देहरादून/मुख्यधारा
हाल ही में उत्तराखंड में एक टीवी चैनल द्वारा कराए गए सर्वे में प्रदेश में हरीश रावत की लोकप्रियता सर्वाधिक पाई गई है। इस सर्वे को कांग्रेस लीडर व प्रवक्ता अपने पक्ष में जोर शोर से दिखाते हुए सुकून महसूस कर रहे थे कि इसी बीच आज कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के एक ट्वीट से प्रदेश कांग्रेस में खलबली मच गई है। हरदा के ट्वीट के कई मायने निकाले जा रहे हैं। इसके बाद अब हरीश रावत के सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल के बयान ने काफी चीजें स्पष्ट कर दी है कि आखिर माजरा क्या है।
सुरेंद्र अग्रवाल ने उत्तराखंड कांग्रेस प्रभारी देवेंद्र यादव व भाजपा पर कई आरोप लगाए हैं। अग्रवाल ने कहा है कि हरीश रावत कांग्रेस की वरिष्ठ नेता हैं और अगर देवेंद्र यादव की उपस्थिति में राहुल गांधी की रैली में उनके पोस्टर हटाए जाते हैं तो उनकी भूमिका संदेह के घेरे में आ जाती है। उन्होंने संभावना जताते हुए कहा कि देवेंद्र यादव साजिश में शामिल हो सकते हैं।
सुरेंद्र अग्रवाल ने यह भी कहा कि भाजपा ने हमारे किसी कार्यकर्ता या सदस्य को धमकाने के लिए किसी बल का प्रयोग किया होगा। हरीश रावत और हमारे लोगों के बीच मतभेद के लिए हमारी किसी सहयोगी को गुमराह किया जा रहा होगा। इससे पहले भी भाजपा ने ऐसा किया है।
हरीश रावत के सलाहकार सुरेंद्र अग्रवाल के इस बयान के बाद इतना तो साफ हो गया है कि कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ उनका सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है और यदि ऐसा ही मतभेद रहा तो आगामी 2022 की राह कांग्रेस के लिए उत्तराखण्ड में आसान नहीं रहने वाली है।
इससे पहले हरीश रावत ने यह ट्वीट किया था, जिसके बाद पार्टी समेत सियासी हलकों में घमासान मच गया और तरह-तरह के कयास लगाए जाने लगे कि कहीं हरीश रावत पार्टी तो नहीं छोड़ रहे हैं!
हरदा के इस ट्वीट के जवाब में सोशल मीडिया पर उनके लिए कई सलाह भी दी जा रही हैं। एक यूजर ने उनके लिए लिखा है कि वैसे भी आपकी उम्र काफी हो गई है और वानप्रस्थ ना सही राजनीति से सन्यास लेना सबसे बेहतर होगा, ताकि कुछ लोक कल्याण के कार्य भी हो जाए दान देकर।
एक अन्य यूज़र लिखते हैं कि हरीश रावत जी आपने कांग्रेस में बहुत बेइज्जती करवा ली, अब कांग्रेस को त्याग देने में ही भलाई है।
इससे पहले आज हरीश रावत की मुलाकात उत्तराखंड क्रांति दल के अध्यक्ष काशी सिंह ऐरी, पुष्पेश त्रिपाठी व अन्य नेताओं से भी हुई थी। इसके बाद आए हरीश रावत के बयान को इस मुलाकात से जोड़कर भी देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि हरीश रावत इसके बाद और मजबूती के साथ उत्तराखंड में 2022 के चुनाव में जान फूंकने का काम करेंगे। उनकी तरफ से यह प्रेशर पॉलिटिक्स का एक हिस्सा है। अपनी इस रणनीति के बाद हरीश रावत और मजबूत होकर पार्टी के लिए काम करेंगे।
बहरहाल हरीश रावत के बयान के बाद प्रदेश कांग्रेस में खलबली मची है अब देखना यह है उनका यह बयान क्या नया राजनीतिक गुल खिलाता है!
...वो वीवीआईपी हैं साहेब…ये तो होना ही था!
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