठने से एक मैसेज यह भी प्रचारित किया जा रहा है कि क्या उनके ही परिवार के सदस्य सब पदों पर चुनाव लड़ेंगे।

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वहीं कांग्रेसी पृष्ठ भूमि से होने के कारण संघ और संगठन की क्या भूमिका रहती है और सबसे महत्वपूर्ण एन वक्त पर सीट को सामान्य से आरक्षित करने से उठी नाराजगी का खामियाजा भुगतना पड़ सकता है,15 साल पद पर रहते हुए किये गए कार्यों से सहमत न होने का नुक़सान हो सकता है। वहीं सत्ता का केंद्र बिन्दु रहा पुरोला गांव के ग्रामीणों की भूमिका पर भी निर्भर करेगा, पार्टी के ही वरिष्ठ बाग़ी उम्मीदवार अमीचंद शाह के चुनाव में निर्दलीय ताल ठोंकने से समीकरण बिगड कर पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की सियासी सेहत बिगाड़ सकते है।

लेकिन बावजूद इसके हिमानी नाराजगी को दूर करने में कितना सफल होंगे पुरोला गांव के ग्रामीणों का क्या रूख रहता है,चुनावी प्रबंधन कितना चुस्त रहता है ये उनके जीत की दिशा तय करेगा।

वहीं कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार विहारी लाल युवा और ऊर्जावान है,सत्ताधारी पार्टी के नाराज मतदाता, सीट के आरक्षण को परिवर्तित करने से उपजी नाजगी नगर पालिका के लिए स्वीकृत वजट को विलोपित करने से उपजा असंतोष, बिहारी को मजबूत बना सकते हैं। लेकिन यह असंतोष वोट में कितना तब्दील होगा यह जीत की दिशा तय करेगा । वहीं बिहारी को कांग्रेस पार्टी के कैडर वोट का लाभ मिलेगा उनका सौम्य,मधुर और हंसमुख व्यवहार उनका प्रबल पक्ष हैं।

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वहीं चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में उतर चुके अमीचंद शाह पार्टी की सेहत बिगाड़ सकते हैं टिकट न मिलने से उपजा असंतोष और सहानुभूति का लाभ शाह को मिल सकता है शाह की आह कितनी भारी पड़ती है यह देखना बड़ा दिलचस्प होगा।

वहीं जन मुद्दे के लिए हमेशा मुखर रहने वाले प्रकाश कुमार निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव मैदान में हैं।

नगर की जनता उनके जनमुद्दे को लेकर समय समय पर किये जाने वाले आन्दोलन को कितना समर्थन देती है यह उनकी सफलता की दिशा तय करेगा। राष्ट्रीय पार्टियों से नाराज़ मतदाता उन्हे समर्थन दे सकते हैं।

वहीं निर्दलीय उम्मीदवार पूर्व बैंक मैनेजर हरिमोहन जुवांठा भी चुनावी रण में ताल ठोंके है। उन्हें कितना जन समर्थन मिलता है। यह भी नगर पालिका के चुनाव की दिशा तय करेगा।

बहरहाल दो निर्दलीय उम्मीदवार अमीचंद शाह व प्रकाश कुमार भाजपा पार्टी के संगठन और मोर्चा से जुड़े रहे हैं जिनका चुनाव में कूदना पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार की जीत की राह का रोड़ा बन सकते हैं। निर्दलीय प्रत्याशी राष्ट्रीय पार्टियों के परम्परागत वोट बैंक में सेंध लगाने में जितने सफल होंगे राष्ट्रीय पार्टियों के उम्मीदवारों के लिए जीत उतनी मुश्किल होगी। लेकिन असम्भव नहीं।

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बहरहाल राष्ट्रीय पार्टियों की चुनावी रणनीति और प्रबंधन चुनौतियां से निबटने में कितना सक्षम होगा यह जीत का समीकरण तय करेगा।
चुनावी संग्राम रोचक रहने वाला है।

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