सेंसेक्स में गिरावट : अमेरिका में आर्थिक मंदी की आहट से दुनिया के कई देशों में मची खलबली, भारतीय बाजार में उथल-पुथल, सहमें निवेशक
मुख्यधारा डेस्क
पूरे दुनिया का अमेरिका सबसे पावरफुल देश माना जाता है। भारत समेत दुनिया के तमाम देश अमेरिका में घटित होने वाली घटनाएं भारत समेत दुनिया के तमाम देशों में सुर्खियां बन जाती हैं। ऐसे ही पिछले दिनों यूएस बाजार की करवट से कई देशों में खलबली मच गई। चीन जापान में भी सेंसेक्स बाजार सहमा हुआ है। ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की आशंका के कारण ग्लोबल मार्केट में निगेटिव सेंटिमेंट है। इसी का असर भारतीय शेयर बाजार में भी देखने को मिल रहा है।
अमेरिका में मंदी की आशंका के चलते हफ्ते के पहले कारोबारी दिन यानी 5 अगस्त को सेंसेक्स में करीब 2,200 अंकों की गिरावट है। ये 78,700 के करीब आ गया है। वहीं, निफ्टी में भी करीब 650 अंक की गिरावट है, ये 24,000 के स्तर से नीचे आ गया है।
आज के कारोबार में निफ्टी रियल्टी, बैंक, मेटल और ऑटो इंडेक्स में 4% से ज्यादा की गिरावट है। वहीं आईटी, मीडिया और ऑयल इंडेक्स भी करीब 3% नीचे हैं। सेंसेक्स के टॉप लूजर्स में टाटा मोटर्स, अडाणी पोर्ट, टाटा स्टील, इंफोसिस और जेएसडब्ल्यू स्टील हैं, जो करीब 5% नीचे हैं। अब बात करते हैं कि अमेरिका में ऐसा क्या हुआ है, जिससे भारतीय शेयर बाजार धराशायी नजर आ रहा है।
बता दें कि अमेरिका में मंदी के डर के बाद शुक्रवार को बाजार में बड़ा नुकसान हुआ था, वहीं दूसरी ओर अमेरिका में पॉलिसी रेट में कटौती में हो रही देरी के अलावा एआई और चिप वाले शेयरों में जोरदार बिकवाली भी गिरावट के बड़े कारणों में से एक रहे। खासतौर पर अमेरिकी में मची इस हलचल का असर भारत समेत दुनियाभर के बाजारों में दिखाई दे रहा है।
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अमेरिका में मंदी की आशंका का सबसे बड़ा कारण है- कमजोर विनिर्माण डेटा। अमेरिका के वॉल स्ट्रीट के शेयरों में आई गिरावट का यह सबसे बड़ा कारण बना। अमेरिका में कई एक्सपर्ट्स का मानना है कि मंदी के लिए आर्थिक चिंताएं जिम्मेदार हैं। बेरोजगारी के दावे अनुमानों से ज्यादा हैं। बाजार में निवेशकों को यह डर है कि अर्थव्यवस्था कमजोर हो रही है और हम 8 से 12 महीने बाद तक मंदी की तरफ जा सकते हैं।
भारतीय शेयर मार्केट की बात करें तो बाजार फिलहाल अपने पीक पॉइन्ट पर है। यहां आई गिरावट को लेकर पहले भी एक्सपर्ट्स अनुमान जता चुके हैं। शेयर बाजार में कुछ शेयरों का वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो चुका है और इनमें हो सकता है कि इस गिरावट के साथ बड़ा करेक्शन हो। अमेरिका में आंकड़ों के मुताबिक जुलाई में जॉब ग्रोथ में गिरावट आई है। लेबर डिपार्टमेंट के मुताबिक नॉन-फार्म पेरोल में पिछले महीने केवल 114,000 जॉब्स बढ़े। इसके 175,000 बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी। बढ़ती आबादी के साथ तारतम्य बनाए रखने के लिए हर महीने 200,000 नए जॉब्स की जरूरत है। साथ ही देश में बेरोजगारी की दर बढ़कर 4.3 फीसदी पहुंच गई जो करीब तीन साल में सबसे ज्यादा है।