मुख्यधारा ब्यूरो
ऋषिकेश। भारतीय संस्कृति और परंपराओं को बारीकी से समझने और सीखने की ललक विदेशी लोगों को उत्तराखंड खींच लाती है, लेकिन यहां आकर विदेशी महिलाओं के मन मस्तिष्क में एक ऐसा जख्म उनके साथ वापस जाता है, जिसे वह शायद ही कभी जिंदगी में भूल पाए।
जी हां! यहां बात हो रही है ऋषिकेश के कुछ आश्रमों में विदेशी महिलाओं के साथ जबरदस्ती, दुष्कर्म और कुदृष्टि डालने वाली घटनाओं की। जिससे देवभूमि उत्तराखंड के साथ ही पूरे भारतवर्ष की छवि भी धूमिल हो रही है।
उत्तराखंड में सर्वाधिक ऋषिकेश और इसके आसपास के क्षेत्रों में गंगाजी के पावन तीरों पर बने आश्रमों में विदेशी लोग योग, ध्यान सीखने के लिए आते हैं। इनमें बड़ी संख्या में विदेशी महिलाएं भी योग सीखती हैं। इससे भारतीय संस्कृति और यौगिक परंपरा की वैश्विक वृद्धि भी विदेशी लोगों के माध्यम से होती है, लेकिन कुछेक आश्रमों में कुछ योगाचार्य और गाइड योग ध्यान के बहाने अकेले का फायदा उठाते हुए विदेशी महिलाओं पर अपनी कुदृष्टि डालते हैं। जोर जबरदस्ती कर शारीरिक संबंध बनाने का कुप्रयास करते हैं। कई बार ऐसे लोगों की शिकायत पुलिस तक पहुंचती है तो कई बार शिकायतों को रफा-दफा भी कर दिया जाता है। ऐसे में देवभूमि उत्तराखंड की छवि धूमिल होने के साथ ही यहां के योग-ध्यान सिखाने वाले आश्रमों को भी उसी नजरिए से देखा जाता है।
ताजा मामला एक योगा सेंटर में योग सीखने वाली जापानी महिला से जुड़ा हुआ है। महिला ने पुलिस से शिकायत की कि आमबाग के एक योग सेंटर में वह योगा कोर्स कर रही थी। इसी दौरान वहां के योगा टीचर ने उनके साथ जबर्दस्ती की और शारीरिक संबंध बनाने के लिए दबाव बनाया। तंग आकर महिला वहां से तपोवन चली गई, किंतु यहां भी व्हाट्सप पर महिला को परेशान किया जाता रहा।
शिकायत पर कोतवाली ऋषिकेश में उनके खिलाफ संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर दिया गया है और योगा टीचर हरिकिशन, चंद्रकांत दाहल और सोमराज उर्फ सेम को गिरफ्तार कर दिया गया है।
ऐसा नहीं है कि ऋषिकेश के आश्रमों में विदेशी महिला के साथ यह पहली घटना हुई हो, इससे पहले भी कई आश्रमों में विभिन्न देशों की महिलाओं को इस तरह के उत्पीडऩ का शिकार होना पड़ा है।
बताते चलें कि अमेरिका से योग सीखने आई महिला के साथ 15 मार्च को तपोवन स्थित एक योगशाला में दुष्कर्म किया गया।
इससे पहले पांच मार्च को तपोवन स्थित एक आश्रम के बाबा ने जापानी महिला के साथ दुष्कर्म किया।
यह तो विगत दो माह में घटी घटनाएं उदाहरण मात्र हैं। इसी प्रकार प्रतिवर्ष अनेकों विदेशी महिलाओं के साथ दुष्कर्म व छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आ चुके हैं। ऐसे आरोपियों पर पुलिस द्वारा कार्यवाही भी की जाती है, लेकिन फिर भी ऐसी घटनाएं रुक नहीं हैं। यह तीर्थनगरी और देवभूमि उत्तराखंड के लिए भी चिंताजनक स्थिति है।
बहरहाल, उम्मीद की जानी चाहिए कि योग शिक्षक और आश्रमों के संचालक भारतीय संस्कृति और परंपराओं को ध्यान में रखते हुए योग सीखने वाली विदेशी महिलाओं के प्रति अपना नजरिया बदलेंगे और उन्हें भी उत्तराखंड की बेटी के रूप में देखकर उन्हें योग-ध्यान सिखाते हुए देवभूमि का बेहतरीन संदेश भी विदेशों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे।
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