- विकास कार्यों के लिए वन भूमि स्थानांतरण व अनापत्ति पत्र पर लेटलतीफी से पुल का निर्माण अधर में।
- वन भूमि पर हुए अवैध कब्जे पर खामोशी, सार्वजनिक कार्यों के लिए नहीं दी जाती एनओसी।
नीरज उत्तराखण्डी/ पुरोला
मोरी ब्लाक के(Forest) गोविन्द वन्यजीव विहार एवं पार्क क्षेत्र में सुपिन रेंज के अंतर्गत सुनकुण्डी व सटूडी गांव के मध्य सुपिन नदी पर सुकलासम नामें तोक में कच्ची पुलिया बनी है, जो वर्तमान समय में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है और कभी भी हादसा हो सकता है।
सटूडी गांव के ग्रामीणों की आवाजाही का एकमात्र जरिया सुपिन नदी पर बना(Forest) गोविन्द वन्यजीव विहार एवं पार्क प्रशासन द्वारा बनाया गया लाॅग ब्रिज पूर्ण रूप से क्षतिग्रस्त है। विभाग ने पुल पर आवाजाही प्रतिबन्धित करने के लिए नोटिस चस्पा कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली है, लेकिन ग्रामीण के आने जाने का यह एक मात्र साधन है। पुल की बदहाल हालत ने ग्रामीणों की मुसीबत बढ़ा दी। आवाजाही न होने से ग्रामीणों का ब्लाक व जिला मुख्यालय से सम्पर्क कट गया है । ग्रामीण गांव में कैद हो गये हैं।
गौरतलब है कि यह पुल विभाग द्वारा एक वर्ष पूर्व ही बनाया गया था, जो वर्तमान में पूर्णतः क्षतिग्रस्त हो गया है और आवाजाही जोखिम पूर्ण हो गई है।
ग्राम प्रधान ज्ञान सिंह रावत ने बताया कि उक्त स्थान पर पहले गार्डर पुल बना था, जो 2013 की दैवीय आपदा क्षतिग्रस्त हो गया था। वर्ष 2013 में ही तत्कालीन द्वारा उक्त स्थान पर पुल बनाने की घोषणा गई थी।
इस संबंध में शासन स्तर से 28 मार्च 2016 में प्रमुख अभियन्ता लोक निर्माण विभाग को पत्र लिखकर ग्राम सटूडी के निकट सुपिन नदी के ऊपर 60 मीटर स्पान के पैदल सेतु का पुनर्निर्माण कार्य लागत रु. 574۔29 लाख की प्रशासकीय एवं वित्तीय स्वीकृति भी मिल चुकी थी, लेकिन पार्क प्रशासन से एनोओसी न मिलने से वजट लैप्स हो गया ।
विभाग द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था हेतु लाॅग ब्रज बनाया गया जो एक वर्ष में ही क्षतिग्रस्त हो गया है। वर्तमान समय में उसके ऊपर आवाजाही जोखिम पूर्ण हो गई है। विभाग ने नोटिस वोर्ड लगाकर अपनी जिम्मेदारी और जबाबदेही की समाप्ति कर दी है, जबकि ग्रामीण की आवाजाही का यह एक मात्र साधन है।
इसके स्थाई समाधान के लिए उनके प्रसास से एक पुल निर्माण को शासन स्तर से स्वीकृति मिली धनराशि भी आवंटित हुई, लेकिन विभाग ने एनोओसी नहीं दी, जिसकी वजह से वजट लैप्स हो गया।
इस संबंध में जब सुपिन के क्षेत्राधिकारी से उनका पक्ष जानने के लिए मोबाइल पर सम्पर्क किया गया तो उन्होंने फोन नहीं उठाया।