देहरादून। प्रवासियों के उत्तराखंड लौटने के बाद ग्राम प्रधानों को कुछ अधिकार दिए जा सकते हैं। यह इसलिए कि अचानक बड़ी संख्या में लोगों के लौटे के बाद व्यवस्थाएं संभालने की जिम्मेदारी अत्यधिक बढ़ जाएंगी। ऐसे में ग्राम प्रधानों को सक्रिय कर दिया जाएगा।
सचिव शैलेश बगोली ने बताया कि अभी तक 87 हजार लोगों ने वापस आने के लिए अपना पंजीकरण करा दिया है। इनमें अधिकांश लोग पर्वतीय जिलों के हैं। जबकि इस ऑनलाइन पोर्टल का शुभारंभ 29 अप्रैल की सायं को किया गया है। दो दिन में ही ८७ हजार लोगों के रजिस्ट्रेशन करने के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में उत्तराखंडी प्रवासी अपने गृह जनपदों में लौट सकेंगे। ऐसे में क्वारंटीन व अन्य जिम्मेदारियों को संभालने के लिहाज से ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम प्रधानों की जिम्मेदारी बढ़ाई जा सकती है।
शुक्रवार को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य से बाहर फंसे उत्तराखंड के लोगों को वापस राज्य में लाने की तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान उन्होंने कहा कि संबंधित राज्यों से समन्वय बनाते हुए सुनियोजित तरीके से सारी व्यवस्था की जाए। इसमें पूरी सावधानी के साथ व्यक्तिगत दूरी, मास्क, सेनेटाइजेशन आदि मानकों का पालन सुनिश्चित किया जाए। जिन लोगों को वापस लाया जाना है, कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत उनकी समुचित स्क्रीनिंग करने के बाद ही उन्हें वापस लाया जाएग। इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुरूप ही सारी कार्यवाही की जा रही है।
सीएम ने कहा कि राज्य में आने पर यदि होम क्वारंटीन किया जाता है तो यह भी सुनिश्चित किया जाए कि होम क्वारंटीन का सख्ती से पालन किया जाए। इसके लिए आवश्यक होने पर ग्राम प्रधानों को कुछ अधिकार दिये जा सकते हैं।
बैठक में मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, डीजीपी अनिल कुमार रतूङी, सचिव अमित नेगी, नितेश झा एवं राधिका झा उपस्थित थे।
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