उत्तराखंड : आयुष प्रदेश में 65 हजार योग प्रशिक्षित बेरोजगार - Mukhyadhara

उत्तराखंड : आयुष प्रदेश में 65 हजार योग प्रशिक्षित बेरोजगार

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उत्तराखंड : आयुष प्रदेश में 65 हजार योग प्रशिक्षित बेरोजगार

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डॉ. हरीश चन्द्र अन्डोला

आज पूरा देश इंटरनेशनल योगा दिवस मना रहा है। दून से लेकर पूरे राज्य में भी योगा को बढ़ावा देने के लिए तमाम कार्यक्रम आयोजित कर बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। लेकिन, वहीं दूसरी ओर से आज भी हजारों की संख्या में योग प्रशिक्षित बेरोजगार घूम रहे हैं। राज्य गठन के 24 साल पूरे हो चुके हैं। लेकिन, अब तक ट्रेनिंग ले चुके करीब 65 हजार योग प्रशिक्षित आज भी रोजगार की तलाश कर रहे हैं। उत्तराखंड से योग को देश- दुनिया में इतनी प्रसिद्धि मिली पर राज्य के योग प्रशिक्षित बेरोजगारों को रोजगार नहीं मिला। राज्य में 65 हजार योग प्रशिक्षित बेरोजगार हैं। इन बेरोजगारों का कहना है, योग को बढ़ावा देने के नाम पर कई बड़े दावे किए जाते हैं।

पूर्ववर्ती सरकार हो या फिर वर्तमान की सरकारदोनों सरकारों में उनके लिए नौकरी की घोषणा हुई, लेकिन नौकरी नहीं मिली। उनके लिए पूर्व में कैबिनेट में आए प्रस्ताव भी लटके हैं। उत्तराखंड योग प्रशिक्षित बेरोजगार महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष के मुताबिक, कैबिनेट बैठक में 31 दिसंबर 2021 को प्रदेश के 119 राजकीय महाविद्यालयों एवं हर जिले के एक-एक इंटर कालेज में योग प्रशिक्षितों की नियुक्ति का निर्णय लिया गया था। लेकिन, वित्त विभाग की मंजूरी के बिना कैबिनेट में आया यह प्रस्ताव आपत्ति के चलते आगे नहीं बढ़ पाया।

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योग प्रशिक्षित बेरोजगारों का कहना है कि नौकरी के नाम पर उनके साथ मजाक हो रहा है। वर्ष 2010, 2014 और 2016 में योग प्रशिक्षितों को नियुक्ति का प्रस्ताव कैबिनेट में आया, लेकिन इसके बाद कुछ नहीं हुआ। इसके अलावा एक मार्च 2014 को टिहरी में आयोजित एक समारोह में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने जूनियर हाईस्कूलों एवं इससे उच्च स्तर की कक्षाओं में योग शिक्षा को शामिल करने एवं योगाचार्यों की नियुक्ति की घोषणा की थी, लेकिन घोषणा के बाद उनकी नियुक्ति के मसले पर कुछ नहीं हुआ। शहरी क्षेत्रों में कुछ योग प्रशिक्षित घर-घर जाकर लोगों को योगाभ्यास करा रहे हैं। उन्हें इससे जो मिलता है, उससे किसी तरह अपने परिवार का खर्चा चला रहे हैं, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं के पूरी तरह से हाथ खाली हैं।योग हमारी प्राचीन परंपरा की एक अमूल्य धरोहर है। योग शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण को बढ़ावा देता है। यह शरीर, मन और आत्मा के संतुलन को विकसित करने का एक प्राकृतिक तरीका है।

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उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया, आज 24 साल बाद वही लोग हाशिए पर हैं। प्रदेश अध्यक्ष बताते है कई बार अधिकारियों व मंत्रियोंं के
चक्कर काट चुके हैं। लेकिन, अब तक किसी भी तरह का समाधान नहीं हो सका है। राज्य में योग के सर्टिफिकेट कोर्स संचालित होने लगे थे। इसके बाद योग में पीजी कोर्स के साथ अब नेट तक की डिग्रियां दी जा रही हैं। लेकिन, इन डिग्रियों के बाद भी युवा बेरोजगार घुम रहे हैं।लेकिन सरकार की ओर से अब तक इस बारे में कोई ठोस पहल नहीं हो पाई है। यही वजह है आज राज्य में 65 हजार से अधिक योग प्रशिक्षित बेरोजगारों घुम रहे हैं। कैबिनेट बैठक में निर्णय लिया गया था कि प्रदेश के 119 राजकीय महाविद्यालयों एंव प्रत्येक जनपद के एक – एक राजकीय इंटर कॉलेज में आउटसोर्स के माध्यम से योग प्रशिक्षित नियुक्ति किए जायेंगे। लेकिन, लाख बीत जाने के बाद भी योग प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई हैं। -: इनमें से कई ऐसे युवा भी है जिनकी उम्र भी पार हो चुकी है।

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(इस लेख में लेखक ने अपने निजी विचार व्यक्त किए हैं)

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