नागटिब्बा क्षेत्र से विशेष समुदाय के लोगों को पशु चुगान के लिए अन्यत्र स्थानांतरित करने की मांग, मुख्यमंत्री को लिखा पत्र
जौनपुर/मुख्यधारा
जौनपुर टिहरी गढ़वाल से भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख सूचना प्रौद्योगिकी आईटी सेल रविंद्र रावत ने धनोल्टी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत जौनपुर ब्लॉक के विश्व प्रसिद्ध देवस्थल/पर्यटक स्थल श्री नागटिब्बा धाम तीर्थ क्षेत्र में विशेष समुदाय के लोगों पर प्रतिबंध लगाने को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं वन मंत्री सुबोध उनियाल को पत्र लिखा है। उन्होंने इन लोगों को पशु चुगान के लिए अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने की मांग की है।
रविंद्र रावत ने सीएम को लिखे पत्र में मांग करते हुए लिखा है कि देवभूमि उत्तराखंड के विश्व प्रसिद्ध देवस्थल/पर्यटक स्थल श्री नागटिब्बा धाम में विशेष समुदाय के लोगों द्वारा कुकृत्यों को आपके संज्ञान में लाना चाहता हूँ। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड राज्य निर्माण से पूर्व उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों के समय से विशेष समुदाय के लोगों को पशुपालन/चुगान करने के लिए परमिट दिया जाता रहा है, जो आज भी जारी है। तत्समय से समुदाय विशेष के लोगों द्वारा पेड़ों का अवैध रूप से कटान किया जाता रहा है। साथ ही हमारे धाम नागटिब्बा के पवित्र देवकुण्ड को अपवित्र किया जा रहा है।
उन्होंने यह भी कहा है कि श्री नागटिब्बा धाम के निकट स्थित हेलीपैड के पास अवैध कच्ची मजार का निर्माण कराया गया है।
उन्होंने मुख्यमंत्री से सनातन धर्म की आस्था, देवभूमि उत्तराखंड की लोक संस्कृति, रीति रिवाज, परम्परा व लोक मान्यताओं के सम्मान को दृष्टिगत रखते हुए श्री नागटिब्बा धाम तीर्थ क्षेत्र से विशेष समुदाय के लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की है।
रविंद्र रावत ने इस पत्र की प्रतिलिपि वन मंत्री उत्तराखंड सरकार एवं मुख्य वन संरक्षक उत्तराखंड सरकार को भी प्रेषित की है।
यही नहीं रविंद्र सिंह रावत ने वन क्षेत्राधिकारी भद्रीगाड रेंज, सुमनक्यारी द्वारा मसूरी वन प्रभाग को अप्रैल 2024 में भेजे गए एक पत्र का संज्ञान लेने का भी मुख्यमंत्री से अनुरोध किया है। जिसमें गुजरों को ग्रीष्मकालीन चरान चुगान के संबंध में कहा गया है कि भद्रीगाड़ रेंज के अंतर्गत कार्य योजना के सारणी सं0 14.13 के अनुसार ऐन्दी क0सं0 05 एवं कोड़ी क0सं0 3ए में ग्रीष्मकालीन चरान चुगान हेतु परमिट दिया जाता है। उक्त के क्रम में निवेदन करना है कि कई वर्षों से लगातार उक्त क्षेत्र में गुजरों द्वारा चरान चुगान करने से प्राकृतिक पुनर्जनन की क्षमता पूर्ण रूप से समाप्त हो गई है, जिससे वर्षाकाल में भू-स्खलन व भू-क्षरण की समसया उत्पन हो गई है। भद्रीगाड़ रेंज के अंतर्गत अन्य क्षेत्र ढंगारी होने के कारण मवेशियों के चरान चुगान हेतु उपयुक्त नहीं है। अत: महोदय से निवेदन है कि उक्त परिस्थितियों के कारण गुजरों के मवेशियों के चरान चुगान हेतु अन्य रेंजों में व्यवस्था किए जाने की मांग की गई है।
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