नैनीताल। हमेशा अपने बयानों से चर्चा में रहने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने देवस्थानम बोर्ड के गठन व हिमालयी राज्यों के ५१ अन्य मंदिरों के के मैनेजमेंट के खिलाफ उत्तराखंड उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखित की है। उनके इस कदम से प्रदेश की त्रिवेंद्र रावत सरकार भी असहज महसूस कर रही है।
सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि सरकार द्वारा चारधामों का अधिपत्य अपने हाथों में लेने को असंवैधानिक बताया है। देशभर के दूसरे राज्यों में जहां भी सरकारों ने मंदिरों पर कब्जा किया है, वहां वो मंदिरों को अधिकार दिलाने में सफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि अधिनियम पूरी तरह से असंवैधानिक और हिंदुत्व की विचारधारा के विरुद्ध है। याचिका में उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम २०१९ की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। जिसके द्वारा उत्तराखंड सरकार के अधीन किसी भी प्राधिकरण द्वारा हिंदू धार्मिक संस्थानों के प्रशासन और नियंत्रण को ले लिया गया है।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि उनके मंदिरों के अधिकारों को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को देखते हुए उच्च न्यायालय से उन्हें राहत मिलेगी।
इस संबंध में सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट भी किया हे, जिसमें कहा गया है कि उत्तराखंड सरकार के अधिनियम को खत्म करने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर उत्तराखंड कोर्ट में पेश होने की उम्मीद करता है।
बहरहाल, सुब्रमण्य स्वामी की याचिका उच्च न्यायालय में दायर हो गई है और इस पर मंगलवार या बुधवार को सुनवाई होने की संभावना है।
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Mon Feb 24 , 2020