Header banner

एटीएम हुआ 55 साल का : देश में तीन दशक से रुपए निकालने के लिए लोगों का हमसफर बना ATM, साल 1967 में हुई शुरुआत

admin
IMG 20220627 WA0004

शंभू नाथ गौतम

आज चर्चा एटीएम (ATM) की करेंगे। रुपए निकालने की एक ऐसी मशीन जो देशवासियों की जिंदगी से भी जुड़ी हुई है। आपको चौराहे पर या किसी विशेष स्थान पर एटीएम लगी हुई दिखाई पड़ जाती होगी।

साल 2016 में जब मोदी सरकार ने देश में नोटबंदी की थी, तब उस समय एटीएम (ATM) के बाहर कई महीनों तक पैसे निकालने के लिए लोगों की लंबी-लंबी लाइनें लगी रही। नोटबंदी के दौरान अगर एटीएम नहीं होते तब देशवासियों को अपने ही पैसे निकालने में और अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता।

देश में करीब दो दशक से रुपयों का ट्रांजैक्शन करने के लिए सबसे लोकप्रिय और अच्छा माध्यम एटीएम (ATM) बना हुआ है। गांव, कस्बों से लेकर छोटे बड़े सभी शहरों में आपको एटीएम (ATM) मशीनें दिखाई पड़ जाएंगी। हालांकि करीब चार-पांच सालों से गूगल पे, फोन पे, अमेजॉन, व्हाट्सएप, और पेटीएम आदि से देशवासी रुपयों का लेनदेन कर रहे हैं, लेकिन एटीएम आज भी रुपए निकालने और जमा करने के लिए लोगों की नंबर वन पसंद बना हुआ है।

आज एटीएम (ATM) 55 साल का हो गया है। आज ही के दिन 27 जून 1967 को उतरी लंदन के इनफिल्ड कस्बे में दुनिया का पहला एटीएम शुरू हुआ था। एटीएम को (ऑटोमेटेड टेलर मशीन) कहा जाता है।

आइए जानते हैं एटीएम (ATM) की शुरुआत दुनिया में किस परिस्थितियों में हुई थी। एटीएम की शुरुआत ब्रिटेन से हुई थी। 27 जून 1967 में आज ही के दिन लंदन लंदन में दुनिया की पहले एटीएम की शुरुआत हुई थी। बैंक की लाइन में खड़े रहने से परेशान जॉन शेफर्ड बैरोन ने ये मशीन बनाई थी। इसका आइडिया उन्हें चॉकलेट वेंडिंग मशीन से आया था। पहले उन्होंने 6 अंकों का पिन रखा था, लेकिन पत्नी को याद न रहने की वजह से इसे 4 अंकों का कर दिया। तब एक बार में 10 पाउंड (आज के हिसाब से करीब 1 हजार रुपए) ही निकलते थे। 1977 में सिटी बैंक ने न्यूयॉर्क में एटीएम लगाने के लिए 100 मिलियन डॉलर खर्च किए। सिटी बैंक को भारत में भी एटीएम को बढ़ावा देने का श्रेय जाता है।

90 के दशक में भारत में एटीएम (ATM) लगाने की हुई थी शुरुआत

बता दें कि 90 के दशक में भारत में भी एटीएम (ATM) लगाने की शुरुआत हो गई थी। साल 1987 में देश का पहला एटीएम शुरू हुआ था। इसे मुंबई में एचएसबीसी बैंक की शाखा ने लगाया था। तब से लेकर अब तक लाखों एटीमएम मशीन दुनिया भर में लग चुकी हैं। जिसका फायदा हर कोई उठा रहा है। बता दें कि एटीएम (ATM) मशीन का विकास श्रेय जॉन शेफर्ड-बैरोन और उनकी इंजीनियरिंग टीम ने किया था।

एक ब्रिटिश प्रिंटिंग कंपनी डे ला रू के लिए काम करते हुए शेफर्ड और उनकी टीम ने ऑटोमेटेड कैश सिस्टम मशीन तैयार की थी। जॉन शेफर्ड बैरोन का जन्म 23 जून 1925 को भारत के शिलॉन्ग में हुआ था और उनका निधन 2010 में स्कॉटलैंड में हुआ। भारत में एटीएम मशीन लगने से पहले लोग बैंक से ही रुपपों का लेनदेन करते थे।

एटीएम के बाद देशभर में बैंकों में पैसे निकालने के लिए भीड़ कम होती चली गई। एटीएम (ATM) मशीन लगने के बाद बैंक में मौजूद कर्मचारियों को भी राहत मिली है। 5 साल पहले नोटबंदी के दौरान एटीएम की उपयोगिता सबसे ज्यादा थी। डिजिटल इंडिया के दौर में भी एटीएम रुपए निकालने के लिए लोगों का मजबूत माध्यम बना हुआ है।

Next Post

ब्रेकिंग: एक्टिव हुए गवर्नर : कोश्यारी (Bhagat singh koshyari) स्वस्थ होकर राजभवन लौटे, अब महाराष्ट्र संकट पर राज्यपाल की अहम भूमिका

मुख्यधारा 7 दिनों से जारी महाराष्ट्र में सियासी संग्राम के बीच राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी (Bhagat singh koshyari) कोरोना से ठीक होने के बाद राजभवन लौट आए हैं। पिछले सोमवार को जब शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने मुख्यमंत्री […]
IMG 20220627 WA0005

यह भी पढ़े