नोबेल शांति पुरस्कार : शांति के लिए जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो को मिला नोबेल पुरस्कार, इस संगठन ने परमाणु हथियारों को मुक्त बनाने में निभाई अहम भूमिका
मुख्यधारा डेस्क
नॉर्वे नोबेल समिति ने आज शांति के लिए नोबेल पुरस्कार देने का एलान किया। जापान के संगठन निहोन हिडांक्यो को 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया। उन्हें यह सम्मान दुनिया को परमाणु हथियारों से मुक्त बनाने के लिए चलाए गए अभियान के लिए दिया गया है।
नॉर्वे नोबेल समिति के अध्यक्ष जॉर्गन वात्ने फ्रिदनेस ने शुक्रवार को पुरस्कार की घोषणा करते हुए कहा कि परमाणु हथियारों के इस्तेमाल के निषेध को लेकर बनी सहमति दबाव में है और इसलिए इस संगठन को पुरस्कार दिया जा रहा है। निहोन हिडांक्यो में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम धमाकों में जीवित बचे लोग शामिल हैं, जिन्हें हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है।
हिदांक्यो संगठन की स्थापना 1956 में परमाणु और हाइड्रोजन बमों के खिलाफ हो रही दूसरी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस के दौरान हुई थी। अमेरिका ने 1954 में हाइड्रोजन बम का टेस्ट किया था इसके विरोध में 1955 में वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस की शुरुआत हुई थी। 1945 में हुए परमाणु हमलों के लगभग 10 साल बाद भी पीड़ितों को अमेरिका की तरफ से कोई मदद नहीं मिली थी।
अमेरिकी सेना ने पीड़ित लोगों पर परमाणु हमलों के बारे में कुछ भी बोलने और लिखने को लेकर रोक लगा रखी थी। संगठन ने अपनी स्थापना के बाद से हिबाकुशा (पीड़ित लोगों) के समूहों को दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में भेजा, जिससे दुनिया के लोगों को परमाणु हथियारों से होने वाले भयानक नुकसान और मानव पीड़ा के बारे में बताया जा सके। संगठन ने यह सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि दुनिया में कहीं भी और हिबाकुशा न बनाए जाएं, और दुनिया ‘परमाणु हथियार-मुक्त’ बन सके।
पिछली बार यानी साल 2023 में ईरानी पत्रकार और ह्यूमन राइट्स कार्यकर्ता नरगिस मोहम्मदी को शांति के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्हें यह प्राइज महिलाओं की आजादी और उनके हक के लिए लड़ने पर मिला था।
नोबेल कमेटी ने पीस प्राइज की घोषणा ईरान की महिलाओं के नारे जन-जिंदगी-आजादी के साथ की थी। 51 साल की नरगिस ईरान की एवान जेल में कैद हैं। उन्हें अब तक 13 बार गिरफ्तार किया जा चुका है। आखिरी गिरफ्तारी के बाद नरगिस को 31 साल की जेल और 154 कोड़ों की सजा सुनाई गई थी।
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