दिग्गज पत्रकार सेमवाल को षडयंत्र के तहत फंसाने का मामला प्रधानमंत्री तक पहुंचा, न्याय की गुहार
सेमवाल की गिरफ्तारी पर 18 पत्रकार संगठन हुए एकजुट
राजनीतिक संगठनों ने भी दिया सेमवाल का साथ
कलमकारों का हाथ कमल करने की हो रही साजिश
देहरादून। देहरादून समेत प्रदेशभर के पत्रकारों, सामाजिक संगठनों एवं आम जनता के धरना, प्रदर्शन व उबाल के बाद अब दिग्गज पत्रकार एवं पर्वतजन पोर्टल के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल का मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच गया है। पीएम से शिकायत की गई है कि उत्तराखंड पुलिस ने श्री सेमवाल को एक षडयंत्र के तहत फंसाया है, क्योंकि वे अपनी खबरों के माध्यम से सरकार व नौकरशाहों की तमाम जनविरोधी नीतियों एवं भ्रष्टाचार को आमजन तक पहुंचाने का काम करते हैं।
देहरादून निवासी विजेंद्र राणा ने उक्त प्रकरण में ट्वीटर अकाउंट पर प्रधानमंत्री को पत्र भेजकर न्याय की गुहार लगाई है। अपने पत्र में श्री राणा ने लिखा है कि पर्वतजन के संपादक शिव प्रसाद सेमवाल उत्तराखंड के एक ऐसे दिग्गज पत्रकार हैं, जो अपनी धारदार लेखनी के माध्यम से विगत दो दशकों से सरकार व नौकरशाहों की तमाम घपला, घोटालों व भ्रष्टाचार को उजागर करते रहे हैं। उनको षडयंत्र के तहत फंसाया गया है। ऐसे में मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है। उन्होंने यह भी कहा है कि गांधी जी के रामराज एवं अटल जी के न्यायप्रिय भारत में जो कुछ घटित हो रहा है, इससे लोकतंत्र वाले देश में लोकतंत्र की विश्वसनीयता पर ही संदेह खड़ा होने लगा है। यानि कि लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ मीडिया की आवाज दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
श्री राणा ने प्रधानमंत्री से शिव प्रसाद सेमवाल को शीघ्र न्याय दिलाने की मांग की है।
सेमवाल की गिरफ्तारी पर 18 पत्रकार संगठन हुए एकजुट
राजनीतिक संगठनों ने भी दिया सेमवाल का साथ
शिव प्रसाद सेमवाल की अविलम्ब रिहाई व उनकी सहसपुर, देहरादून पुलिस द्वारा गलत तरीके से की गई गिरफ्तारी के विरोध में मंगलवार को गांधी पार्क के बाहर डेढ़ दर्जन से अधिक पत्रकार संगठनों एवं इनसे जुड़े पत्रकारों ने सांकेतिक धरना दिया। श्री सेमवाल के समर्थन में तमाम समाजिक कार्यकर्ताओं व राजनीतिक लोगों ने भी बढ़-चढ़कर हिस्सेदारी की और अपना समर्थन देने का ऐलान किया है।
मंगलवार देहरादून के अलग-अलग पत्रकार संगठनों से जुड़े पत्रकार साथियों ने संयुक्त पत्रकार संघर्ष समिति के बैनर तले गांधी पार्क के बाहर सरकार व पुलिस प्रशासन के द्वारा पत्रकारों पर किए जा रहे उत्पीडऩ के खिलाफ धरना दिया, तथा सभी साथियों ने एक सुर से यह आवाज उठाई कि, पत्रकार साथी शिव प्रसाद सेमवाल के मामले में पुलिस एक तरफा कार्यवाही करने के स्थान पर पूरी ईमानदारी के साथ मामले की जांच करें तथा सेमवाल को अति शीघ्र रिहा किया जाए।
इस मौके पर वक्ताओं ने कहा कि बगैर तथ्यों की सही जांच किए बिना पत्रकार को जेल पहुंचा दिया। यह किसके इशारे पर हुआ बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि डबल इंजन की सरकार का रवैया पहले दिन से ही पत्रकारों के साथ अच्छा नहीं है। अब सरकार अपना रंग दिखाने लगी है। सच लिखने वालों को सरकार प्रताडि़त कर रही है। भ्रष्टाचार पर मुंह खोलने और कलम चलाने वालों को जेल भेजा जा रहा है। इसका हर स्तर पर विरोध किया जाएगा। सभी ने एक स्वर में कहा कि जरूरत पड़ी तो पत्रकार सड़कों पर उतरने के लिए बाध्य हो जाएंगे।
पत्रकार संगठनों ने एक सुर में घोषणा की कि उनका यह संघर्ष जारी रहेगा तथा सरकार द्वारा इस परिप्रेक्ष्य में कोई न्यायोचित कदम ना उठाए जाने की स्थिति में सरकारी खबरों के बहिष्कार की घोषणा भी की जा सकती है।
ज्ञात रहे कि सहसपुर निवासी तथाकथित राज्यमंत्री नीरज राजपूत द्वारा शिव प्रसाद सेमवाल के खिलाफ दर्ज की गई रिपोर्ट के मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत द्वारा पहले ही यह स्पष्टीकरण दे दिया गया है कि उनकी सरकार में नीरज राजपूत नाम से कोई भी राज्यमंत्री नहीं था। सरकार एक सोची-समझी रणनीति के तहत शिव प्रसाद सेमवाल के साथ खेलने का एक असफल प्रयास कर रही है।
धरने को एनयूजे (आई), इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन, आल इंडिया उदू एडिटर कांफ्रेंस, जर्नलिस्ट यूनियन आफ उत्तराखंड, नेशनलिस्ट यूनियन आफ जर्नलिस्ट, देवभूमि पत्रकार यूनियन, वर्किंग जर्नलिस्ट आफ इंडिया, श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, पर्वतीय संपादक परिषद, देवभूमि जर्नलिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन, न्यूज पेपर एंड मीडिया वेलफेयर सोसाइटी, उत्तराखंड वेब मीडिया एसोसिएशन, अखबार बचाओ संघर्ष समिति, उत्तराखंड जनकल्याण पत्रकार समिति, पत्रकार प्रेस परिषद नई दिल्ली आदि संगठनों के प्रतिनिनिधयों के अलावा सामाजिक संगठनों से जुड़े लोग भी शामिल हुए।