बड़ी खबर : सीएम धामी ने हरिद्वार जमीन घोटाला मामले में दो आईएएस व एक पीसीएस समेत 10 अधिकारी सस्पेंड, 2 का सेवा विस्तार समाप्त, पढें आदेश

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  • घोटाला प्रकरण की होगी विजिलेंस जांच
  • तत्कालीन नगर आयुक्त के नगर निगम हरिद्वार में कार्यकाल के समस्त कार्यों की ऑडिट के निर्देश
  • संबंधित प्रकरण का विक्रय पत्र निरस्त,भू स्वामियों से धन की रिकवरी के निर्देश
  • भ्रष्टाचार पर सीएम धामी का कड़ा प्रहार, 2 आईएएस, एक पीसीएस सहित 10 अधिकारी निलम्बित, 2 का सेवा विस्तार समाप्त

देहरादून/मुख्यधारा

उत्तराखंड के हरिद्वार जमीन घोटाले के मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को सख्त एक्शन दिखाते हुए दो आईएएस एक पीसीएस अधिकारी समेत 12 लोगों को सस्पेंड कर दिया। सस्पेंड किए गए अधिकारियों में हरिद्वार के डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त शामिल हैं।

मामला 15 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ में खरीदने का है, जिसमें हरिद्वार नगर निगम ने एक अनुपयुक्त और बेकार भूमि को अत्यधिक दाम में खरीदा, जबकि न भूमि की कोई तात्कालिक जरूरत थी और न ही खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई। शासन के नियमों को दरकिनार कर घोटाला को अंजाम दिया गया।

जांच रिपोर्ट आने के बाद हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया गया।

इनके अलावा वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगो राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की को भी निलंबित किया गया है।

यह पहला मौका है जब किसी सत्ताधारी सरकार ने अपने ही सिस्टम में बैठे बड़े अधिकारियों पर इतनी कठोर कार्रवाई की है। इससे पहले नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को भी निलंबित किया जा चुका है। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार भी समाप्त कर उन्हें अनुशासनिक जांच में शामिल किया गया है।

अब इस पूरे मामले की जांच विजिलेंस करेगी और इसमें और भी कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं। गार्बेज डंपिंग यार्ड (कूड़ा एकत्र करने की जगह)के विस्तारीकरण के लिए जमीन खरीदने की प्रक्रिया में न तो पारदर्शिता बरती गई और न नियमों का पालन किया गया। साथ ही जमीन खरीदने के एवज में 54 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया जबकि असल में इस का मूल्य 15 करोड़ भी नहीं था।

इस आधार पर जांच अधिकारी ने हरिद्वार के डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त व वर्तमान में अपर सचिव स्वास्थ्य वरुण चौधरी, एसडीएम अजय वीर सिंह, तत्कालीन तहसीलदार, प्रशासनिक अफसर, अभियंता, लिपिक, पटवारी, डाटा एंट्री ऑपरेटर पर कार्रवाई की संस्तुति की गई।

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