देहरादून। दून के युवा पत्रकार एवं कलम के सिपाही विजेंद्र राणा का आजकल नया रूप देखने को मिल रहा है। वह राशन जुटाकर गरीब व जरूरतमंदों के लिए रात-दिन एक किए हुए हैं। उनके इस रूप की जनपद में खूब सराहना हो रही है।
बताते चलें कि उत्तराखंड में विजेंद्र राणा अपनी स्वतंत्र पत्रकारिता व बेबाक लेखनी के लिए जाने जाते हैं। लेकिन वैश्विक महामारी कोरोना के चलते उन्होंने कलम की बजाय धरातल पर काम करने की सोची और लॉकडाउन के बाद से ही जरूतमंदों की मदद के लिए जुट गए।
आजकल श्री राणा का यह रूप खासा पसंद किया जा रहा है। वह सुबह होते ही हाथ में थैला पकड़कर निकल जाते हैं और लोगों के घर-घर व दुकानों में जाकर कोरोना की जंग से लड़ रहे गरीब, असहाय जरूरतमंदों के लिए खाद्य सामग्री इक_ा करते हैं। उसके बाद सामान एकत्र कर अपनी नजदीकी बाइपास पुलिस चौकी में गरीबों को आवंटन करने हेतु सारा राशन जमा कर देते हैं।
विजेंद्र राणा कहते हैं कि कलम से लडऩा तो उनकी पहली पसंद है, लेकिन वर्तमान में जो कार्य वह कर रहे हैं, वह इससे भी बढ़कर हैं। भूखों को खाना खिलाने से बड़ा दुनिया में कोई और काम नहीं हो सकता।
श्री राणा बताते हैं कि उन्होंने जब फील्ड में ऐसे असहाय लोगों की पीड़ा को महसूस किया तो उसी समय ठान ली कि भूखों का पेट कलम से नहीं, उनके लिए मेहनत करके ही भरा जा सकता है। वह कहते हंै कि असहाय लोगों की सेवा करने में उन्हें जो सुकून मिल रहा है, ऐसा इससे पहले कभी नहीं मिला।
श्री राणा कहते हैं कि उन्होंने कलम के माध्यम से आज तक अनेकों जन समस्याओं को उठाया है। लेकिन जो विकट समस्या वर्तमान में बनी हुई है, उसके लिए हमें सिर्फ सरकारी तंत्र के भरोसे नहीं रहना चाहिए और निहित स्वार्थ से उठकर अपने-अपने सामथ्र्य के अनुसार मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाना चाहिए। मुख्यधारा भी ऐसे कोरोना योद्धा को सल्यूट करता है।