देहरादून। अपना पूरा जीवन समाज के सरोकारों के लिए खपा देने वाले योद्धा त्रेपन सिंह चौहान का आज सुबह देहरादून में निधन हो गया है। वह पिछले लगभग चार सालों से बीमारी से जूझ रहे थे और देहरादून में उनका उपचार चल रहा था।
लेखक, आंदोलनकारी, यमुना, हे ब्वारी व भाग की फांस जैसे बहुचर्चित उपन्यासों के लेखक त्रेपन सिंह चौहान में सामाजिक सरोकारों का जुनून इस कदर था कि वे जीवन के अंतिम समय तक समाज के लिए काम करते रहे। बताते चलें कि श्री चौहान के अंतिम दिनों में उनकी ऐसी स्थिति थी कि उनके हाथ, पैर तक काम करना बंद कर चुके थे, लेकिन उन्होंने फिर भी हार नहीं मानी और न्यूरोलोजिकल से जूझने के बावजूद लेखन जारी रखा। जब उनके हाथों ने भी काम करना बंद कर दिया तो उन्होंने बोलकर लिखना शुरू किया। फिर एक समय आया, जब बोलने की सामथ्र्य भी नहीं रही। इस पर भी उन्होंने हार नहीं मानी और आंखों की पुतलियों के सहारे लिखने वाले सॉफ्टवेयर की मदद से अपने पांचवें उपन्यास को पूरा कर रहे थे।
वह अपने पीछे पत्नी और दो बच्चे छोड़ गए हैं। उनके निधन से साहित्य जगत, पत्रकारों समेत प्रदेशभर में शोक की लहर दौड़ गई है। श्री चौहान जैसी शख्सियत के जाने की भरपाई समाज को कभी नहीं की जा सकती।
वरिष्ठ पत्रकार महिपाल नेगी ने श्री चौहान को अपनी कलम के माध्यम से इस प्रकार श्रद्धांजलि अर्पित की है।