हम किसी कॉन्वेंट स्कूल के बच्चे नहीं, बल्कि दूरस्थ सरकारी स्कूल के बच्चे हैं।
आज हम आपको एक ऐसे व्यक्ति विशेष के बारे में बताते हैं, जिस व्यक्ति ने एक आदर्श गुरु की परिकल्पना को सार्थक किया है।शिशुपाल नेगी, जो 11 साल पहले गोपेश्वर में एक प्राइवेट स्कूल के बच्चों को पढ़ाते थे। 2016 में इनकी पोस्टिंग पौड़ी गढ़वाल जिले के थलीसैंण दडोली गवरमेंट इंटर कॉलेज में हुई। वहां पहुंचते ही उन्होंने देखा कि हमारे बच्चे शुद्ध हिंदी बोलने में भी संकोच कर रहे हैं।
उन्होंने एक सपना अपने मन में बुना कि हमारा बच्चा भी फ़्लूएंट इंग्लिश बोले और उसके साथ अपनी गढ़वाली भाषा को भी हीन भावना से न देखे और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हमेशा अपने को आगे देखें। उद्देश्य मात्र कि लैंग्वेज लर्निंग में हमारे बच्चे अव्वल दर्जे पर आकर प्राइवेट स्कूल के बच्चों से कंपल करें। मूल रूप से रुद्रप्रयाग के रहने वाले शिशुपाल नेगी 300 बच्चों वाले सरकारी स्कूल में इस तरीके का माहौल बना चुके हैं कि वहां बोलचाल की भाषा में भी आज बच्चों द्वारा अंग्रेजी में ही बात की जाती है और बहुत ही शानदार तरीके से इन बच्चों को द्वारा गढ़वाली, अंग्रेजी व हिंदी में चीजों को सिखाया व समझााा जाता है। हमें गर्व है शिशुपाल नेगी जैसे गुरुओं पर, जिन्होंने आज के इस दौर में भी ‘गुरु गोविंद दोऊ खड़े काको लागे पाय’ वाली बात को सार्थक बनाया। यही कारण है कि समस्त क्षेत्रवासी श्री नेेेगी के उज्जवल भविष्य की कामना गोपीनाथ से कर रहे हैं।
यही नहीं क्षेत्रवासियों की उम्मीद है कि श्री नेगी जैसे गुरुजन हर ब्लॉक व हर जिले को मिलने के साथ ही पूरे उत्तराखंड में मिलें, जिससे अंग्रेजी के प्रति जो डर व संकोच पहाड़ के नौनिहालों का पुराने समय से बना हुआ है, उसका आज के प्रतिभावान युवा जोरदार तरीके से सामना कर सकें और आज के कंपिटीशन वाले दौर में मैदानी क्षेत्रों के युवाओं के साथ हर एक परीक्षा में बैठकर उन तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता के झंडे बुलंद कर विभिन्न क्षेत्रों में नए आयाम स्थापित करेंगे, जिससे शिशुपाल नेगी जैसे दृढ़निश्चयी गुरुजनों का सपना सही मायनों में साकार हो सकेगा।
(साभार : अंकोला पुरोहित)