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वीडियो : सीएम के महकमें में लाखों की शराब तस्करी पर उठे सवाल

admin
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मुख्यधारा ब्यूरो
देहरादून। उत्तराखंड के आबकारी महकमें द्वारा प्रदेशभर के ठेकों को सील्ड किए जाने के बावजूद लॉकडाउन के दौरान विभिन्न जिलों में लाखों की शराब तस्करी में पकड़े जाने से कई सवाल खड़े हो गए हैं। आम जन की समझ में नहीं आ रहा कि सब कुछ प्रतिबंधित होने के बावजूद आखिर इन तस्करों को किसकी शह पर ठेके से सप्लाई करने में मदद मिली!
लॉकडाउन में विभिन्न जिलों के कई हिस्सों में लाखों रुपए की देशी-विदेशी शराब पकड़ी गई। यह तभी संभव हो सकता था, जब सील्ड ठेकों से शराब बाहर निकल पाती। आबकारी महकमे के अनुसार सभी ठेकों को लॉकडाउन शुरू होने के समय ही सील्ड कर दिया गया था। अब सवाल यह है कि सील्ड ठेकों से शराब बाहर कैसे निकली? आखिर शराब ठेके वालों को किसकी शह पर यह दुस्साहस करने की हिम्मत आई। जाहिर है कि इन तमाम सवालों के जवाब बिना निष्पक्ष कड़ी जांच के भूसे में सुई ढूंढने जैसे हैं।
देखिए वीडियो : वरिष्ठ पत्रकार गजेंद्र रावत द्वारा शराब तस्करी का विश्लेषण

प्रदेश के सर्वाधिक कमाई वाले विभागों में शुमार आबकारी महकमें को देर-सबेर इन सवालों के जवाब देने ही पड़ेंगे। ये सवाल इसलिए भी तब और महत्वपूर्ण हो जाते हैं, जब इस महकमें की कमान स्वयं मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के हाथों में हो। ऐसे में इस प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच कराना उत्तराखंड सरकार के लिए और जरूरी हो जाता है।
शराब तस्करी में पकड़े गए कुछ मामले
29 अप्रैल को भीमताल में 357 पेटी
26 अप्रैल को देहरादून में 200 पेटी
26 अप्रैल को रुड़की में 167 पेटी
22 अप्रैल को पिथौरागढ़ में 26 पेटी
11 अप्रैल को नैनीताल में 3 पेटी
2 अप्रैल को हरिद्वार में 20 पेटी
31 मार्च को हल्द्वानी में 13 पेटी
28 मार्च को लालकुआं में 6 पेटी

सवाल यह है कि सब कुछ प्रतिबंधित होने और पुलिस की कड़ी चैकिंग के बावजूद लाखों की शराब जगह-जगह कैसे पहुंचाई गई? या फिर इसे ‘नॉटी ब्वाय’ की तरह चमत्कार मान लिया जाए कि ‘पिथौरागढ़’ सहित तमाम जगहों पर उपरोक्त शराब अपने आप ही चलकर आ गई होगी!

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प्रदेश सरकार को इस सवाल का जवाब तो आम जनता के समक्ष रखना ही पड़ेगा कि आखिर सील्ड हुए ठेकों से लॉकडाउन के बाद पूरी तरह से लॉक हुए ठेकों से कैसे शराब बाहर निकल गई। या फिर किसी भी ठेके से शराब बाहर नहीं निकाली गई तो फिर यह सवाल भी बनता है कि बाहर से इतनी तस्करी कैसे और किसकी शह पर हुई? क्योंकि राज्यों की सीमाएं भी इस वक्त सील्ड हैं।
हालांकि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पौड़ी डीएम ने कोटद्वार आबकारी इंस्पेक्टर को जिला मुख्यालय अटैच किया है, जबकि हरिद्वार डीएम ने रुड़की के आबकारी इंस्पेक्टर से जवाब तलब किया है।
आबकारी आयुक्त द्वारा 29 अप्रैल को आदेश जारी करके आबकारी इंस्पेक्टरों को ठेकों की सख्त निगरानी करने को कहा गया है। ऐसे में आबकारी विभाग की आज ऐसी स्थिति बन गई है, जैसे- अब पछताए होत क्या, जब चिडिय़ा चुग गई खेत, वाली कहावत में कहा गया है।
हालांकि देर आए दुरुस्त आए की तर्ज पर हरिद्वार जनपद में आबकारी विभाग की ओर से पड़ताल शुरू हो गई है। अब जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि सील्ड किए गए शराब ठेकों से कितना माल गायब है!
गंभीर सवाल यह है कि सरकार की नाक के नीचे इस तरह की तस्करी आबकारी विभाग व शराब के ठेकेदारों के बिना गठजोड़ के संभव नहीं हो सकता। क्या ऐसे जिम्मेदार अधिकारियों के बारे में सरकार कोई कठोर निर्णय ले पाएगी? लॉकडाउन में प्रदेश की आम जनता इन तमाम सवालों का जवाब जरूर सुनना चाहेगी।
बहरहाल, अब देखना यह होगा कि आबकारी विभाग द्वारा इस तरह की तस्करी के खिलाफ कब तक जांच पूर्ण की जाती है और जांच के बाद इसमें शामिल तस्करों व अधिकारियों पर गाज गिर पाती है या नहीं!

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