पीएम का सिंगापुर दौरा: पीएम मोदी ने कहा- हम भी भारत में कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं, दोनों देशों में हुए कई समझौते, जानिए इस देश की दुनिया में क्यों है धमक

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पीएम का सिंगापुर दौरा: पीएम मोदी ने कहा- हम भी भारत में कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं, दोनों देशों में हुए कई समझौते, जानिए इस देश की दुनिया में क्यों है धमक

मुख्यधारा डेस्क

एशिया द्वीप में आने वाला सिंगापुर दुनिया के टॉप महंगे देशों में शुमार है। यहां पर नौकरी करना और निवेश करना हर भारतीय का सपना होता है। इसके साथ सिंगापुर काफी महंगा भी है। सिंगापुर अपनी लाइफ स्टाइल की वजह से विश्व में चर्चा में भी रहता है। आज बात करेंगे समृद्ध सिंगापुर की। प्रधानमंत्री मोदी ब्रुनेई और सिंगापुर का दौरा कर स्वदेश लौट आए हैं। उनके ये दोनों ही दौरे महत्वपूर्ण रहे। पीएम मोदी के ब्रुनेई दौरे को दोनों देशों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक और रणनीतिक संबंधों को मजबूत करने के लिए महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा गया।

इसी तरह पीएम मोदी के सिंगापुर दौरे के दौरान कई समझौतों पर हस्ताक्षर हुए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को सिंगापुर पहुंचे। प्रधानमंत्री ने इस देश में हुए विकास की खूब तारीफ की। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिंगापुर में बिजनेस लीडर्स से मुलाकात की। उन्होंने कहा, ‘सिंगापुर सिर्फ एक सहयोगी देश ही नहीं, हर विकासशील देश के लिए एक प्रेरणा है। हम भी भारत में कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं।

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मोदी ने सिंगापुर के व्यापारियों को भारत आने का न्योता दिया। उन्होंने कहा, ‘मैं वाराणसी का सांसद हूं। अगर आप पान खाने का आनंद लेना चाहते हैं, तो आपको वाराणसी में जरूर निवेश करना चाहिए।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ सिंगापुर के कारोबारियों की गोलमेज बैठक में वहां की कंपनियों ने अगले कुछ वर्षों में भारत में 5 लाख करोड़ रुपये (लगभग 60 बिलियन अमेरिकी डॉलर) से अधिक के निवेश की प्रतिबद्धता जताई।

बिजनेस लीडर्स समिट के दौरान पीएम मोदी ने कहा कि हम भारत में कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। पीएम ने कहा, यह मेरा तीसरा कार्यकाल है। जो लोग भारत से परिचित हैं, उन्हें पता होगा कि 60 साल बाद किसी सरकार को तीसरी बार जनादेश मिला है। इसके पीछे का कारण मेरी सरकार की नीतियों में लोगों का विश्वास है। अगर दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला विमानन क्षेत्र कोई है, तो वह भारत में है। एमआरओ होना हमारी प्राथमिकता है। आपको (व्यवसाइयों को) हवाई अड्डों के विकास में निवेश करने के लिए भारत आना चाहिए।

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पीएम मोदी ने कहा कि हम पूर्वानुमानित और प्रगतिशील नीतियों के साथ आगे बढ़ रहे हैं। भारत में राजनीतिक स्थिरता है। हम सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में आक्रामक रूप से आगे बढ़ रहे हैं। हम इस क्षेत्र में एक संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर काम कर रहे हैं। भारत में टियर 2 और टियर 3 शहरों में स्टार्टअप बहुत तेजी से बढ़ रहे हैं। पीएम ने कहा कि मैंने देखा कि जो एक विषय नजर आ रहा है, वह कौशल विकास का है। भारत में हम इंडस्ट्री 4.0 को ध्यान में रखते हुए और सेमीकंडक्टर के क्षेत्र को देखते हुए कौशल विकास पर बहुत बल दे रहे हैं। इस दौरान उन्होंने सिंगापुर के कारोबारियों से आह्वान करते हुए कहा, आप आइए, काशी में निवेश करिए।भारत और सिंगापुर ने सेमीकंडक्टर, डिजिटल टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य सहयोग और स्किल डेवलपमेंट के क्षेत्र में एग्रीमेंट किया है। इसके तहत भारत में सेमीकंडक्टर क्लस्टर बनाए जाएंगे और सेमीकंडक्टर डिजाइन और प्रोडक्शन की ट्रेनिंग दी जाएगी। दोनों देशों के बीच साइबर सिक्योरिटी, 5जी, सुपर कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में सहयोग करने पर सहमति बनी।

सिंगापुर दुनिया के सबसे अमीर देशों में चौथे नंबर पर, आसान नहीं यहां रहना

बता दें सिंगापुर 719 वर्ग किमी में फैला एक टापू देश है। ये इतना छोटा है कि भारत में 4,571 सिंगापुर समा सकते हैं। इसके बावजूद सिंगापुर दुनिया के सबसे अमीर देशों में चौथे नंबर पर है। सिंगापुर में प्रति व्यक्ति आय 1.07 लाख अमेरिकी डॉलर (करीब 90 लाख रुपए) है। वहीं, भारत की प्रति व्यक्ति आय महज 2,239 डॉलर (करीब 1 लाख 87 हजार रुपए) है।सिंगापुर को भले ही टूरिस्ट डेस्टिनेशंस, साफ-सफाई और शॉपिंग के जाना जाता हो, लेकिन इसकी गिनती दुनिया में महंगे देशों में की जाती है। इसी साल आई जुलियस बेयर की रिपोर्ट ने भी इस पर मुहर लगाई।

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अब सवाल उठता है कि सिंगापुर में आखिर ऐसा क्या है कि महंगाई के मामले में इसने दुनियाभर के देशों को पीछे छोड़ दिया है। दूसरे पायदान पर हॉन्गकॉन्ग और लंदन तीसरे नम्बर पर है। सिंगापुर की करंसी दुनिया के कई बड़े देशों के मुकाबले मजबूत है। यह करंसी विदेशी पर्यटकों के लिए महंगी साबित होती है। यह उनकी खरीदारी और खर्चों पर असर डालती है। सिंगापुर उन देशों में है खाने की चीजें बहुत आयात करता है। इसमें सबसे जरूरी चीज फूड और कच्चा माल शामिल है। आयात के कारण देश पर खर्च का बोझ अधिक पड़ता है। ट्रांसपोर्टेशन की लागत ज्यादा होने के कारण यह चीजें आम लोगों तक पहुंचते-पहुंचते और महंगी हो जाती है।इस देश को हाइली स्किल्ड वर्कफोर्स के लिए जाना जाता है। वर्कप्लेस पर ज्यादा अनुभवी और उच्च शिक्षित लोग होने के कारण सैलरी के मानक भी अच्छे हैं। नतीजा, चीजों की सर्विस कॉस्ट बढ़ जाती है। यही वजह है कि यहां की सर्विसेज महंगी हैं। इस देश को हाइली स्किल्ड वर्कफोर्स के लिए जाना जाता है। वर्कप्लेस पर ज्यादा अनुभवी और उच्च् शिक्षित लोग होने के कारण सैलरी के मानक भी अच्छे हैं। नतीजा, चीजों की सर्विस कॉस्ट बढ़ जाती है। यही वजह है कि यहां की सर्विसेज महंगी हैं।यहां बिजनेस को सेटअप करने के लिए माहौल भले ही बेहतर है लेकिन रेंट, उससे जुड़ी यूटिलिटीज और सैलरी के मानक ऊंचे हैं।

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टैक्स और फीस भार को और बढ़ाने का काम करते हैं। इससे चीजों की लागत बढ़ जाती है। इनका मकसद लोगों को वर्ल्ड क्लास सुविधा उपलब्ध कराना है, इस तरह उस लक्ष्य तक पहुंचने में लागत बढ़ती है और महंगाई भी। कोई देश कैसे महंगा साबित किया जाता है, यह भी जान लेते हैं‌ इसके अलग-अलग मानक है। जैसे- यहां प्रॉपर्टी के दाम, कार ओनरशिप, प्राइवेट मेडिकल केयर, कंज्यूमर गुड्स सर्विसेज, लिविंग कॉस्ट समेत कई फैक्टर्स इसमें शामिल किए जाते हैं। इसके आधार पर उस देश को रहने के लिए महंगा सा सस्ता देश बताया जाता है।

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