Header banner

सत्र में भट्ट ने उठाया प्राकृतिक कृषि एवं आयुष क्षेत्र की केंद्रीय योजनाओं का मुद्दा

admin
m 1 1

सत्र में भट्ट ने उठाया प्राकृतिक कृषि एवं आयुष क्षेत्र की केंद्रीय योजनाओं का मुद्दा

नई दिल्ली/देहरादून, मुख्यधारा

राज्यसभा सांसद एवं प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने शीतकालीन सत्र में प्राकृतिक कृषि एवं आयुष क्षेत्र की राज्य में संचालित केंद्रीय योजनाओं का मुद्दा उठाया है। केंद्र की तरफ से दिए ज़बाब में बताया गया कि अब तक राज्य के 3 लाख से अधिक किसानों को जैविक कृषि में कवर करने के लिए 551 करोड़ रुपए जारी किए हैं

उन्होंने सत्र में अतारांकित प्रश्न संख्या 491 के तहत कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय पारम्परिक कृषि को बढ़ावा देने वाली नीतियों जानकारी मांगी। जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार से उत्तराखंड में पारम्परिक कृषि को समर्थन देने के लिए तैयार योजना तैयार का ब्यौरा मांगा। जिसका ज़बाब देते हुए कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर की तरफ से बताया गया कि केंद्र सरकार द्वारा परम्परागत कृषि विकास योजना के तहत एक उप-योजना भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति चलाई जा रही है। जिसे राष्ट्रीय प्राकृतिक कृषि मिशन के रूप में मिशनमोड में उन्नत किया गया है, जो उत्तराखंड समेत देश में परम्परागत खेती को प्रोत्साहित कर रही है। जिसमें जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है और इस खेती में लगे किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणीकरण और विपणन तथा कटाई के बाद प्रबंधन प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण तक संपूर्ण सहायता पर जोर दिया जाता है।

यह भी पढ़ें : महिलाओं की निजता का हनन करने वालों के विरुद्ध हो कड़ी कार्रवाई : कुसुम कण्डवाल

इस योजना के तहत प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण, डेटा प्रबंधन, भागीदारी गारंटी प्रणाली-भारत प्रमाणन, मूल्य संवर्धन, विपणन और प्रचार जैसे घटकों को कवर करने के लिए जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु तीन साल की अवधि के लिए प्रति हेक्टेयर 31,500 रुपये की कुल सहायता प्रदान की जाती है। इस सहायता में से किसानों को ऑन- फार्म ऑफ-फार्म जैविक इनपुट के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से तीन साल की अवधि के लिए 15,000 रुपये प्रति हेक्टेयर प्रदान किए जाते हैं।

ज़बाब में स्पष्ट किया गया कि बी.पी.के.पी. को 25 नवंबर 2024 को मिशन मोड में एन.एम.एन.एफ. के रूप में उन्नत किया गया है। यहां प्राकृतिक खेती को रसायन मुक्त कृषि पद्धति के रूप में समझा जाता है जिसमें पशुधन एकीकृत प्राकृतिक खेती पद्धतियां और विविध फसल प्रणालियां शामिल हैं।

केंद्र सरकार का लक्ष्य है कि अगले दो वर्षों में, एनएमएनएफ को 7.5 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ग्राम पंचायतों में 15,000 समूहों में लागू किया जाएगा और 1 करोड़ किसानों तक पहुँचाया जाएगा। किसानों को प्राकृतिक खेती के इनपुट तक आसान पहुँच प्रदान करने के लिए 10,000 आवश्यकता-आधारित जैव-इनपुट संसाधन केंद्र बीआरसी विकसित किए जाएंगे।

यह भी पढ़ें : शिक्षा विभाग में तैनात होंगे 599 और अतिथि शिक्षक (Guest Teacher) : डॉ. धन सिंह रावत

उत्तराखंड राज्य को लेकर दी गई जानकारी में उन्होंने बताया कि पीकेवीवाई के माध्यम से राज्य में भी परम्परागत कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। जिसके तहत उत्तराखंड के लिए वर्ष 2015-16 से अब तक 1.41 लाख हेक्टेयर और 3.01 लाख किसानों को कवर करने वाले 7037 क्लस्टरों के लिए 551.23 करोड़ रुपये रिलीज किए गए हैं। इसके अलावा परम्परागत कृषि को समर्थन देने के लिए किसानों को प्रशिक्षण, बीज वितरण आदि दिए जा रहे हैं।

वहीं भट्ट ने एक और अतारांकित प्रश्न सं. 804 में उत्तराखंड में आयुर्वेद को बढ़ावा देने वाली केंद्रीय योजनाओं की जानकारी मांगी। जिसके जवाब में आयुष मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रतापराव जाधव की तरफ से बताया गया कि केंद्र द्वारा उत्तराखंड सहित राज्य एवं संघ राज्य क्षेत्र की सरकारों के माध्यम से राष्ट्रीय आयुष मिशन एनएएम की केंद्रीय प्रायोजित योजना को कार्यान्वित कर रहा है। जिसमें राज्य वार्षिक कार्य योजनाओं के माध्यम से प्राप्त उनके प्रस्तावों के आधार पर एनएएम दिशानिर्देशों के प्रावधानों के अनुसार वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। ताकि आयुर्वेद चिकित्सा सहित देश में आयुष पद्धति के विकास और संवर्धन के लिए उनके प्रयासों का समर्थन हो। जिसमें प्रमुख है, मौजूदा आयुष औषधालयों और उप स्वास्थ्य केंद्रों को उन्नत करके आयुष्मान आरोग्य मंदिर का संचालन, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और जिला अस्पतालों में आयुष सुविधाओं की सह-स्थापना, मौजूदा एकल सरकारी आयुष अस्पतालों का उन्नयन। इसी तरह मौजूदा सरकारी, पंचायत, सरकारी सहायता प्राप्त आयुष औषधालयों का उन्नयन, मौजूदा आयुष औषधालय के लिए भवन का निर्माण, उन क्षेत्रों में नए आयुष औषधालय की स्थापना के लिए भवन का निर्माण, जहां कोई आयुष सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं ।

यह भी पढ़ें : मसूरी : किंगक्रेग से गज्जी बैंड तक सेटलाईट पार्किंग हकीकत में की गई तब्दील

वहीं 10, 30, 50 बिस्तरों तक के एकीकृत आयुष अस्पतालों की स्थापना। साथ ही राजकीय आयुष अस्पतालों, राजकीय औषधालयों और सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थागत आयुष अस्पतालों को जरूरी औषधियों की आपूर्ति भी की जा रही है। अब तक उत्तराखंड से एसएएपी के माध्यम से प्राप्त प्रस्तावों के अनुसार, विभिन्न गतिविधियों के कार्यान्वयन के लिए 2014-15 से 2023-24 तक 149 करोड़ 49 लाख रुपये की धनराशि जारी की गई है।

Next Post

Tourism : 100 करोड़ की लागत से ऋषिकेश में बनेगा राफ्टिंग बेस स्टेशन

Tourism : 100 करोड़ की लागत से ऋषिकेश में बनेगा राफ्टिंग बेस स्टेशन राफ़्टिंग बेस स्टेशन के लिए मुख्यमंत्री ने जताया प्रधानमंत्री मोदी का आभार ऋषिकेश में पयर्टन गतिविधियां बढ़ने से आस पास के सम्पूर्ण क्षेत्र में बढेंगे रोजगार के […]
t

यह भी पढ़े