वन मुख्यालय देहरादून में हुई 99 MW सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना की 8जी Multidisciplinary Committee (MDC) की बैठक
देहरादून/मुख्यधारा
वन मुख्यालय देहरादून में आज एल0एण्ड०टी० द्वारा जनपद रूद्रप्रयाग के अन्तर्गत संचालित 99 MW सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना की 8जी Multidisciplinary Committee (MDC) की बैठक आयोजित की गयी। इस दौरान जानकारी दी गई कि एल०एण्ड०टी० कंपनी द्वारा इस परियोजना से प्रभावित अरखण्ड एवं रेरी गांव के 2100 परिवारों के लिए पानी की व्यवस्था की गई है, जो कि सराहनीय है।
बैठक में राजीव भर्तरी हाॅफ, पीसीसीएफ उत्तराखंड, डा. कृष्णेंदु मोंडल डिप्टी डायरेक्टर MoEF & CC, आईएफएस वैभव कुमार सिंह डीएफओ रुद्रप्रयाग, डा. एमपी साहएनवायरमेंट जूलोजी, वाडिया इंस्टीट्यूट आफ हिमालयन जूलोजी देहरादून, डा. सुभाष नौटियाल पूर्व वैज्ञानिक (जी) हेड बाॅटनी डिविजन, एफआरआई देहरादून, डा. एसपी सिन्हा फाॅर्मर विद वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट आफ इंडिया, देहरादून, सुनीता देवी ग्राम-हाट, जिला-रुद्रप्रयाग, जसपाल लाल, ग्राम आरखुण्ड जिला रुद्रप्रयाग एवं मकरंद प्रकाश जोशी, वीपी एंड रेजीडेंट प्रोजेक्ट डायरेक्टर मेंबर एंड कन्वर्टर आदि सदस्यों द्वारा प्रतिभाग किया गया।
बैठक में सिंगोली भटवाडी जल विद्युत परियोजना के क्रियान्वयन के संबंध में एल०एण्ड०टी० द्वारा विस्तृत प्रस्तुतीकरण कर जानकारी दी गयी कि मार्च 2021 में जल विद्युत परियोजना का निर्माण कार्य पूर्ण किया जा चुका है। वर्तमान में परियोजना की 03 टरवाईनों द्वारा 99 MW विद्युत का उत्पादन किया जा रहा है। कुल विद्युत उत्पादन में से 13þ विद्युत उत्तराखण्ड को वितरित की जा रही है, शेष विद्युत राष्ट्रीय ग्रीड को वितरण की जा रही है।
सिंगोली भटवाड़ी जल विद्युत परियोजना उत्तराखण्ड राज्य की स्थापना के बाद निजी क्षेत्र की इकलौती ऐसी परियोजना है, जो 2013 को आयी आपदा से क्षतिग्रस्त होने के बावजूद पूर्ण कर ली गयी है।
परियोजना प्रबन्धन द्वारा आतिथि तक रू0 54.61 करोड़ सी०एस०आर० एवं मुख्यमंत्री राहत कोष के द्वारा स्थानीय विकास हेतु व्यय किया जा चुका है। इसके अतिरिक्त लगभग रू0 35.11 करोड़ कैटप्लान, विस्थापन, स्थानीय विकास एवं पर्यावरणीय अनुश्रवण इत्यादि गतिविधियों में व्यय किया जा चुका है। उक्त के अतिरिक्त एल०एण्ड०टी० कंपनी द्वारा इस परियोजना से प्रभावित अरखण्ड एवं रेरी गांव के 2100 परिवारों के लिए पानी की व्यवस्था की गई है, जो कि सराहनीय है।
बैठक में निम्न निर्णय लिए गए:-
- परियोजना से सम्बन्धित कैचमैन्ट एरिया ट्रीटमेंन्ट प्लान (कैट प्लान) के अवशेष कार्यों को 03 वर्षों के अन्तर्गत पूर्ण किया जायेगा।
- उक्त परियोजना के न्यूनतम् बहाव का समय-सयम पर अनुश्रवण किया जायेगा एवं स्थानीय मछलियों एवं अन्य जलीय प्रजातियों पर इससे होने वाले प्रभाव का अध्ययन कैट प्लान के अन्तर्गत किया जायेगा।
- प्रमुख वन संरक्षक (HoFF), उत्तराखण्ड द्वारा एल०एण्ड०टी० को निर्देश दिये गये कि उक्त परियोजना के Ecological Sustainability को सुनिश्चित करने हेतु सभी हित धारकांे से विचार विमर्श करके कार्य योजना बनाई जायेगी एवं उस पर अमल किया जायेगा।
- जल विद्युत परियोजना के निर्माण से प्रभावित वन्य जीवों के प्राकृतिक वास स्थलों में सुधार संबंधी उपाय कैट प्लान के अन्तर्गत किये जायेंगे एवं रूद्रप्रयाग वन प्रभाग द्वारा मानव वन्य जीव घटनाओं की रोकथाम हेतु Quick Response Team का गठन किया जायेगा।
- प्रमुख वन संरक्षक (HoFF) उत्तराखण्ड द्वारा यह भी निर्देश दिये गये कि एल०एण्ड०टी० द्वारा परियोजना निर्माण के अन्तर्गत किये गये विभिन्न कार्यों तथा वन विभाग द्वारा कैट प्लान के अन्तर्गत किये गये कोर्यों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा।
अन्त में प्रमुख वन संरक्षक (HoFF), उत्तराखण्ड एवं एल०एण्ड०टी० द्वारा बैठक में उपस्थित सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद करते हुये बैठक का समापन किया गया।