Singtali bridge: जानिए सिंगटाली पुल में क्यों लगे पीडब्ल्यूडी मुर्दाबाद के नारे, क्षेत्रवासियोंं में क्यों है उबाल, एक पुल 17 वर्षों से क्यों लटका है अधर में!! - Mukhyadhara

Singtali bridge: जानिए सिंगटाली पुल में क्यों लगे पीडब्ल्यूडी मुर्दाबाद के नारे, क्षेत्रवासियोंं में क्यों है उबाल, एक पुल 17 वर्षों से क्यों लटका है अधर में!!

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Singtali bridge: जानिए सिंगटाली पुल में क्यों लगे पीडब्ल्यूडी मुर्दाबाद के नारे, क्षेत्रवासियोंं में क्यों है उबाल, एक पुल 17 वर्षों से क्यों लटका है अधर में!!

क्षेत्रवासियों ने एक माह में सिंगटाली पुल निर्माण कार्य शुरू न होने पर दी अनशन पर बैठने की चेतावनी

मामचन्द शाह

आज सिंगटाली पुल में सैकड़ों क्षेत्रवासियों को एकजुट होकर पीडब्ल्यूडी मुर्दाबाद के नारे लगाने को विवश होना पड़ा है। क्या आप जानते हैं कि आखिर यह नौबत आई क्यों? ऐसी परिस्थिति उत्पन्न करने के लिए कौन हैं जिम्मेदार? आइए आपको एक ऐसे पुल से रूबरू करवाते हैं, जो बीते 17 वर्षों से अधर में लटका हुआ है।

इस पुल का नाम है सिंगटाली पुल। यह पुल ऋषिकेश-बद्रीनाथ मार्ग पर कौडियाला से थोड़ी दूर आगे सिंगटाली नामक स्थान पर गंगा नदी में बनना है। टिहरी से पौड़ी जिले को जोडऩे वाले इस स्थान पर अभी पैदल चलने वालों के लिए झूला पुल है। यहां पर वर्ष 2006 में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री एवं उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद्र खंडूड़ी ने मोटर पुल निर्माण की घोषणा की थी। इस मोटर पुल की वित्तीय और प्रशासनिक स्वीकृति भी 2006 में हो चुकी है। तथा गंगा नदी के पौड़ी वाले क्षेत्र में सड़क का निर्माण कार्य काफी पहले हो चुका है।

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अब क्षेत्रवासियों की पुल निर्माण की राह देखते-देखते आंखें पथरा गई हैं। भाजपा की पूर्ववर्ती प्रदेश सरकार के दौरान इस पुल के शिलान्यास होते-होते किसी कारण टल गया था। तब से इस पुल निर्माण की राह के कांटे साफ नहीं हो पा रहे हैं।

सिंगटाली मोटर पुल संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी के नेतृत्व में क्षेत्रवासी तमाम मुख्यमंत्रियों, विधायकों, मंत्रियों, सांसदों, केंद्रीय मंत्रियों के समक्ष सिंगटाली पुल निर्माण की मांग करते-करते थक चुके हैं। थक-हारकर अब संघर्ष समिति ने अपने स्थानीय जनप्रतिनिधियों यथा- ग्राम-प्रधानों, क्षेत्र पंचायत सदस्यों, जिला पंचायत सदस्यों एवं ब्लॉक प्रमुखों के नेतृत्व में ग्रामीणों के साथ एकजुट होकर धरना-प्रदर्शन व अनशन का रास्ता अपनाने को विवश हैं।

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इसी कड़ी में आज स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ संघर्ष समिति के सदस्य व सैकड़ों ग्रामीण सिंगटाली पुल में एकत्र हुए और पीडब्ल्यूडी मुर्दाबाद के नारे लगाकर अपना आक्रोश व्यक्त किया। यही नहीं समिति ने एक माह की चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि एक महीने के भीतर पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया जाता तो संघर्ष समिति को ग्रामीणों के साथ मिलकर सिंगटाली पुल के समक्ष क्रमिक अनशन पर बैठने के लिए विवश होना पड़ेगा। यही नहीं राष्ट्रीय राजमार्ग जाम करने की चेतावनी भी दी गई है।

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पौड़ी जिले से तीन-तीन सीएम होने के बाद भी नहीं करा पाए सिंगटाली पुल का निर्माण?

बताते चलें कि पौड़ी जनपद से तीन-तीन मुख्यमंत्री होने के बावजूद सिंगटाली पुल निर्माण का शिलान्यास नहीं करा पाए हैं। पाठकों को बताते चलें कि पौड़ी जिले से पूर्व में भुवनचंद्र खंडूड़ी, तीरथ सिंह रावत एवं त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। यही नहीं यमकेश्वर विधानसभा की जनता ने राज्य गठन के बाद से लेकर वर्तमान तक पांचवीं बार भाजपा प्रत्याशी को ही विधायक चुनकर विधानसभा भेजा है। बावजूद इसके पुल निर्माण न हो पाने से क्षेत्रवासियों में गहरी निराशा छाई है।

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सिंगटाली में आज कोट, एकेश्वर, पोखड़ा, द्वारीखाल क्षेत्र के 50 से अधिक ग्राम सभाओं से 80 से अधिक राजस्व ग्रामों के 1000 से अधिक ग्रामीणों ने सिंगटाली मोटर पुल निर्माण कार्य में देरी होने के कारण एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया। इस मौके पर क्षेत्रीय जन प्रतिनिधियों ने सरकार के ढुल-मुल रवैये पर अपना आक्रोश व्यक्त किया। इस दौरान क्षेत्र के ग्राम प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य, जिला पंचायत सदस्य आदि उपस्थित रहे।

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मंच का संचालन संघर्ष समिति के अध्यक्ष उदय सिंह नेगी ने किया। इस दौरान नेगी ने लोगों को मोटर पुल की उपयोगिता से अवगत कराया। उन्होंने बताया कि इस पुल के लिए वे लोग मुख्यमंत्री धामी से लेकर सभी से मिले। सरकार द्वारा एक बड़े क्षेत्र की इस लंबित और बहुप्रतीक्षित मांग को लगातार दरकिनार किया गया, जिसकी वजह से आज एक दिवसीय शांतिपूर्ण धरना प्रदर्शन किया गया है।

वक्ता जिला पंचायत सदस्य क्रांति कपरुवान ने भी सरकार के रवैये पर आक्रोश जताया। इसके अलावा उन्होंने क्षेत्रीय विधायक व जमीन माफियायों के प्रति भी कड़ी नाराजगी जाहिर की। उन्होंने कहा कि यदि पुल को कहीं और स्थांतरित किया गया या फिर पुल का कार्य में अधिक देरी हुई तो वे स्वयं सिंगटाली में धरने पर बैठने को विवश हो जाएंगे। ग्राम प्रधान और समिति के संरक्षक विक्रम नेगी ने भी लंबित मांग में देरी पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी।

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इस मौके पर मौजूद सभी वक्ताओं ने सरकार, पीडब्ल्यूडी को खूब खरी-खोटी सुनाई। क्षेत्रवासियों द्वारा कुछ समय के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग को बाधित कर सांकेतिक विरोध प्रदर्शन किया गया। उसके उपरांत एसडीएम नरेंद्रनगर के न आने पर भी आक्रोश जताया गया।

इस दौरान नरेंद्रनगर के नायब तहसीलदार पीतांबर रावत के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर धामी को एक ज्ञापन प्रेषित किया गया, जिसमें क्षेत्रवासियों में कार्यदाई संस्था अधिशासी अभियंता निर्माण खंड पीडब्ल्यूडी श्रीनगर के अधिकारियों द्वारा की जा रही लापरवाही पर वैधानिक कार्यवाही का आग्रह किया है।

इसके अलावा यह भी मांग की गई है कि मोटर पुल का कार्य शीघ्र विश्व बैंक खंड पौड़ी या पीडब्ल्यूडी नरेंद्रनगर को हस्तांतरित किया जाय। यदि किन्हीं कारणों से पुल का स्थान परिवर्तन किया जाता है या अगले एक माह में मोटर पुल की सभी औपचारिकताओं को पूर्ण करते हुए वित्तीय स्वीकृति जारी कर मोटर पुल का निर्माण कार्य शुरू नहीं किया गया तो आगामी चारधाम यात्रा के समय सिंगटाली में सड़क जाम कर क्रमिक अनशन शुरू किया जाएगा, जिसकी संपूर्ण जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी।

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विकासखंड द्वारीखाल के प्रमुख और प्रमुख संगठन के प्रांतीय अध्यक्ष महेंद्र राणा भी स्वयं सिंगटाली आने वाले थे, किंतु उनके ब्लॉक में कोई कार्य होने पर वे नहीं आ सके। ऐसे में उनके द्वारा दूरभाष पर मौके पर मौजूद लोगों को संबोधित करते हुए अपना पूर्ण समर्थन दिया और सरकार से आग्रह किया कि जल्द मोटर पुल का कार्य शुरू किया जाए। महेंद्र राणा ने चेतावनी देते हुए कहा है कि अब क्षेत्रवासी किसी भी आश्वासन पर विश्वास नहीं करेंगे। यदि अगले एक महीने में कार्य शुरू नहीं होता है तो वे स्वयं क्षेत्र वासियों के साथ सिंगटाली में अनशन पर बैठ के लिए विवश हो जाएंगे।

बहरहाल, अब देखना यह है कि क्षेत्रवासियों की इस चेतावनी के बाद धामी सरकार कब तक सिंगटाली पुल का शिलान्यास करा पाती है!

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